हिमाचल में बायोचार कार्यक्रम की शुरुआत, देश में ऐसा करने वाला बनेगा पहला राज्य
Shimla News: देश का पहला स्टेट-सपोर्टेड बायोचार प्रोग्राम शुरू, नेरी में छह महीने में बनेगा. CM सुक्खू की मौजूदगी में MOA पर हस्ताक्षर. जंगल में आग लगने की घटनाओं पर काबू पाने में सहायक सिद्ध होगी.

भारत का पहला राज्य के सहयोग से संचालित बायोचार कार्यक्रम हिमाचल प्रदेश में शुरू किया जाएगा. इस कार्यक्रम के तहत हमीरपुर जिला के नेरी में छह महीने के भीतर एक बायोचार संयंत्र स्थापित किया जाएगा.
इस संबंध में बुधवार (28 अगस्त) को ओक ओवर, शिमला में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की उपस्थिति में डॉ. वाई एस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी, हिमाचल प्रदेश वन विभाग और प्रोक्लाइम सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड चेन्नई के मध्य एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओए) हस्ताक्षरित किया गया.
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में यह एक उल्लेखनीय कदम है. यह परियोजना जंगल में आग लगने की घटनाओं पर काबू पाने में सहायक सिद्ध होगी, इससे समुदायों के लिए आजीविका के अवसर और जागरूकता भी बढ़ेगी.
बांस और पेड़-पौधों सामग्री से पैदा बायोचार का उत्पादन हाेगा
इस कार्यक्रम के अंतर्गत चीड़ की पत्तियां, लैंटाना, बांस और पेड़-पौधों पर आधारित अन्य सामग्री से पैदा बायोमास का उपयोग करके बायोचार का उत्पादन किया जाएगा. मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि कांगड़ा, मंडी, हमीरपुर, चंबा, बिलासपुर और सोलन ज़िला और चीड़ बहुल क्षेत्रों के लोगों को लाभान्वित करने के लिए समझौता ज्ञापन को छह महीने के भीतर लागू किया जाए.
इस पहल से रोजगार के अवसर सृजित होंगे और राज्य को कार्बन क्रेडिट प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी. सतत बायोमास संग्रहण के लिए प्रोक्लाइम, वन विभाग के माध्यम से, स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करेगा. लोगों को एकत्रित बायोमास के लिए 2.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से भुगतान किया जाएगा. इसके अतिरिक्त, गुणवत्ता और मात्रा बनाए रखने के लिए प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन भी प्रदान किए जाएंगे.
इसके साथ ही बायोमास संग्रहण के इस कार्यक्रम केे माध्यम से प्रति वर्ष लगभग 50,000 श्रम दिवस आय उत्पन्न होने की संभावना है. परियोजना से प्रत्यक्ष रोजगार भी सृजित होंगे. संरक्षित संग्रहण पद्धतियों, कृषि में बायोचार के उपयोग और जलवायु परिवर्तन पर विश्वविद्यालय की साझेदारी में कौशल विकास कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे. यह कार्यक्रम 10 साल तक संचालित किया जाएगा.
इसमें 28,800 कार्बन क्रेडिट उत्पन्न होने की उम्मीद
इस अवधि के दौरान 28,800 कार्बन क्रेडिट उत्पन्न होने की उम्मीद है, जिससे हिमाचल प्रदेश की हरित पहलों को प्रोत्साहन मिलेगा. इस त्रिपक्षीय समझौते के तहत, वनों में लगने वाली आग की घटनाओं पर काबू पाने, लैंटाना के उन्मूलन और पायरोलिसिस तकनीक के माध्यम से बायोचार के उत्पादन के लिए चीड़ की पत्तियों, बांस और अन्य बायोमास अवशेषों का सतत उपयोग सुनिश्चित करने के लिए एक संयुक्त प्रारूप तैयार किया गया है.
यह पहल मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखने, कार्बन पृथक्करण को बढ़ावा देने, अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप कार्बन क्रेडिट और बायोमास संग्रहण एवं कौशल विकास के माध्यम से स्थानीय आजीविका के अवसर पैदा करेगी. प्रोक्लाइम सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड इस परियोजना के चरणबद्ध कार्यान्वयन में एक मिलियन अमेरिकी डॉलर तक निवेश करेगी.
वन विभाग सामुदायिक भागीदारी से सतत बायोमास संग्रहण, परमिट और नियम अनुपालना सुनिश्चित करेगा. विश्वविद्यालय नेरी, हमीरपुर में 3 एकड़ भूमि, अनुमोदनों में सहयोग और बायोचार अनुसंधान उपलब्ध कराएगा. प्रोक्लाइम सर्विसेज प्रा. लि. पूंजी निवेश कर परियोजना की स्थापना, संचालन, बायोचार उत्पादन और कार्बन क्रेडिट सृजन सुनिश्चित करेगी.
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Source: IOCL























