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UTTAR PRADESH (80)
43
INDIA
36
NDA
01
OTH
MAHARASHTRA (48)
30
INDIA
17
NDA
01
OTH
WEST BENGAL (42)
29
TMC
12
BJP
01
INC
BIHAR (40)
30
NDA
09
INDIA
01
OTH
TAMIL NADU (39)
39
DMK+
00
AIADMK+
00
BJP+
00
NTK
KARNATAKA (28)
19
NDA
09
INC
00
OTH
MADHYA PRADESH (29)
29
BJP
00
INDIA
00
OTH
RAJASTHAN (25)
14
BJP
11
INDIA
00
OTH
DELHI (07)
07
NDA
00
INDIA
00
OTH
HARYANA (10)
05
INDIA
05
BJP
00
OTH
GUJARAT (26)
25
BJP
01
INDIA
00
OTH
(Source: ECI / CVoter)
Rajasthan: चंबल के दुर्दांत डाकू ने 654 डाकुओं का कराया था आत्मसमर्पण, 'नेताजी' के खिलाफ लड़ा था चुनाव
Rajasthan News: डकैती और हत्या जैसे जघन्य अपराध के लिए दस्यु सरगना तहसीलदार सिंह ने 18 साल जेल की सजा काटी थी और जेल से निकलने के बाद राजनीति में काफी सक्रिय रहा.
Bharatpur News: डाकू मान सिंह (Dacoit Man Singh) का 1939 से लेकर 1955 तक चंबल (Chambal) के बीहड़ में राज चलता था. दुर्दांत डाकू मान सिंह पर हजारों डकैतियों, अपहरण और 185 हत्याओं के आरोप थे जिसमें 32 पुलिसकर्मी की हत्याओं का भी आरोप डाकू मान सिंह पर था. गांव में पानी को लेकर हुए विवाद के कारण परिवार को चंबल के बीहड़ में कूदना पड़ा था. मान सिंह का बेटा तहसीलदार सिंह (Dacoit Tehsildar Singh)भी अपने पिता की गैंग में रहकर लूट, डकैती और हत्या की घटना को अंजाम दिया था.
तहसीलदार को पुलिस ने 1953 में गिरफ्तार कर लिया था और डाकू तहसीलदार को फांसी की सजा सुनाई गई थी लेकिन आचार्य विनोबा भावे और कुछ अन्य लोगों ने भारत के राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद से सजा बदलने की सिफारिश की जिस पर डाकू तहसीलदार की मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया गया. वह 18 वर्षों तक बरेली की जेल में रहा. उत्तर प्रदेश की सरकार और मध्य प्रदेश की सरकार ने डाकुओं का सफाया करने का प्लान बनाया. इसके लिए उन्होंने तहसीलदार को अपने साथ लिया और आत्मसमर्पण के जरिए डाकुओं को सामाजिक जीवन में वापस लाने का प्रयास किया.
16 साल तक 654 डाकुओं का कराया आत्मसमर्पण
बताया जाता है कि 1960 से लेकर 1976 के बीच तहसीलदार की सहायता और मध्यस्थता से 654 डाकुओं ने आत्मसमर्पण कर दिया था.आत्मसमर्पण करने वालों में तहसीलदार के पिता डाकू मान सिंह की गैंग के डाकू लुका और रूपा भी थे. उधर, मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह सेठी ने तहसीलदार के बेटे को सब इन्स्पेक्टर बनाया था जो अपनी ड्यूटी पूरी कर डीएसपी के पद से रिटायर हुआ थ. जब उत्तर प्रदेश में राम मंदिर का आंदोलन चल रहा था उस समय में तहसीलदार ने भारतीय जनता पार्टी को ज्वाइन का लिया था. उस समय उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के आसपास मुलायम सिंह का दबदबा माना जाता था. बूथ कैप्चरिंग आम बात थी .मुलायम सिंह का दबदबा ख़त्म करने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने तहसीलदार को विधानसभा का टिकट देकर मैदान में उतार दिया. उस चुनाव में तहसीदार को सूचना मिली थी कि सपा ने बूथ पर कब्जा कर लिया है. इसके बाद तहसीलदार वहां पहुंचा और बूथ की मतपेटियों को उठाकर ले गया. वहां काफी हिंसा भी हुई लेकिन चुनाव में जीत मुलायम सिंह यादव की हुई.
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डॉ. रवि दोसीConsultant, Pulmonary Medicine
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