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खाट पर MP की स्वास्थ्य व्यवस्था: एंबुलेंस नहीं मिली तो शव लेकर 20 KM पैदल चले परिजन, देखिए VIDEO
Singrauli News: भुईमाड़ के थाना प्रभारी ने बताया कि मृतक के परिजनों को एम्बुलेंस नहीं मिली थी. वो खाट पर शव रखकर पैदल गांव जा रहे थे. इसकी सूचना मिलने पर पुलिस वाहन से शव को मृतक के घर तक पहुंचाया गया.
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सिंगरौली: मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले से एक दिल को झकझोर देने वाली तस्वीर सामने आई है. यहां शव वाहन न मिलने की वजह से एक परिवार को बुजुर्ग व्यक्ति के शव को खाट के सहारे पैदल गांव तक ले जाने मजबूर कर दिया. परिजन शव को खाट में ढोकर पैदल 20 किलोमीटर के सफर पर निकल गए. जब उन्होंने पांच किलोमीटर तक का सफर तय कर लिया तो बीच रास्ते में पुलिस ने मदद की. पुलिस ने एक वाहन से शव को उनके घर तक पहुंचवाया.
कहां और कब की है घटना
दरअसल, यह मामला जिले के सरई तहसील का है, जहां शुक्रवार को सिंगरौली जिले के समीप सीधी जिले के बेंदो गांव के रहने वाले 65 साल के मनमोहन सिंह अपने बेटी के यहां सिंगरौली जिले के झारा गांव में गए हुए थे. वहां उनका आकस्मिक निधन हो गया. इसके बाद उनके दामाद ने शव को उनके घर पहुचाने के लिए एम्बुलेंस या शव वाहन के लिए फोन पर संपर्क किया. इस पर अस्पताल ने शव वाहन देने से इनकार कर दिया.
इसके बाद मृतक के परिजनों ने झारा गांव से शव को ले जाने के लिए खाट का सहारा लिया. परिजन खाट पर शव लेकर मृतक के गांव सीधी जिले के बेंदो के लिए निकल पड़े. परिजन शव को खाट में ही बांधकर 20 किलोमीटर का सफर तय करने निकल गए. उन्होंने जैसे सीधी जिले में प्रवेश किया, वहां जिले के भुईमाड थाना के जवानों की जब इन पर नजर पड़ी. उन्होंने इसकी सूचना थाना प्रभारी को दी. वो भी मौके पर पहुंचे. उन्होंने तुरंत पुलिस वाहन से शव को मृतक के गांव पहुंचवाया.
भुईमाड़ के थाना प्रभारी आकाश सिंह राजपूत ने बताया कि मृतक के परिजनों ने एम्बुलेंस वाहन के लिए संपर्क किया था, लेकिन उन्हें मिल नहीं पाया था. इसके बाद वो पैदल ही खाट पर शव को लेकर मृतक के गाव जा रहे थे. हमे किसी ने फोन के माध्यम से सूचना दी. इसके बाद पुलिस के वाहन से शव को मृतक के घर तक पहुंचाया गया.
क्या कहना है पुलिस का
बता दें कि आजादी के 76 साल बाद भी रीवा संभाग में ऐसी तस्वीरे देखने को मिल जाती हैं. कभी मरीज को अस्पताल में भर्ती कराने खाट पर ले जाना पड़ता है. सरकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार सही ढंग से नहीं होने का खमियाजा उर्जान्चल नगरी में बसे आदिवासियों को भुगतान पड़ रहा है.खाट पर शव ले जाने के दौरान रास्ते में पढ़े-लिखे लोग भी गुजरे होंगे,लेकिन किसी ने रुककर मदद के लिए नहीं पूछा. प्रदेश की उर्जाधानी के नाम से विख्यात सिंगरौली जिले से निकलकर सामने आई यह तस्वीर प्रदेश सरकार के विकास के दावे का आइना दिखाने वाली है.
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