Raghav Chadha: 'कमेंट करें, मैं बनूंगा आपकी आवाज', राघव चड्ढा की नई पहल, संसद में उठाएंगे आम जनता के मुद्दे
Raghav Chadha: राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने संसद के मानसून सत्र से पहले जनता से उनके मुद्दों पर सुझाव मांगे हैं. उन्होंने कहा कि वह इस सत्र में जनता की आवाज बनकर संसद में उनकी बात रखेंगे.

इस बार संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होने जा रहा है. ऐसे में राज्यसभा सांसद और आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने संसद के आगामी मानसून सत्र से पहले जनता से सीधा संवाद साधा है.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक वीडियो संदेश जारी किया है, जिसमें उन्होंने देशवासियों से उन मुद्दों पर सुझाव मांगे हैं जिन्हें वे संसद में उठाना चाहते हैं. यह एक अनोखी पहल है, जिसमें सांसद खुद आम जनता से उनके मुद्दे जानना चाहते हैं ताकि उन्हें संसद में उठाया जा सके.
मैंने हमेशा कोशिश की है कि आपकी आवाज बनूं- राघव चड्ढा
अपने वीडियो संदेश में राघव चड्ढा ने कहा, "एक सांसद होने के नाते मेरी जिम्मेदारी बनती है कि मैं आपके मुद्दों को संसद में उठाऊं. मैंने हमेशा कोशिश की है कि आपकी आवाज बनूं और वे मुद्दे सामने लाऊं जो आपको प्रतिदिन प्रभावित करते हैं."
उन्होंने उदाहरण के तौर पर इनकम टैक्स की बढ़ती दरें, बैंकों के अत्यधिक चार्जेस, जीएसटी की जटिलताएं, एयरपोर्ट पर मिलने वाला महंगा खाना और रेल यात्रियों की परेशानियों का ज़िक्र किया. उन्होंने कहा कि ये ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें उन्होंने पहले भी संसद में उठाया है.
I have always tried to raise those issues in Parliament that matter to you.
— Raghav Chadha (@raghav_chadha) July 16, 2025
This time too, I would like to know from you. What topics should I raise in upcoming session of Parliament? Which issues deserve the nation’s immediate attention?
Your suggestion could be the next big… pic.twitter.com/69WWipuJGQ
कमेंट में लिखें अपने मुद्दे- राघव चड्ढा
राघव चड्ढा ने अपने वीडियो में जनता से अनुरोध किया कि वे कमेंट के ज़रिए सुझाव दें कि इस बार संसद में किन मुद्दों को प्राथमिकता दी जाए. उन्होंने कहा, "मैं चाहता हूं कि इस बार आपके द्वारा दिए गए अधिकतम मुद्दों को संसद में उठाऊं और आपकी आवाज बनूं. संसद का यह सत्र देश के लिए अहम है और इसमें आम जनता की बात रखना मेरा कर्तव्य है." इस पहल का उद्देश्य जनता की भागीदारी को बढ़ावा देना है, ताकि लोकतंत्र और ज्यादा सक्रिय और जवाबदेह बने.
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Source: IOCL
























