Kuno National Park: कूनो नेशनल पार्क में कल आएंगे आठ चीते, आस पास की जमीन की कीमतों में इजाफा
MP Cheetah News: एमपी में 70 साल बाद चीते की आमद से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुश हैं. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि एमपी अब चीता स्टेट भी होने वाला है.
Kuno National Park MP: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में 70 साल बाद चीता की आमद से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) भी बेहद गदगद हैं. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि मैं मध्य प्रदेश का सौभाग्य मानता हूं कि हम टाइगर स्टेट थे, लेपर्ड स्टेट हैं और अब चीता स्टेट भी होने वाले हैं. उन्होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को और भारत सरकार को धन्यवाद देता हूं.
सदी की सबसे बड़ी घटना बताया
सीएम शिवराज सिंह चौहन ने कहा कि हमने 20 साल पहले कूनो को तैयार किया था ताकि यहां वाइल्डलाइफ पनपेगी. हमने कई गांव हटाए थे ताकि वह सुरक्षित सेंचुरी बने. जहां चीते आएं और बाकी तरह के वाइल्डलाइफ भी रहे. उन्होंने कहा कि अब वह सपना साकार हो रहा है, संकल्प पूरा हो रहा है. सीएम ने कहा कि नामीबिया से चीते आ रहे हैं और उसके बाद दक्षिण अफ्रीका से भी आएंगे. चीते का आना एक असाधारण घटना है. सीएम इसे असाधारण इसलिए कह क्योंकि देश में चीते का अस्तित्व 1952 के आसपास समाप्त हो गया था पर अब दूसरे महाद्वीप अफ्रीका से चीते लाकर उनको एमपी में पुनर्स्थापित कर रहे हैं. सीएम ने इसे वाइल्डलाइफ की इस सदी की सबसे बड़ी घटना बताया.
#WATCH | First look of Cheetahs that will be brought from Namibia to India on 17th September at KUNO National Park, in Madhya Pradesh pic.twitter.com/HOjexYWtE6
— ANI (@ANI) September 16, 2022
जमीन के दाम 15 गुना तक बढ़े
मध्य प्रदेश में चीता आने से श्योपुर जिले में वाकई समृध्दि के नए द्वार खुलने वाले हैं. मुख्यमंत्री चौहान ने खुद स्वीकार किया कि कूनो नेशनल पार्क के आसपास जमीन के दाम बढ़ गए हैं. यहां आगे चलकर होटल खुलेंगे, टैक्सी आएंगी तो लोगों को रोजगार भी मिलेगा. इस इलाके में जमीन की कीमतें उछाल मारने लगी है. पिछले एक साल में जमीन के भाव 15 गुना से भी ज्यादा बढ़ गए हैं. स्थानीय लोग खुश हैं, क्योंकि उन्हें पर्यटक आने के कारण रोजगार के अवसर बढ़ने की संभावनाएं दिख रही है. गांववालों के मुताबिक नेशनल पार्क के आसपास की अधिकांश जमीनें आदिवासियों की हैं. उनका सौदा नहीं किया जा सकता.
इन जमीनों की रजिस्ट्री नहीं हो सकती लेकिन जो जमीनें सामान्य वर्ग की है और बिक सकती है, उनमें से अधिकांश के सौदे हो गए हैं. ग्रामीण इससे खुश हैं क्योंकि एक साल पहले तक उन्हें एक बीघा जमीन के लिए बमुश्किल एक लाख रुपये मिल रहे थे. अब खरीददार आसानी से 10 से 15 लाख रुपये तक देने को तैयार हैं. आदिवासियों की जमीन में पार्टनरशिप के माध्यम से होटल-रिसोर्ट खोलने की बातचीत भी होने लगी है.
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