Delhi: 'उपहास करना आपको शोभा नहीं देता', रेखा गुप्ता पर अरविंद केजरीवाल का पलटवार, पढ़ें पूरा मामला
Delhi Politics: दिल्ली CM रेखा गुप्ता के ‘विपश्यना’ तंज पर अरविंद केजरीवाल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. केजरीवाल ने कहा कि भगवान बुद्ध की ध्यान पद्धति का मजाक उड़ाना अनुचित है.

दिल्ली में प्रदूषण को लेकर राजनीतिक बहस के बीच ‘विपश्यना’ ध्यान पद्धति पर तंज और जवाबी कटाक्ष सामने आए हैं. 14 दिसंबर को आम आदमी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की टिप्पणी को अनुचित बताते हुए कहा कि ध्यान की प्राचीन तकनीक का मजाक नहीं उड़ाया जाना चाहिए.
बता दें कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पिछले सप्ताह एक कार्यक्रम में दिए अपने भाषण का वीडियो शेयर करते हुए प्रदूषण से निपटने के अपने नजरिये को बताया. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार दिल्ली में रहते और काम करते हुए समस्या का समाधान खोज रही है. वहीं, रेखा ने केजरीवाल पर तंज कसते हुए कहा कि वे “खांसी ठीक करने के लिए” दिल्ली छोड़कर ‘विपश्यना’ का अभ्यास करने के लिए “भाग नहीं जाएंगी”. उन्होंने यह भी जोड़ा कि “मेरी दिल्ली, मेरी जिम्मेदारी” के भाव के साथ काम किया जा रहा है और समस्या का समाधान भी यहीं दिल्ली में मिलेगा. पोस्ट के साथ मुख्यमंत्री ने दावा किया कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों उपाय लागू किए जा रहे हैं.
केजरीवाल की प्रतिक्रिया और ‘विपश्यना’ का संदर्भ
रेखा गुप्ता की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए अरविंद केजरीवाल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कड़ा संदेश दिया. उन्होंने लिखा कि राजनीतिक दुश्मनी अलग बात है, लेकिन भगवान बुद्ध द्वारा सिखाई गई ‘विपश्यना’ ध्यान विधि का इस तरह उपहास करना किसी मुख्यमंत्री को शोभा नहीं देता. पीटीआई के अनुसार, केजरीवाल ने कहा कि ध्यान की इस पद्धति का मजाक उड़ाना न केवल अनुचित है, बल्कि यह आध्यात्मिक परंपरा के प्रति असंवेदनशीलता भी दर्शाता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी राजनीतिक मतभेद के बावजूद सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्ति को संयमित भाषा का प्रयोग करना चाहिए.
राजनीति, जिम्मेदारी और संदेश का असर
केजरीवाल ने आगे कहा कि ‘विपश्यना’ करना भागना नहीं है, बल्कि यह सौभाग्यशाली लोगों को ही प्राप्त होता है और इससे अपार शांति मिलती है. उन्होंने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से स्वयं ‘विपश्यना’ का अभ्यास करने का आग्रह भी किया. इस पूरे प्रकरण ने दिल्ली में प्रदूषण जैसे गंभीर मुद्दे पर राजनीतिक संवाद की दिशा पर सवाल खड़े किए हैं. जहां एक ओर सरकार अपने उपायों और जिम्मेदारी की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर शब्दों के चयन और सांस्कृतिक संदर्भों को लेकर विवाद बढ़ता दिख रहा है.
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