पुणे में तेंदुए की दहशत, अब बचने के लिए ग्रामीणों ने लगाया ऐसा देसी जुगाड़ जो हो गया वायरल
Pune Leopard News: पुणे जिले में तेंदुए के हमलों से ग्रामीण भयभीत हैं, खासकर शिरूर तालुका में. तेंदुओं की संख्या में भारी वृद्धि हुई है. हमलों से बचने के लिए ग्रामीणों ने कीलों वाला नेक बेल्ट पहना है.

पुणे जिले में तेंदुए के हमलों में अचानक बढ़ोतरी ने ग्रामीण इलाकों में दहशत फैला दी है. खासकर शिरूर तालुका के पिंपरखेड गांव में पिछले 20 दिनों में तीन लोगों की जान तेंदुए के हमले में जा चुकी है. इस लगातार बढ़ रहे खतरे के बीच गांव के लोगों ने आत्मरक्षा के लिए एक अनोखा लेकिन प्रभावी जुगाड़ खोज लिया है, गर्दन पर पहनने वाला कीलों वाला नेक बेल्ट, जो तेंदुए द्वारा सीधे गर्दन पर किए जाने वाले हमले से बचाव करता है.
जुन्नर वन प्रभाग में तेंदुओं की संख्या अब 2000 से अधिक बताई जा रही है, जबकि पांच साल पहले यह संख्या मात्र 200 के आसपास थी. पिछले 20 वर्षों में तेंदुए के हमलों में 56 लोगों की मौत हो चुकी है और 25,000 से अधिक पशु तेंदुए का शिकार बने हैं. हालात गंभीर होने के कारण ग्रामीणों ने हाल ही में अपना गुस्सा वन विभाग पर भी निकाला, विभाग की गाड़ी और कार्यालय को आग के हवाले कर दिया और पुणे–नासिक राजमार्ग जाम कर दिया.
प्रशासन का कहना है कि बढ़ती घटनाओं के बाद क्षेत्र में कई पिंजरे लगाए गए हैं और तेंदुए को पकड़ा जा रहा है, लेकिन संख्या अधिक होने से खतरा बना हुआ है.
समाधान तलाशने के किए जा रहे हैं प्रयास
पुणे जिला कलेक्टर जितेंद्र डूडी के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में तेंदुओं की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है और यही इन हमलों की वजह है. उन्होंने बताया कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए राज्य और जिला स्तर पर कई महत्वपूर्ण बैठक की गई हैं. पिछले एक महीने में इस मुद्दे पर लगातार चर्चा हुई है और समाधान तलाशने के प्रयास किए जा रहे हैं.
इस बीच ग्रामीणों ने अपनी सुरक्षा के लिए एक देसी तरीका खोज निकाला है. तेंदुआ आमतौर पर छोटी कद-काठी के लोगों और खेतों में काम करने वालों की गर्दन पर सीधा हमला करता है. इसी वजह से गांव की महिलाओं ने खेतों में काम करते समय कीलों से बना पट्टा पहनना शुरू कर दिया है.
तेंदुए को एक कुत्ते पर हमला करते देखा
महिला किसान लक्ष्मी पाटील के मुताबिक, इस विचार की प्रेरणा उन्हें तब मिली जब उन्होंने अपनी आंखों के सामने तेंदुए को एक कुत्ते पर हमला करते देखा. कुत्ता इसलिए बच गया क्योंकि उसके गले में कीलों वाला पट्टा था. इसी से ग्रामीणों को एहसास हुआ कि ऐसा ही सुरक्षा पट्टा इंसानों के लिए भी कारगर हो सकता है. अब पिंपरखेड में कई महिलाएं और किसान इस बेल्ट के बिना खेतों में जाना सुरक्षित नहीं मानते.
स्थिति का जायजा लेने पहुंचे लोकसभा के सांसद अमोल कोल्हे
प्रशासन ने भी इस पहल को देखते हुए क्षेत्र में 3300 से अधिक नेक बेल्ट ग्रामीणों में वितरित किए हैं ताकि लोग खेतों में काम करते समय आत्मरक्षा के लिए सजग और सुरक्षित रह सकें. दूसरी ओर, शिरूर लोकसभा के सांसद अमोल कोल्हे भी स्थिति का जायजा लेने पहुंचे और इसे अत्यंत गंभीर विषय बताते हुए कहा कि यह मुद्दा कई बार संसद में उठाया जा चुका है और सरकार को तत्काल ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है.
लगातार बढ़ते तेंदुए के हमलों की वजह से ग्रामीण दहशत में हैं और घर से बाहर निकलने में भी भय महसूस कर रहे हैं. प्रशासन के प्रयास जारी हैं लेकिन फिलहाल गांव के लोगों का यह जुगाड़ कीलों वाला नेक बेल्ट ही उनकी सबसे बड़ी ढाल बन गया है.
Source: IOCL





















