पुलिस कस्टडी में युवक की मौत, महबूबा मुफ्ती ने उठाया मुद्दा, जम्मू-कश्मीर पुलिस की आई सफाई
Jammu Kashmir News: जम्मू के कठुआ में एक ओवर ग्राउंड वर्कर की हिरासत में मौत के मामले पर महबूबा मुफ्ती के आरोपों का जवाब देते हुए जम्मू पुलिस ने कहा कि मक्खन दीन एक आतंकवादी का भतीजा था.

Jammu Kashmir Police: जम्मू के कठुआ जिले के बिलावर में एक आतंकी ओवर ग्राउंड वर्कर की कथित हिरासत में हुई मौत में जम्मू कश्मीर में पुलिस बना बनाम सरकार हो गया है. इस मामले को सबसे पहले पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने उठाया था. गुरुवार (6 फरवरी) की सुबह पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने एक सोशल मीडिया पोस्ट किया.
महबूहा मुफ्ती ने लिखा, ''जम्मू के कठुआ से चौंकाने वाली खबर: पेरोडी, बिलावर के 25 वर्षीय माखन दीन को बिलावर के एसएचओ ने ओवर ग्राउंड वर्कर होने के झूठे आरोप में हिरासत में लिया था. कथित तौर पर उसे क्रूर पिटाई और यातना का शिकार बनाया गया, उसे कबूल करने के लिए मजबूर किया गया और आज दुखद रूप से मृत पाया गया.
Shocking news from Kathua: Makhan Din, aged 25 from Perody, Billawar, was detained by the SHO of Billawar on false charges of being an Over Ground Worker (OGW). He was reportedly subjected to brutal thrashing and torture, forced into a confession, and tragically found dead today.…
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) February 6, 2025
इलाके को सील कर दिया गया है और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं. इससे बड़े पैमाने पर दहशत फैल गई है. लगातार कार्रवाई चल रही है और ज्यादा लोगों को उठाया जा रहा है. यह घटना मनगढ़ंत आरोपों पर निर्दोष युवाओं को निशाना बनाने के एक परेशान करने वाले पैटर्न का अनुसरण करती प्रतीत होती है. मैं डीजीपी से आग्रह करती हूं कि इस मामले की तत्काल जांच शुरू की जाए.''
जम्मू पुलिस ने किया यह दावा
वहीं, महबूबा के इस पोस्ट के बाद जम्मू पुलिस भी एक्शन में आ गई. महबूबा मुफ्ती के इन बयानों का खंडन करते हुए जम्मू पुलिस ने दावा किया कि बिलावर कस्बे में कोई सख्ती नहीं है. यातायात सुचारू रूप से चल रहा है. बिलावर में सामान्य दिनचर्या चल रही है. पुलिस के मुताबिक बिलावर में युवा अपने जीवन का आनंद ले रहे हैं. स्कूल, कॉलेज नियमित काम सुचारू रूप से चल रहा है. इसके अलावा, जिला कठुआ में इंटरनेट सुविधा में कोई बाधा नहीं आई है.
'घर जाकर कर ली आत्महत्या'
जम्मू पुलिस के मुताबिक महबूबा मुफ्ती के पोस्ट में जो कुछ भी कहा गया है वह सच नहीं है. मृतक मक्खन दीन पाकिस्तान में बैठे आतंकवादी स्वर दीन स्वरू गुज्जर का भतीजा था. वह उन आतंकियों की मदद कर रहा है जिसने जुलाई 2024 में बदनोटा सेना के काफिले पर हमला किया था, जिसमें 4 सेना के जवान शहीद हो गए थे.
पुलिस का कहना है कि यह वही आतंकियों का समूह है जिसके कारण कोहाग ऑपरेशन में हेड कांस्टेबल बशीर की हत्या और शहादत हुई थी. माखन के पाकिस्तान और अन्य विदेशी देशों में कई संदिग्ध संपर्क थे. उसे हिरासत में कोई यातना या चोट नहीं लगी. उससे पूछताछ की गई तो पोल खुल गई और घर जाकर उसने आत्महत्या कर ली.
'मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए गए हैं'
पुलिस ने कहा कि इस संबंध में डीसी कठुआ द्वारा संज्ञान लिया गया है. इस मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए गए हैं. अतिरिक्त एसपी ऑपरेशन बिलावर आमिर इकबाल, उप पुलिस अधीक्षक जावेद तबस्सुम, एसडीएम बिलावर नीरज पदयार, जेकेपीएस संबंधित एसएचओ मौके पर पहुंचे और उनके परिवार के सदस्यों से मुलाकात की और निष्पक्ष और पारदर्शी जांच का आश्वासन दिया.
'अफवाहों पर न दें ध्यान'
इस घटना को गंभीरता से लेते हुए वरिष्ठ अधिकारियों ने विभागीय जांच के आदेश दिए हैं जो डीआईजी जम्मू द्वारा संचालित की जाएगी. जांच अधिकारी को जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को सौंपने के निर्देश दिए गए हैं. जनता से अनुरोध है कि अफवाहों पर ध्यान न दें और पुलिस का सहयोग करें.
I have seen the reports of excessive use of force & harassment of Makhan Din in police custody in Billawar leading to his suicide and the death of Waseem Ahmed Malla, shot by the army under circumstances that are not entirely clear. Both these incidents are highly unfortunate and…
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) February 6, 2025
जम्मू पुलिस केस बयान के बाद मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इस मामले में एक ट्वीट किया. उन्होंने लिखा कि उन्होंने बिलावर में पुलिस हिरासत में माखन दीन के अत्यधिक बल प्रयोग और उत्पीड़न की खबरें देखी हैं, जिसके कारण उनकी आत्महत्या हुई और वसीम अहमद मल्ला की सेना द्वारा गोली लगने से मौत हो गई, जो पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं. ये दोनों घटनाएं बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं और नहीं होनी चाहिए थी.
सीएम उमर ने लिखा कि स्थानीय आबादी के सहयोग और साझेदारी के बिना जम्मू-कश्मीर कभी भी पूरी तरह से सामान्य नहीं होगा और आतंक से मुक्त नहीं होगा. इस तरह की घटनाएं उन लोगों को अलग-थलग करने का जोखिम उठाती हैं जिन्हें हमें सामान्य स्थिति में आने के लिए सड़क पर अपने साथ ले जाने की आवश्यकता होती है. मैंने इन घटनाओं को केंद्र सरकार के समक्ष उठाया है और जोर दिया है कि दोनों घटनाओं की समयबद्ध, पारदर्शी तरीके से जांच की हुई जाए. जम्मू-कश्मीर में सरकार भी अपनी जांच का आदेश देगी.
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Source: IOCL























