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Indore BRTS: क्या भोपाल के बाद अब इंदौर से भी हटेगा BRTS? इसपर क्या बोले इंदौर के महापौर और जानकार
BRTS News: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से BRTS हटाने का फैसला मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार ने लिया है. इसके बाद से ही अब इंदौर के BRTS को लेकर भी बहस छिड़ गई है. जानिए इसपर क्या कहना है मेयर का.
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Indore BRTS: इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (BRTS) के संबंध में स्थिति स्पष्ट की है. उनका कहना है कि अभी मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में BRTS सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है और देश में दूसरे नंबर पर इंदौर का BRTS आता है. ऐसे में BRTS को हटाने का फैसला बहुत सोच समझकर किया जाना चाहिए. वे आज इंदौर में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे.
भोपाल में हटेगा BRTS
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने मंगलवार को भोपाल में एक समीक्षा बैठक के दौरान भोपाल के 27 किलोमीटर लंबे BRTS को क्रमबद्ध तरीके से हटाने की बात कही. BRTS और भोपाल शहर के विकास की समीक्षा बैठक में उन्होंने यह निर्णय लिया है. दरअसल भोपाल के विधायक रामेश्वर शर्मा ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से कहा था कि BRTS की वजह से सामान्य जन और राहगीरों को सड़क पर चलने में परेशानी का सामना करना पड़ता है.
इस फैसले के बाद भोपाल के BRTS की समीक्षा की गई और उसे क्रमबद्ध तरीके से हटाने का फैसला किया गया. BRTS को हटाने में करीब 2 करोड़ रुपए खर्च होंगे. इसी बीच मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में बने BRTS को हटाने की मांग की जा रही है. इसी बात पर इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने स्पष्टीकरण दिया.
अध्ययन के बाद लेंगे कोई निर्णय
महापौर पुष्यमित्र भार्गव से पत्रकारों ने प्रश्न किया कि क्या इंदौर के BRTS को भी भोपाल की तर्ज पर हटाया जाएगा? इस पर महापौर भार्गव ने कहा कि इंदौर के BRTS के विषय में महत्वपूर्ण यह है कि देश में दूरसे पायदान पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट के तौर पर BRTS को हम चला रहे हैं. यह एक प्रोग्रेसिव स्टेप है, कुछ अच्छा करने का प्रयास है. यदि उसमें से बहुत सारे अच्छे परिणाम आते हैं तो उसे पर अध्ययन कर कर लोगों के सुझाव लेकर फिर कोई निर्णय किया जाएगा.
क्यों उठ रहे BRTS पर सवाल?
समाजसेवी किशोर कोडवानी ने कहा कि BRTS की वजह से आम यात्रियों के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है. सड़क का 37 प्रतिशत BRTS के लिए, 33 प्रतिशत सामान्य परिवहन के लिए और 30 प्रतिशत अन्य वाहनों के लिए इस्तेमाल हो रहा है. इस 37 प्रतिशत सड़क पर 2.3 प्रतिशत यात्री यात्रा कर रहे हैं, जबकि 33 प्रतिशत सड़क पर 97.7 प्रतिशत यात्री यात्रा करने को मजबूर हैं.
इस तरह 50 हजार यात्रियों की सुविधा के लिए 25 लाख लोगों को परेशानी झेलना पड़ रही है. मास्टर प्लान में एबी रोड की चौड़ाई 60 मीटर निर्धारित की गई है तो एलआइजी से नवलखा पावर हाउस तक यह 31.5 मीटर कैसे हो गई. BRTS में बाधक 20 निर्माण हटाए ही नहीं गए, नया निर्माण होता रहा. उन्होंने कहा कि BRTS प्रोजेक्ट में कई नियमों का उलंघन किया गया है. नगर और ग्राम निवेश से विधिवत नक्शा भी स्वीकृत नहीं करवाया गया. BRTS मार्ग पर एआइटीसीएल द्वारा अवैध बस स्टैंड संचालित किया जा रहा है.
इंदौर में सफल है BRTS
वरिष्ठ पत्रकार पंकज मुकाती का कहना है कि इंदौर में BRTS चलना ही चाहिए. इंदौर BRTS सफल है. कम समय में एसी बसों का सुविधाजनक सफर है. खासकर महिलाओं और छात्राओं के लिए. इसका और बेहतर उपयोग होना चाहिए बजाय इसे हटाने के. ये एक अच्छी शुरुआत है और हमें बड़ा सोचना चाहिए. भोपाल में तो निर्माण से लेकर बस तक घटिया हैं, वो भ्रष्टाचार की भेंट हैं. सिर्फ कार में बैठकर चौड़ी सड़क का नहीं सोचना चाहिए आम आदमी की सुविधा को भी देखना चाहिए. जो लोग इस रूट पर यात्रा कर रहे हैं उनकी भी सुनना चाहिए. भविष्य की संभावना को भी सोचना चाहिए.
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