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CM मोहन यादव ने ‘विश्वरंग 2025 टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव' को किया संबोधित

MP News: मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 'विश्वरंग-2025' में भाषा, संस्कृति के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने हिंदी को लोक भाषा बताते हुए कहा कि यह वैश्विक मंच पर भारत की पहचान बन रही है.

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि भाषा और संस्कृति एक-दूसरे की सहज पूरक हैं. संस्कृति, भाषा को वह कथा-बीज देती है, जिनसे लोक-साहित्य से लेकर वैश्विक साहित्य जन्म लेता है और भाषा, संस्कृति को वह अभिव्यक्ति देती है, जिससे परंपराएं पीढ़ियों तक सुरक्षित यात्रा कर पाती हैं. भाषा और संस्कृति दोनों एक-दूसरे की संरक्षक भी हैं. साहित्य का एक ही रंग होता है, राग और आनंद का. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हिन्दी भाषा सच्चे अर्थों में लोक भाषा है. हिन्दी हमारे माथे की बिन्दी है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आज हमारी हिन्दी वैश्विक मंच पर भारत की पहचान बन रही है. उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति ने अधिसत्ता नहीं, सदैव प्रभुसत्ता और लोक बन्धुत्व की भावना रखी. हमारी संस्कृति जियो और जीने दो की पवित्र भावना से ओत-प्रोत है. यही कारण है कि आज भारतीय संस्कृति दुनियाभर में अपनी अलग पहचान रखती है.

मुख्यमंत्री डॉ. यादव शुक्रवार को रवीन्द्र भवन में साहित्य और कला के सबसे बड़े उत्सव ‘विश्वरंग–2025 टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव' में देश-विदेश से आए साहित्यकारों, कलाकारों और युवाओं को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने सभी का मध्यप्रदेश की धरती पर स्वागत-अभिनंदन किया. उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की सृजनात्मक और कलात्मक धरती हिन्दी भाषा और भारतीय संस्कृति को जोड़ने वाली सेतु बन गई है.

हमारा भोपाल अब भारतीय संस्कृति, भारतीय भाषा चेतना और वैश्विक साहित्यिक संवाद का केन्द्र बन गया है. महोत्सव में विभिन्न देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. कार्यक्रम में कई सत्र, कविता पाठ, पैनल चर्चा, कला प्रदर्शनियां और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां आयोजित की जा रही हैं. इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव को विश्वरंग का कैटलॉग, हिन्दी भाषा की मार्गदर्शिका एवं पुस्तकें भेंट की गईं.

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि साहित्य सच्चे अर्थों में एक दीर्घ साधना है और साहित्यकार एक प्रयोगधर्मी साधक है. साहित्यकार अपनी कल्पनाशीलता, चिंतन और रचनात्मकता से ऐसे शब्द गढ़ता है, जो कालांतर में अमर हो जाते हैं. उन्होंने साहित्य और कला को समाज का दर्पण बताते हुए कहा कि विश्वरंग जैसे आयोजन नई पीढ़ी में सृजनशीलता और संवेदनशीलता को प्रोत्साहित करते हैं.

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि रवीन्द्रनाथ टैगोर की विचारधारा और उनकी वैश्विक दृष्टि आज भी दुनिया भर में संवाद, सौहार्द और मानवता का संदेश देती है. विश्वरंग–2025 जैसा मंच साहित्य, कला, संगीत और संस्कृति को जोड़ने का माध्यम है. यह आयोजन हमारी समृद्ध देशज कला एवं संस्कृति का पोषक है. यह हमारे साहित्यिक वैविध्य में भी एकात्मकता का संदेश देता है. साहित्य लोक-समाज को दिशा देने वाले कर्म के साथ हमारी जीवनधारा का मानस मर्म भी है.

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि दुनिया में कई देशों की अपनी-अपनी संस्कृति है. लेकिन भारत का उद्भव मातृ सत्ता के आधार पर विश्व बंधुत्व को लेकर आगे बढ़ने की रही है. ब्रिटिश काल से ही भारतवंशी दुनिया के अनेक देशों में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं. भारतीय इतिहास पर नजर डालें, तो अंग्रेज कभी एग्रीमेंट कर भारतीयों को कृषि और पशुपालन सहित अन्य कार्यों के लिए अपने स्वामित्व वाले देशों में ले गए थे. इन्हीं को गिरमिटिया कहा गया है. तब अंग्रेजों ने देशभर से इन शुभ कार्यों के लिए सुयोग्य लोगों को चुना था. आज विश्वरंग के माध्यम से 70 देशों के साहित्यकार, कलाकार और संस्कृति संरक्षक भोपाल आए हैं.

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कोविड के कठिन दौर में भारत ने "जियो और जीने दो" के भाव के आधार पर बंधुत्व का संदेश दिया. अफ्रीका महाद्वीप के कई देशों तक दवाएं और मेडिसिन भेजी गईं, जिसके बाद ऐसे भी दृश्य सामने आए जब एक देश के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री श्री मोदी को धन्यवाद देते हुए उनके चरण भी स्पर्श किये. हमारा यह उदार भाव ही भारतवंशियों को गौरव का अनुभव कराता है. कुछ काम बोलकर नहीं होते, उन्हें करके ही दिखाना पड़ता है.

सात साल में सत्तर देशों तक पहुंचा विश्वरंग

विश्वरंग फांउडेशन के संस्थापक और रवीन्द्रनाथ टैगोर यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति डॉ. संतोष चौबे ने कहा कि विश्वरंग एक ऐसा आयोजन है, जिसकी शुरुआत मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से हुई. विश्वरंग के पहले आयोजन 2019 में केवल 16 देश शामिल थे, अब इसमें 70 से अधिक देश सहभागिता कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि यह सातवां आयोजन है. विश्वरंग में 40 देशों के 70 से अधिक साहित्यकार एवं पत्रकार सहभागिता कर रहे हैं. आयोजन में 1000 से अधिक अतिथि आए हैं.

विश्वरंग में 100 से अधिक हिंदी पुस्तकों का विमोचन किया जाएगा. आयोजन में श्रीकृष्ण लीला मंचन भी आकर्षण का केंद्र है. यह आयोजन युवाओं के लिए कौशल विकास एवं रोजगार प्राप्त करने में भी सहभागी बन रहा है. विश्वरंग में समाचार-पत्र, कला-संस्कृति एवं विज्ञान आधारित 7 अलग-अलग प्रदर्शनियां भी लगाई गई हैं. दुनिया के कई देशों में हिंदी को आगे बढ़ाने वाले साहित्यकार भारत आना चाहते हैं और सरकार के साथ मिलकर हिंदी को आगे बढ़ाना चाहते हैं. वर्ष 2019 से 2024 तक, विश्वविद्यालय ने विश्वरंग के 6 भव्य और अविस्मरणीय आयोजन किए जो न केवल मध्यप्रदेश, बल्कि पूरे विश्व में हिन्दी प्रेमियों को जोड़ने का अद्भुत प्रयास रहे हैं.

विश्वरंग में 80 से अधिक सत्रों का आयोजन किया जा रहा है. साथ ही अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी ओलंपियाड में 1 लाख से अधिक विद्यार्थियों ने भाग लिया है. उन्होंने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि विश्वरंग फांउडेशन को अब सरकार का साथ मिल रहा है और अब मध्यप्रदेश सरकार इस विशिष्ट महोत्सव को शासन की ओर से आयोजित करने की ओर कदम बढ़ा रही है.

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