हिमाचल विधानसभा का मानसून सत्र खत्म, आपदा पर 33 घंटे हुई चर्चा, कुल 690 सवाल पूछे गए
Himachal Assembly: हिमाचल प्रदेश का 12 दिवसीय मानसून सत्र आपदा पर केंद्रित रहा, जिसमें 59 घंटे कार्यवाही चली और 98% उत्पादकता रही. 690 प्रश्न पूछे गए,11 विधेयक पारित हुए, और आपदा पर 33 घंटे चर्चा हुई.

हिमाचल प्रदेश के इतिहास में चौथा सबसे लंबा 12 दिन का मानसून सत्र 2 सितंबर समाप्त हो गया. सत्र में अधिकतर समय प्रदेश की आपदा पर चर्चा हुई. सदन की कार्यवाही 59 घंटे तक चली. जिसकी उत्पादकता 98 फीसदी रही. सत्र में कुल 509 कुल तारांकित सवाल पूछे गए , जबकि अतारांकित 181 सवाल सदन में पूछे गए. कुल 690 सवाल पूछे गए. 1118 बच्चों ने सदन की कार्यवाही को देखा.
नियम 67 काम रोको प्रस्ताव के तहत आपदा पर लंबी चर्चा चली. नियम 130 के तहत 6 विषय चर्चाएं हुई. नियम 62 के तहत 12 विषय पर चर्चा की गई. नियम 101 के तहत 7, 63 के तहत 1 और 102 के तहत राष्ट्रीय आपदा घोषित करने पर संकल्प लाया गया. जिसको केंद्र की भेजने का प्रस्ताव भेजा गया है. 11 सरकारी विधेयक पास किए गए. एक विधेयक वापिस किया गया. 43 विषय सदन में शून्य काल के दौरान उठाए गए. ये जानकारी विधानसभा अध्यक्ष ने मानसून सत्र के अंतिम दिन दी. विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि 33 घंटे तक आपदा पर ही चर्चा हुई.
सत्र को आज ही समाप्त करने का लिया गया निर्णय
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने सत्र के अंत में कहा कि खट्टे मीठे अनुभवों के साथ इस सत्र का अंत हुआ है. हिमाचल में अगस्त माह में आपदाओं को देखते हुए आगे से अगस्त में नहीं बल्कि सितंबर में मानसून सत्र करने पर विचार हो ऐसी उम्मीद करता हूं. मुख्यमंत्री ने कहा कि वह चाहते है कि सत्र को तीन दिन और बढ़ाया जाए, लेकिन प्रदेश में आपदा की स्थिति को देखते हुए इसे आज ही समाप्त करने का निर्णय लिया गया है.
आपदा से दौर से गुजर रहा है हिमाचल प्रदेश
विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर ने कहा कि सत्र लंबा चला इसमें दो राय नहीं है. सदन में विपक्ष को अपनी बात रखने का मौका मिलता है. आज हिमाचल प्रदेश आपदा से दौर से गुजर रहा है. साथ ही हिमाचल आर्थिक संकट के भी दौर से गुजर रहा है. हिमाचल पर आर्थिक बोझ एक लाख करोड़ पहुंच गया है. मुख्यमंत्री बार बार कहते हैं कि प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है लेकिन उसके परिणाम सामने नहीं आए है.
केंद्र से मदद मांगने को भी है तैयार
सीएम राज्य की स्थिति के लिए बार बार विपक्ष को कोसना छोड़ दें. बल्कि सबकी राय लेकर आगे बढ़ें ताकि प्रदेश को सही दिशा में आगे ले जाया जा सके. कम संसाधनों का हवाला देकर सुक्खू सरकार संस्थानों को बंद को बंद कर रही है जो गलत है. आपदा के दृष्टिगत विपक्ष सरकार के साथ खड़ा है प्रदेश हित के लिए के लिए केंद्र से मदद मांगने को भी तैयार है.
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL























