अजमेर की गरीब नवाज दरगाह में उर्स से पहले बढ़ा तनाव, लाइसेंस विवाद में खादिम-कमेटी आमने-सामने
Ajmer Sharif Dargah News: अजमेर दरगाह में लाइसेंस आदेश को लेकर खादिम और दरगाह कमेटी आमने-सामने हैं. खादिमों ने इसे तुगलकी फरमान बताया, जबकि कमेटी ने सुरक्षा कारणों से जरूरी बताया.

अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की विश्वप्रसिद्ध दरगाह में इन दिनों एक नया विवाद गहराता जा रहा है. दरगाह कमेटी के हालिया आदेश के बाद खादिमों और कमेटी के बीच टकराव तेज हो गया है. मामला दरगाह में जियारत करवाने के लिए लाइसेंस अनिवार्य करने के फैसले से जुड़ा है, जिसे खादिम समुदाय ने सख्त शब्दों में खारिज कर दिया है.
दरगाह कमेटी ने 1 दिसंबर को एक विज्ञापन जारी किया था, जिसकी अंतिम तारीख 5 जनवरी 2026 तय की गई है. इसमें कहा गया है कि अब जियारत करवाने वाले खादिमों को लाइसेंस लेना होगा और इसके लिए आवेदन देना अनिवार्य होगा.
इस आदेश के खिलाफ दरगाह के खादिमों ने मोर्चा खोल दिया है. अंजुमन कमेटी के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने इस फैसले को अनुचित बताते हुए कहा कि यह दरगाह किसी के बाप की नहीं है. यह ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह है. यहां सदियों से खादिमों की सेवा परंपरा है, किसी कमेटी के एकतरफा फैसले को मंजूर नहीं किया जाएगा.
तुगलकी फरमान नहीं माना जाएगा- सरवर चिश्ती
सरवर चिश्ती ने आगे कहा कि यह दरगाह मुगल काल से चली आ रही एक इस्लामिक संस्था है, और खादिम ही इसके असली सेवक हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि कमेटी मनमाने तरीके से आदेश जारी कर रही है और खादिमों से न तो सलाह ली जाती है और न ही उनके अधिकारों का सम्मान किया जाता है.
उन्होंने यह भी कहा कि दरगाह में अतिक्रमण और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर कमेटी सिर्फ कागजों में नियम बनाती है, लेकिन जमीनी कार्रवाई नहीं करती. चिश्ती ने कहा कि कैमरे लगाने की बात होती है लेकिन यह कोई नहीं सोचता कि जब कुछ होगा तो ध्यान कौन रखेगा? ये सब तुगलकी फरमान हैं. लाइसेंस जैसी कोई चीज नहीं ली जाएगी.
जायरीनों की सुरक्षा जरूरी- कमेटी
उधर, दरगाह कमेटी के नाजिम बिलाल खान ने इस पर स्पष्ट कहा कि पूरा आदेश नियमों व कानून के दायरे में है. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार की सहमति के बाद ही यह प्रक्रिया शुरू की गई है.
बिलाल खान ने कहा कि कई खादिमों का क्रिमिनल बैकग्राउंड सामने आया है. इसलिए लाइसेंस जारी करने से पहले जांच जरूरी है. यह फैसला सिर्फ जायरीनों की सुरक्षा और सुविधा के लिए है.
उन्होंने यह भी दावा किया कि अजमेर प्रशासन दरगाह के अंदर और बाहर अवैध कब्जे हटाने की कार्रवाई कर रहा है, और इनमें से अधिकांश कब्जे खादिमों के बताए जा रहे हैं.
17 दिसंबर से उर्स शुरू होने जा रहा है. हर साल लाखों जायरीन यहां पहुंचते हैं, ऐसे में विवाद का लगातार बढ़ना प्रशासन और कमेटी दोनों के लिए चिंता का विषय है. इस समय दोनों पक्ष अपने-अपने रुख पर अड़े हुए हैं. कमेटी सुरक्षा व्यवस्था और नियमों के पालन की बात कर रही है, जबकि खादिम इसे अपने अधिकारों पर हमला मान रहे हैं.
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Source: IOCL























