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Rajasthan News: जवाहरलाल नेहरू ने नागौर में रखी थी 'पंचायतीराज' की नीव, महात्मा गांधी के सपनों को साकार करना था उद्देश्य

Panchayati Raj Diwas: महात्मा गांधी कहते थे कि अगर देश के गांवों को खतरा पैदा हुआ तो भारत को खतरा पैदा हो जाएगा. उन्होंने मजबूत और सशक्त गांव का सपना देखा. वो गांवों को भारत की रीढ़ की हड्डी माते थे.

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों को साकार करने के लिए नागौर के एक चबूतरे से गांव ढाणी के ग्रामीणों को संबल देने के उद्देश्य से 'पंचायतीराज' की नींव रखी थी.इसके पीछे का उद्देश्य यह था कि सिर्फ केंद्र या राज्य सरकार ही पूरे देश को चलाने में सक्षम नहीं हो सकती हैं. इसके लिए स्थानीय स्तर पर पंचायती राज लागू कर प्रशासन की व्यवस्था की गई है. इसी व्यवस्था को पंचायतीराज का नाम दिया गया.पंचायतीराज में गांव के स्तर पर ग्राम सभा,ब्लाक स्तर पर मंडल परिषद और जिला स्तर पर जिला परिषद की व्यवस्था की गई. इन्हीं संस्थाओं के लिए सदस्यों का चुनाव समय-समय पर किया जाता है.ये संस्थाएं ही जमीनी स्तर पर शासन की बागडोर संभालती हैं.  

किस नेता की सलाह पर नागौर का हुआ था चुनाव

क्या आपने सोचा है कि पंचायतीराज की नींव नागौर से ही क्यों रखी गई, क्योकि इसका सुझाव सुरेंद्र कुमार डे ने दिया था. वे पंडित नेहरू के काफी करीबी थे.उनके सुझाव पर ही पंडित नेहरू ने नागौर आने का मन बनाया. पंडित नेहरू ने गांव और ग्रामीणों की तस्वीर बदलने और महात्मा गांधी के सपने को पूरा करने के लिए दो अक्टूबर 1959 में पंचायती राज की नागौर की धरती से शुरुआत की. यह शुरुआत जिस मंच (चबूतरा) से हुई थी, वो आज भी पुलिस लाइन परिसर में स्थित है.

देश में पंचायती राज व्यवस्था की देखरेख के लिए 27 मई 2004 को पंचायती राज मंत्रालय को एक अलग मंत्रालय बनाया गया. भारत में हर साल 24 अप्रैल को 'राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस' मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का कारण 73वां संविधान संशोधन अधिनियम 1993 है.यह 24 अप्रैल 1993 को लागू किया गया था. आपको बता दें कि पंचायतीराज की स्थापना से छह दिन पहले 27 सितंबर 1959 को लिखमाराम चौधरी नागौर के प्रथम जिला प्रमुख बने थे.पंचायती राज की स्थापना के साथ ही चौधरी को देश के सबसे पहले जिला प्रमुख के रूप में ख्याति प्राप्त हुई थी.

जानिए कौन थे सुरेंद्र कुमार डे

केंद्रीय मंत्री और नागौर सांसद सुरेंद्र कुमार डे का जन्म 13 सितंबर 1906 को बांग्लादेश के सिलहट जिले के गांव में हुआ था. वे प्रख्यात राष्ट्रवादी नेता बिपिन चंद्र पाल के दामाद थे. एसके डे सहकारिता और पंचायती राज के लिए भारत के केंद्रीय कैबिनेट मंत्री भी रह चुके थे. एसके डे को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने स्वतंत्र भारत में सामुदायिक विकास का बीड़ा उठाया था. इतिहासकार बताते हैं कि सुरेंद्र कुमार डे ने विश्व प्रसिद्ध संस्थानों में छह इंजीनियरिंग का अध्ययन किया. एसकेडी  1962 से 1967 तक नागौर के सांसद भी रहे.

किसने दिया था ग्राम स्वराज' का नारा 

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कहते थे कि अगर देश के गांवों को खतरा पैदा हुआ तो भारत को खतरा पैदा हो जाएगा. उन्होंने मजबूत और सशक्त गांव का सपना देखा था. वो गांवों को भारत की रीढ़ की हड्डी के रूप में देखते थे. उन्होंने 'ग्राम स्वराज' का नारा दिया था. उन्होंने कहा था कि पंचायतों के पास सभी अधिकार होने चाहिए. गांधी जी के सपनों को पूरा करने के लिए 1993 में संविधान में 73वां संशोधन किया गया. इस कानून की मदद से स्थान निकायों को ज्यादा से ज्यादा शक्तियां दी गईं. उनको आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय की शक्ति और जिम्मेदारी सौंपी गई.

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करनपुरी गोस्वामी ABP NEWS की डिजिटल टीम के साथ बतौर रिपोर्टर जुड़े हुई हैं. पत्रकारिता के क्षेत्र में उन्हें 12 साल का अनुभव है और पिछले 10 सालों से वे एबीपी के साथ जुड़े हुए हैं. राजस्थान के जोधपुर संभाग से जुड़ी हर खबर पर इनकी नजर रहती है. इससे पहले करनपुरी इंडिया टीवी के साथ भी काम कर चुके हैं.
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