मध्य प्रदेश के सिंगरौली में कचरा घोटाला, 18 करोड़ खर्च, फिर भी गंदगी, EOW की जांच शुरू
MP News: मध्य प्रदेश के सिंगरौली में कचरा घोटाले में नगर निगम ने सिटाडेल कंपनी को 45 वार्डों में 20 सालों के लिए ठेका दिया. वार्ड 34-35 में डबल भुगतान हुआ. EOW जांच में शामिल अधिकारी सामने आएंगे.

दुनिया के नक्शे पर अपनी पहचान बना चुका मध्य प्रदेश का सिंगरौली जिला, भले ही हर साल कूड़ा (Garbage) उठाने के लिए करीब 18 करोड़ रुपये खर्च करता हो, लेकिन यहां कभी भी सड़क किनारे कूड़े के ढेर देखे जा सकते हैं.
आलम यह है कि शहर के कूड़े को उठाकर शहर के अंदर ही सड़कों के किनारे व नदी, नाले में डंप किया जा रहा है, जिससे सड़कों पर चलना मुश्किल हो गया है. केवल सिंगरौली नगर निगम क्षेत्र की साफ-सफाई पर नगर निगम से हर साल करीब 18 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की जाती है. उसके बाद भी शहर के हालात नहीं बदल रहे हैं.
सिटाडेल कंपनी को 45 वार्डों में कचरा प्रबंधन का ठेका
वैसे तो सिंगरौली नगर निगम ने शहर को साफ व स्वच्छ रखने के लिए सिटाडेल ISWM प्राइवेट लिमिटेड को जिम्मेदारी सौपी है. साल 2018 में नगर निगम सिंगरौली और सिटाडेल कंपनी के बीच शहर के कुल 45 वार्डों में कचरा संकलन एवं प्रबंधन के कार्य करने के लिए अनुबंध किया गया है.
इसका भुगतान नगर निगम प्रतिमाह करीब डेढ़ करोड़ रुपये करती है, लेकिन उसके बावजूद शहर की गंदगी साफ नहीं हुई. यह जरूर है कि नगर निगम का सरकारी खजाना साफ हो रहा है.
सिंगरौली में डोर टू डोर कचरा संकलन घोटाला
सिंगरौली नगर निगम में 45 वार्ड हैं, जिनमें वार्ड 34 व 35 भी शामिल हैं. ये दोनों वार्ड पहले से ही NTPC परियोजना क्षेत्र में आते हैं, जहां साफ-सफाई की जिम्मेदारी NTPC की है. लेकिन हैरानी की बात यह है कि डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन करने वाली सिटाडेल कंपनी नगर निगम से भी सफाई के नाम पर भुगतान ले रही है.
साथ ही, NTPC से भी, यानी डबल गेम एक काम, दो भुगतान. बताया जाता है कि इस भ्रष्टाचार में सभी शामिल हैं. 2018 में रजिस्टर्ड हुई नवजात कंपनी को नगर निगम ने बिना किसी अनुभव के आधार पर कचरा संकलन और प्रबंधन का काम 20 सालों के लिए सिटाडेल कंपनी को दे दिया.
यह खेल सब की मिलीभगत?
इतना ही नहीं, नगर निगम सिंगरौली ने यह जानते हुए कि वार्ड क्रमांक 34 व 35 NTPC परियोजना विन्ध्यनगर के क्षेत्र में आते हैं, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी NTPC की है, लेकिन उसके बावजूद साफ-सफाई व कचरा संकलन के लिए कंपनी को अनुबंध में शामिल कर दिया.
उधर, NTPC ने भी उसी कंपनी को साफ-सफाई के लिए ठेका दे दिया. मजे की बात यह है कि ठेकेदार को नगर निगम और NTPC दोनों से साफ-सफाई व डोर-टू-डोर कचरा संकलन के लिए भुगतान किया जा रहा है. यह खेल सब की मिलीभगत के बिना कैसे संभव हो सकता है?
EOW तक पहुंच गई इस घोटालें की आंच
जैसे ही इस घोटाले की जानकारी EOW को लगी, EOW की टीम ने नगर निगम आयुक्त को पत्र लिखकर कई बिंदुओं पर जानकारी मांगी है. फिलहाल, EOW की जांच के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि इस घोटाले के खेल में कौन-कौन अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं.
इस मामले में नगर निगम सिंगरौली की सहायक आयुक्त रुपाली द्विवेदी ने कहा कि मामला मेरे संज्ञान में आया है, जांच कराई जाएगी.
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Source: IOCL





















