BMC चुनाव का जिक्र कर पृथ्वीराज चव्हाण का बड़ा बयान, 'कांग्रेस के भीतर बहुत...'
BMC Election 2025: महाराष्ट्र कांग्रेस में बीएमसी चुनाव को अकेले लड़ने की राय तेज हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि पार्टी के भीतर इसका समर्थन करने वालों की संख्या काफी है.

Prithviraj Chavan on BMC Elections: महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस में आगामी बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनाव को लेकर रणनीति पर मतभेद सामने आने लगे हैं. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने मंगलवार (1 जूलाई) को एक अहम बयान में कहा कि पार्टी के भीतर यह 'बहुत मजबूत राय' है कि कांग्रेस को यह चुनाव अकेले लड़ना चाहिए.
उनका यह बयान कांग्रेस के महाराष्ट्र प्रभारी रमेश चेन्निथला की उस टिप्पणी के एक दिन बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि पार्टी आगामी 7 जुलाई को तय करेगी कि एमवीए (MVA) गठबंधन के साथ चुनाव लड़ा जाए या नहीं.
'कांग्रेस को अपने बल पर बूथ तक पहुंचना चाहिए'
पृथ्वीराज चव्हाण ने पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि आमतौर पर जिला परिषद, पंचायत समितियों और अन्य स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस की जिला इकाइयां गठबंधन पर निर्णय लेती रही हैं. लेकिन इस बार कांग्रेस यह साफ कर चुकी है कि उसका किसी भी हालत में महायुति (सत्तारूढ़ BJP-शिवसेना-NCP गठबंधन) से कोई तालमेल नहीं होगा. उन्होंने कहा कि बीएमसी चुनाव को लेकर पार्टी में दो मत जरूर हैं, लेकिन बहुसंख्यक नेता यही चाहते हैं कि कांग्रेस को अपने झंडे और कार्यकर्ताओं के बल पर हर बूथ तक पहुंचना चाहिए.
'विधानसभा चुनाव में हमें नुकसान हो चुका है'
चव्हाण ने कहा, "अगर हम बहुदलीय गठबंधन में जाते हैं, तो कुछ सीटें छोड़नी पड़ती हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में हमें इसका बड़ा नुकसान हुआ था. हमारे सहयोगी दलों ने ऐसी सीटों पर टिकट मांगे जहां उनका कोई जनाधार नहीं था. उन्हें टिकट दिए गए लेकिन वे बुरी तरह हार गए और हमें भी नुकसान हुआ. सिर्फ मुंबई में ही हम चार से पांच सीटें अतिरिक्त जीत सकते थे." उन्होंने यह भी जोड़ा कि गठबंधन की मजबूरी के कारण कांग्रेस को वह लाभ नहीं मिल पाया जिसका वह हकदार थी.
चव्हाण ने दोहराया कि पार्टी में एक व्यापक और स्पष्ट सोच बन रही है कि BMC चुनाव कांग्रेस को अपने दम पर लड़ना चाहिए. उनके अनुसार, मुंबई जैसे महत्वपूर्ण नगर निगम चुनाव में पार्टी को अपने झंडे के साथ स्वतंत्र रूप से जनता के बीच जाना चाहिए, ताकि पार्टी का जनाधार मजबूत हो और आगामी विधानसभा चुनावों के लिए एक ठोस जमीन तैयार हो सके. अब सबकी निगाहें 7 जुलाई पर टिकी हैं जब कांग्रेस नेतृत्व इस मसले पर अंतिम निर्णय करेगा.
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