गुरुग्राम में ट्रैफिक पुलिस को चालान काटते हुए कहना होगा ‘सॉरी’ और ‘थैंक यू’, लोग बोले- जाम पर ध्यान दें
Haryana News: गुरुग्राम ट्रैफिक पुलिस को चालान काटते समय ‘सॉरी’ और ‘थैंक यू’ कहने के निर्देश दिए गए हैं. लोगों का कहना है कि विनम्रता नहीं, ट्रैफिक प्रबंधन सीखिए.

गुरुग्राम ट्रैफिक पुलिस ने हाल ही में अपने जवानों को निर्देश दिया है कि जब वे किसी वाहन चालक को ट्रैफिक नियम तोड़ने पर रोकें, तो उसे “सॉरी” और “थैंक यू” कहना चाहिए. इस आदेश का मकसद पुलिसकर्मियों को और अधिक विनम्र बनाना बताया जा रहा है. लेकिन शहर के कई लोगों का कहना है कि ट्रैफिक पुलिस पहले से ही बहुत विनम्र है. खासकर जब बात चालान सैटल कराने की आती है.
पीली बत्ती का ‘अपराध’ और मुस्कुराते पुलिसकर्मी
हाल ही में एक ड्राइवर को रेड लाइट पार करने के आरोप में रोका गया. उसका कहना था कि उसने पीली बत्ती (येलो लाइट) पर ही चौराहा पार किया था, और वह तब चौराहे में दाखिल हुआ था जब लाइट हरी थी. लेकिन जब तक वह पार कर पाता लाइट पीली हो गई.
जब उसने यह बात पुलिसकर्मी को समझाने की कोशिश की, तो वह मुस्कुराते हुए बोला, “कोई बात नहीं, वीडियो दिखा दीजिए.” ड्राइवर ने मजाक में जवाब दिया, “मेरे सफेद बालों को देखिए, क्या मैं ऐसा आदमी लगता हूं जो ड्राइव करते वक्त वीडियो शूट करेगा?”
यह सुनकर पुलिसकर्मी हँस पड़े और चेतावनी देकर जाने दिया. वाकई, अगर यही विनम्रता है, तो गुरुग्राम ट्रैफिक पुलिस पहले से ही थैंक यू मोड में है.
सुरक्षा के नाम पर जाम की गारंटी
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली-गुरुग्राम हाईवे पर भीड़ के समय तो ट्रैफिक जाम आम बात है, लेकिन बाकी समय सड़कें थोड़ी खुली रहती हैं. ऐसे में पुलिस यह सुनिश्चित करने के लिए कि लोग तेज न चलें, अक्सर व्यावसायिक वाहनों को रोककर जांच करती है और वह भी ठीक उसी जगह पर जहाँ जाम लगने की सबसे ज़्यादा संभावना होती है.
एक लेन बंद हो जाने से भारी ट्रैफिक जाम लग जाता है और बाकी वाहन धीरे-धीरे रेंगते हैं. अधिकारी कहते हैं कि यह आपकी सुरक्षा के लिए है, लेकिन लोगों का कहना है कि यह धैर्य की परीक्षा ज्यादा लगती है.
दिल्ली परिवहन विभाग की ‘सुबह की परंपरा’
ऐसा ही नजारा दिल्ली परिवहन विभाग की टीमों में भी दिखता है, जो हर सुबह एमपी और राजस्थान से आने वाली लंबी दूरी की बसों की जांच करती हैं. समस्या यह है कि वे जांच के लिए सड़क के सबसे तंग हिस्से को चुनते हैं, जिससे रोज सुबह तयशुदा ट्रैफिक जाम लगता है. इतना नियमित कि अब यात्रियों ने इसे अपनी रोजमर्रा की यात्रा का हिस्सा मान लिया है.
असल जरूरत ट्रैफिक मैनेजमेंट
गुरुग्राम ट्रैफिक पुलिस को विनम्रता सिखाने की शायद जरूरत नहीं है. वे “सॉरी” और “थैंक यू” भले कहें या न कहें, लेकिन चालान “सैटल” कराने में हमेशा मददगार रहते हैं. मगर शहरवासियों की मांग कुछ और है. वे चाहते हैं कि पुलिसकर्मी सिर्फ़ चालान पर नहीं, ट्रैफिक प्रबंधन पर भी ध्यान दें. क्योंकि जब सिग्नल काम नहीं करते, लेनें बंद रहती हैं, और जांच के नाम पर रोज जाम लगता है.
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