Dewas: देवास में पीएम आवास योजना में करोड़ों की हेराफेरी, 32 कर्मचारी और अधिकारी गड़बड़ी में शामिल
डीएसपी के मुताबिक, पूरे मामले की जांच अंतिम चरण में है. जांच में पाया गया है कि हेराफेरी के इस पूरे सिंडिकेट में 32 कर्मचारी और अधिकारी लिप्त पाए गए हैं.
Madhya Pradesh News: सरकार भले ही शासकीय योजनाओं में पारदर्शिता के लिए तमाम डिजिटल कदम उठा रही है. वहीं जब नेताओं का अधिकारियों के साथ एक सिंडिकेट बन जाए तो सारी पारदर्शिता पर पानी फेरा जा सकता है. इस बात का गवाह मध्य प्रदेश का देवास (Dewas) जिला है. यहां पर गरीबों के मकान के लिए आई करोड़ों रुपये की राशि अध्यक्ष से लेकर डिप्टी कलेक्टर तक खा गए. इस मामले में दोषियों पर लगातार शिकंजा कसा जा रहा है.
करोड़ों रुपये की हेरा फेरी
गौरतलब है कि बेघर गरीब परिवारों को मकान मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी योजना प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत करोड़ों लोगों को लाभ पहुंचाया जा रहा है. इस योजना को देवास जिले की तीन नगर परिषद ने पलीता लगा दिया है. लोकायुक्त डीएसपी सुनील तालान ने बताया कि नगर परिषद लोहारदा, नगर परिषद सतवास और नगर परिषद कांटा फोड़ के बारे में शिकायत मिली थी. यहां पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सरकार द्वारा प्रदान की गई करोड़ों रुपये की राशि की हेराफेरी हुई है.
32 कर्मचारी और अधिकारी शामिल
इस मामले की जब जांच शुरू की गई तो शिकायत सही साबित हुई. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नगर परिषद को दी गई करोड़ों रुपये की राशि को दूसरे मद में खर्च कर दिया गया. इसके लिए तमाम बिल भी बनवाए गए जो कि फर्जी दिखाई दे रहे हैं. डीएसपी के मुताबिक इस मामले में तीनों नगर परिषद के अध्यक्ष, अकाउंटेंट, प्रभारी तहसीलदार और एक एसडीएम की संलिप्तता पाई गई है, जिसकी जांच चल रही है. यह जांच अंतिम चरणों में है. पूरा जांच प्रतिवेदन लोकायुक्त भोपाल को भेजा जाएगा जिसके बाद दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी. उन्होंने बताया कि इस पूरे सिंडिकेट में 32 कर्मचारी और अधिकारी शामिल पाए गए हैं.
5 सालों तक लगातार चलती रही हेरा फेरी
लोकायुक्त डीएसपी सुनील तालान ने बताया कि 1 अप्रैल 2017 से हेरा फेरी शुरू हुई थी जो लगातार 2021 तक चलती रही. उन्होंने बताया कि जिस फर्म को करोड़ों रुपये भुगतान किया गया है, उस फर्म के द्वारा लिया गया सामान स्टॉक रजिस्टर में नहीं मिल रहा है. इसके अलावा प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि का रजिस्टर भी गायब है. इसके अतिरिक्त कैशबुक और बाउचर का भी कोई अता-पता नहीं है. इस प्रकार से हेराफेरी करने के साथ-साथ सबूत मिटाने की भी कोशिश की गई है.
कलेक्टर की सक्रियता से हुआ खुलासा
देवास कलेक्टर चंद्रमौली शुक्ला के पास लगातार गरीबों की शिकायत पहुंच रही थी कि उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवंटित की गई राशि नहीं मिल पा रही है. इसके बाद कलेक्टर चंद्रमौली शुक्ला ने कन्नौद अनुविभागीय अधिकारी से पूरे मामले की जांच करवाई. जब मामले की गड़बड़ी सामने आई तो उन्होंने लोकायुक्त को पत्र लिखकर पूरी घटना से अवगत करवाया. इसके अलावा पूरे मामले में दोषियों पर कड़ी कार्रवाई और घोटाले का पता लगाने का आवेदन भी दिया. इसके बाद लोकायुक्त भोपाल के निर्देश पर उज्जैन लोकायुक्त ने अपनी जांच शुरू की. यह जांच पिछले 6 महीने से गोपनीय तरीके से चल रही है.
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Source: IOCL























