उद्धव ठाकरे-राज ठाकरे की एकजुटता पर शिंदे गुट का बड़ा दावा, प्रताप सरनाईक ने कहा- 'शिवसेना ऑफिस में...'
शिवसेना के नेता और महाराष्ट्र के मंत्री प्रताप सरनाईक ने कहा कि सेना (यूबीटी) की राजनीति बहुत स्वार्थी, नकली और विश्वासघाती रही है. यही कारण है कि उनके सहयोगी पार्टी छोड़ रहे हैं.

Uddhav Thackeray-Raj Thackeray: महाराष्ट्र में शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे और एमएनएस के चीफ राज ठाकरे की एकजुटता को लेकर बयानबाजी जारी है. इस बीच महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की पार्टी शिवसेना ने दोनों भाईयों पर निशाना साधा है.
शिवसेना के नेता और मंत्री प्रताप सरनाईक ने कहा कि लोगों को यह समझना चाहिए कि शिवसेना (यूबीटी) और एमएनएस मुंबई नगर निकाय में सत्ता हासिल करने के लिए एक साथ आए हैं, न कि मराठी के हित में.
शिवसेना शाखाओं में पढ़ाएंगे मराठी- मंत्री
उन्होंने कहा कि हमने शिवसेना शाखाओं में मराठी भाषा और शब्दों की बुनियादी शिक्षा देने का फैसला किया है. शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे को लिखे पत्र में सरनाईक ने रविवार (6 जुलाई) को कहा कि सेना (अविभाजित) ने 25 वर्षों तक बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को नियंत्रित किया. इस दौरान, मराठी मानुस को होटल उद्योग, रियल एस्टेट और सोने और चांदी के आभूषण की दुकानों से बाहर कर दिया गया. मराठी भाषा पर राजनीति करने वालों ने कभी आम मराठी लोगों के बारे में नहीं सोचा.
सरनाईक ने कहा कि उनकी (सेना यूबीटी) आत्मा बीएमसी के खजाने में फंसी हुई है. सेना (यूबीटी) की राजनीति बहुत स्वार्थी, नकली और विश्वासघाती रही है. यही कारण है कि उनके सहयोगी पार्टी छोड़ रहे हैं.
20 साल बाद साथ आए ठाकरे ब्रदर्स
बता दें कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे 20 साल बाद 5 जुलाई को सियासी मंच पर साथ नजर आए. महाराष्ट्र सराकर ने पिछले दिनों तीसरी भाषा के तौर पर पहली से पांचवीं कक्षा तक हिंदी पढ़ाने का फैसला लिया था. हालांकि विरोध के बाद इस फैसले को वापस ले लिया गया. सरकार के यू टर्न के बाद राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने विजयी रैली मनाने का ऐलान किया.
मंत्री ने कहा कि सेना (यूबीटी) ने मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की झूठी कहानी के साथ वोट हासिल किए, लेकिन स्थानीय भाषा के नाम पर राजनीति करने के बाद भी मराठी स्कूलों को बचाने में विफल रही. मनसे और सेना (यूबीटी) कहते रहते हैं कि वे मराठी के हित में एक साथ आए हैं. तो, वे किसके हित के लिए सालों पहले अलग हो गए थे? उन्होंने कहा कि मराठी, इसकी संस्कृति और भाषा और मराठी मानुष के लिए कोई प्रेम नहीं है.
राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़ने के बाद 2006 में MNS की स्थापना की थी. सरनाईक ने दावा किया कि सेना (UBT) ने मराठी भाषा के नाम पर मराठी मानुष को मूर्ख बनाया. उन्होंने पूछा कि मराठी मानुष के मुंबई से दूर बदलापुर, नालासोपारा और विरार जैसे दूरदराज के उपनगरों में जाने के लिए किसे दोषी ठहराया जाए?
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Source: IOCL
























