MP Election 2023: एक-एक करके ज्योतिरादित्य सिंधिया को झटका दे रहे समर्थक, अब इस नेता ने बीजेपी को दी टेंशन!
MP Elections 2023: राकेश गुप्ता उन नेताओं में शामिल हैं जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस का साथ छोड़ बीजेपी में शामिल हुए थे. उन्होंने कई बीजेपी पदाधिकारियों के साथ कांग्रेस का दामन थामा है.

MP Assembly Elections 2023: मध्य प्रदेश विधान सभा चुनाव से पहले बीजेपी को एक और झटका लगा है. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी माने जाने वाले भारतीय जनता पार्टी के शिवपुरी जिला उपाध्यक्ष राकेश गुप्ता अपने समर्थकों के साथ वापस कांग्रेस में शामिल हो गए. गुप्ता 2020 की शुरुआत में कांग्रेस छोड़कर उस वक्त बीजेपी में शामिल हुए थे, जब मध्यप्रदेश में 15 महीने पुरानी कमलनाथ नीत कांग्रेस सरकार के गिरने के बाद शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी. सिंधिया भी कांग्रेस छोड़ने के बाद 2020 में भगवा पार्टी में शामिल हो गए थे.
पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ हुए शामिल
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की उपस्थिति में सोमवार को भोपाल स्थित प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की. यही नहीं शिवपुरी के कई बीजेपी पदाधिकारियों और सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने भगवा दल छोड़ कांग्रेस का दामन थामा.
कमलनाथ ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने वाले लोगों का पार्टी का पटका पहनाकर स्वागत किया. कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने वालों में शिवपुरी के राकेश गुप्ता के अलावा, दिनेश नागर (पार्षद), सहदेव लोधी (जनपद सदस्य), श्यामलाल राजे (पूर्व पार्षद) एवं सूरज अवस्थी सहित 500 से अधिक कार्यकर्ता शामिल हैं. बड़ी बात ये है कि राकेश गुप्ता 500 गाड़ियों के काफिले के साथ कांग्रेस में शामिल हुए.
इन नेताओं ने भी छोड़ी पार्टी
वहीं राकेश गुप्ता से पहले पूर्व मुख्यमंत्री सीएम कैलाश जोशी के बेटे और कई बार के विधायक दीपक जोशी, बैजनाथ यादव, ध्रुव प्रताप सिंह, दतिया के पूर्व विधायक राधे श्याम बघेल और कटनी में बीजेपी के पदाधिकारी शंकर महतो जैसे नेता भी बीजेपी का साथ छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए हैं.
अभी तेज होगा नेताओं के दल बदलने का दौर
वहीं विधानसभा चुनाव से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों का इस तरह से बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल होना बीजेपी के लिए आने वाले समय में मुश्किल खड़ी कर सकता है. दरअसल जब इस तरह से किसी पार्टी के नेता दल छोड़ते हैं तो चुनाव से पहले उस पार्टी के लिए नेगेटिव माहौल बनता है. राजनीतिज्ञों की मानें तो जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आएंगे नेताओं के दल बदलने का सिलासिला तेज होगा.
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Source: IOCL























