Ujjain: सिंहस्थ मेले की जमीन पर काट दी गईं आवासीय कॉलोनियां, कांग्रेस ने CM शिवराज के मंत्री को घेरा
Simhastha Mela: मध्य प्रदेश के उज्जैन में हर 12 साल पर लगने वाला सिंहस्थ मेला चर्चा में बना हुआ है. यह चर्चा सिंहस्थ के लिए आवंटित जमीन पर कॉलोनियां काट देने को लेकर हो रही है.

MP News: धार्मिक नगरी उज्जैन (Ujjain) में सिंहस्थ की भूमि पर 100 से ज्यादा कॉलोनियां काट दी गईं. इस मुद्दे पर किसी ने अभी तक कोई आवाज नहीं उठाई. चुनावी साल होने की वजह से अब सिंहस्थ की भूमि को लेकर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने है. पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा (Sajjan Singh Verma) ने शिवराज सरकार के मंत्री मोहन यादव (Mohan Yadav) पर तमाम आरोप लगाए हैं. दूसरी तरफ उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने भी पलटवार किया है.
उज्जैन में 12 साल में एक बार सिंहस्थ महापर्व का आयोजन होता है, जिसमें देश भर के करोड़ों श्रद्धालु आते हैं. सिंहस्थ महापर्व हमेशा से उज्जैन के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण पर्व साबित हुआ है. सिंहस्थ महापर्व की तैयारियों को लेकर सरकार करोड़ों रुपया खर्च करती है. सिंहस्थ 2004 में लगभग 2000 करोड़ रुपए की राशि खर्च की गई थी जबकि सिंहस्थ 2016 में सरकार ने 5000 करोड़ रुपए की राशि खर्च किए थे. सिंहस्थ 2028 में यह राशि 10000 करोड़ तक पहुंच सकती है. सिंहस्थ की भूमि को लेकर हमेशा से बीजेपी और कांग्रेस में मतभेद रहे हैं.
जमीन को आवासीय बनाने का आरोप
इस बार पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने मास्टर प्लान को आधार बनाते हुए शिवराज सरकार के मंत्री मोहन यादव पर निशाना साधा है. उन्होंने आरोप लगाया कि मोहन यादव और बीजेपी नेताओं को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार ने सिंहस्थ की जमीन को आवासीय कर दिया. दूसरी तरफ उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने पूर्व मंत्री के आरोपों को गलत बताया है. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि उनके नाम पर सिंहस्थ बाईपास पर एक इंच भी जगह नहीं है. इसके अलावा सिंहस्थ बाईपास पर सिंहस्थ के लिए आरक्षित भूमि भी नहीं है. सिंहस्थ के सभी पड़ाव उत्तर विधानसभा में लगते हैं, दक्षिण विधानसभा में सिंहस्थ का मेला नहीं लगता है.
क्यों उपज रहा है सिंहस्थ मेले की जमीन का विवाद ?
उज्जैन में सिंहस्थ 2028 को लेकर लगभग 6000 हेक्टेयर भूमि का की आवश्यकता महसूस की जा रही है. सिंहस्थ का मेला उत्तर विधानसभा क्षेत्र में लगता है. 12 साल में 1 महीने की अवधि में लगने वाले इस मेले के बाद भूमाफियाओं द्वारा मेला क्षेत्र में कॉलोनिया काट दी जाती हैं. दरअसल सरकार सिंहस्थ मेला क्षेत्र में विकास कार्य करती है जिसमें सड़क, नाली, पेयजल आदि की व्यवस्था का लाभ उठाकर सिंहस्थ मेले के बाद यहां पर कॉलोनिया काट दी जाती हैं. यहां 100 से ज्यादा कॉलोनी तक कट चुकी है.
शिवराज सिंह चौहान के संकेत के बाद मची हलचल
जनवरी 2020 में मास्टर प्लान की फाइल भोपाल भेज दी गई थी. सवा दो साल तक सरकार के पास फाइल रही, इसके बाद मास्टर प्लान को लागू कर दिया गया. 26 मई 2023 को मास्टर प्लान का नोटिफिकेशन हुआ. इसके बाद कांग्रेस ने मास्टर प्लान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. चुनावी साल होने की वजह से सरकार भी बैकफुट पर आ गई. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद ट्वीट करते हुए कहा कि यदि आवश्यकता हुई तो मास्टर प्लान में बदलाव किया जाएगा. अब सवाल यह उठता है कि सवा दो साल तक सरकार के पास मास्टर प्लान की फाइल पड़ी रही, तब उस फाइल पर मंथन क्यों नहीं हो पाया ?
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Source: IOCL






















