जम्मू-कश्मीर: आरक्षण नीति पर APSCC का प्रस्ताव, सिख समुदाय को रिजर्वेशन देने की मांग
Jammu Kashmir News: J&K में सिख समुदाय को रिजर्वेशन का फायदा देने की मांग की है.APSCC ने कहा है कि ऐसे फायदे सिर्फ एक बार या तो पढ़ाई के लेवल पर या सरकारी नौकरी के दौरान देने चाहिए देने चाहिए.

जम्मू-कश्मीर में नई आरक्षण नीति और आरक्षण को रेगुलर करने की मांगों पर चल रही पॉलिटिकल लड़ाई के बीच, जम्मू-कश्मीर में सिख संगठनों ने एक ऐसा प्रपोजल रखा है जो बाकी देश के लिए भी इस मुद्दे को हल कर सकता है. ऑल पार्टीज सिख कोऑर्डिनेशन कमेटी (APSCC), जो कई सिख संगठनों की एक सिख बॉडी है. जिसने जम्मू-कश्मीर में सिख समुदाय को आरक्षण का फायदा देने की मांग की है. APSCC ने कहा है कि ऐसे फायदे सिर्फ एक बार दिए जाने चाहिए. या तो पढ़ाई के लेवल पर या सरकारी नौकरी के दौरान देने चाहिए. किसी व्यक्ति के पूरे करियर में बार-बार नहीं देने चाहिए.
APSCC के चेयरमैन ने क्या कहा?
एक बयान में APSCC के चेयरमैन जगमोहन सिंह रैना ने कहा कि आरक्षण सच में हकदार लोगों तक पहुंचना चाहिए और यह लगातार मिलने वाला हक नहीं बनना चाहिए. उन्होंने जोर देकर कहा कि फैक्ट्स और नियमों की ध्यान से समीक्षा की जानी चाहिए, ताकि काबिल उम्मीदवारों को नजरअंदाज न किया जाए और ज्यादातर आबादी को उसका सही हिस्सा मिले.
रैना ने चिंता जताई कि लोगों को अक्सर कई स्टेज पर आरक्षण का फायदा मिलता है. उन्होंने कहा, “पढ़ाई या नौकरी में आरक्षण लेना कैंडिडेट का खास अधिकार होना चाहिए. एक बार जब कोई युवा इसका फायदा उठा लेता है, तो यह वहीं रुक जाना चाहिए. इसे बार-बार बढ़ाना गलत है.”
APSCC चेयरमैन ने कहा कि नेशनल माइनॉरिटी एक्ट के तहत माइनॉरिटी के तौर पर पहचाने जाने के बावजूद, J&K में सिखों को आरक्षण का फायदा नहीं दिया गया है. उन्होंने इसे बहुत बड़ा अन्याय बताया, जिसने सिख युवाओं को हाशिये पर धकेल दिया है.
चेयरमैन ने की उमर सरकार की आलोचना
रैना ने रूलिंग पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस की भी आलोचना की. उन्होंने पार्टी पर सेक्युलरिज्म के दावों के बावजूद 'दोहरे स्टैंडर्ड' अपनाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि पार्टी लीडरशिप को यह बताना चाहिए कि सिख कम्युनिटी को आरक्षण के फायदों से बाहर क्यों रखा जा रहा है.
पॉलिसी में अंतर को हाईलाइट करते हुए APSCC चेयरमैन ने कहा कि 1947, 1965 और 1971 में पाकिस्तान से माइग्रेट करने वाले लोगों को कभी आरक्षण नहीं दिया गया, जबकि भारत के अंदर ही दूसरी जगह बसी एक कम्युनिटी को लगातार सेंट्रल और UT सरकारों से आरक्षण और उससे जुड़े खास अधिकार मिलते रहे हैं.
चेयरमैन ने एक्सपर्ट कमेटी बनाने की मांग की
रैना ने उन लोगों की पहचान करने के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी बनाने की मांग की जिन्हें सच में आरक्षण की जरूरत है. उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश के कई इलाकों में अभी भी पानी, बिजली और सड़क कनेक्टिविटी जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी है, और आरक्षण नीति बनाते समय इन बातों पर ध्यान देना चाहिए. APSCC ने सरकार से सिख समुदाय के साथ न्याय पक्का करने और ज्यादा निष्पक्षता के लिए आरक्षण सिस्टम को आसान बनाने की अपनी अपील दोहराई.
Source: IOCL





















