UAPA Case: उमर खालिद की जमानत याचिका पर 10 जनवरी तक के लिए सुनवाई स्थगित, SC ने बताई ये वजह
Delhi Riots 2020: एससी ने उमर खालिद (Umar Khalid) मामले की सुनवाई इसलिए स्थगित कर दी, क्योंकि आरोपी के वकील कपिल सिब्बल और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू कोर्ट नहीं पहुंचे.
Delhi News: दिल्ली दंगा 2020 में उमर खालिद की सलिप्तता को लेकर यूएपीए के तहत दर्ज मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को नहीं हुई. सुप्रीम कोर्ट ने इसकी सुनवाई 10 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी. जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने इस मामले को इसलिए स्थगित कर दिया, क्योंकि खालिद के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू कोर्ट में 29 नवंबर को उपलब्ध नहीं थे.
उमर खालिद से जुड़े इस मामले में बहस करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ताओं की अनुपलब्धता के कारण अपीलकर्ता और भारत संघ की ओर से आज की सुनवाई को स्थगित करने का अनुरोध शीर्ष अदालत से किया गया था. अब इस मामले की सुनवाई 10 जनवरी 2024 को होगी. हालांकि, पीठ ने कहा कि बीच उमर के मामलों में दलीलें पूरी कर ली जाएंगी.
जस्टिस मिश्रा ने कर दिया था सुनवाई से इनकार
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा ने 9 अगस्त को खालिद की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था. दिल्ली उच्च न्यायालय के 18 अक्टूबर, 2022 के आदेश को चुनौती देने वाली खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. इससे पहले यह मामला न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति मिश्रा की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई थी. उच्च न्यायालय ने खालिद की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि वह अन्य सह-अभियुक्तों के साथ लगातार संपर्क में था और उसके खिलाफ पहली नजर में आरोप सही लगते दिखाई देते हैं.
इस मसले पर हाईकोर्ट ने क्या कहा था?
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि आरोपियों की हरकतें पहली नजर में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत "आतंकवादी कृत्य" के दायरे में आता है. बता दें कि खालिद, शरजील इमाम और कई अन्य पर फरवरी 2020 के दंगों के मास्टरमाइंड होने के आरोप में आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के कई प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया, जिसमें 53 लोग मारे गए और 700 से अधिक घायल हो गए.
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