'जेल में बंद सुब्रत रॉय सुविधाओं का आनंद लेते रहे और...', तिहाड़ के पूर्व अधिकारी सुनील गु्प्ता का खुलासा
Delhi News: तिहाड़ के पूर्व PRO सुनील गुप्ता ने कहा, 'सुब्रत रॉय को जेल में सारी फैसिलिटी मिली थी. हालांकि SC का निर्देश का था कि सब कुछ कानूनी तौर पर हो, लेकिन बहुत सारी गैरकानूनी चीजें हो रही थीं.'

Delhi News: तिहाड़ जेल के पूर्व पीआरओ सुनील कुमार गुप्ता ने अपने कार्यकाल के दौरान के कुछ ऐसे खुलासे किए हैं जिससे हड़कंप मच गया है. उन्होंने दावा किया कि जब दिवंगत बिजनेसमैन सुब्रत रॉय सहारा कैदी थे तो उन्हें जेल में सारी फैसिलिटी मिली हुई थी. तिहाड़ जेल के सुपरिंटेंडेंट रहे सुनील गुप्ता ने आरोप लगाया कि सुब्रत रॉय के सेल में दिन में दो तीन बार एयर होस्टेस आती थीं. बता दें कि सुब्रत रॉय का साल 2023 के नवंबर में निधन हो गया था. इस मामले में उनके परिवार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
सुनील गुप्ता ने कहा कि सुब्रत रॉय सहारा (दिवंगत सहारा समूह प्रमुख) पर कई लोगों का हजारों करोड़ रुपये बकाया था. इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जेल की सजा सुनाई थी. उन्हें पहले नियमित जेल में रखा गया था. उन्होंने कहा, "सुब्रत ने कहा कि उन्हें होटल बेचने होंगे और इससे जो पैसा आएगा, उससे वह कर्जदाताओं को भुगतान कर सकते हैं."
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए सुनील गुप्ता ने कहा, "उन्होंने अपने होटल के कई खरीदारों, जो पश्चिमी देशों से थे उनके साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए अदालत से अनुमति मांगी थी और कहा था कि जब तक ऐसा नहीं होता तब तक बिक्री नहीं हो सकती. सुप्रीम कोर्ट ने जेल प्रशासन से समाधान मांगा तो जेल प्रशासन का कहना था कि जेल में रहते हुए ऐसा होना संभव नहीं है. इसे जेल के बाहर से किया जा सकता है."
कोर्ट कॉम्पलेक्स में सोते थे सुब्रत रॉय
उन्होंने कहा, "इसके बाद उन्हें (सुब्रत) को अदालत परिसर में ट्रांसफर कर दिया गया था, जहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा थी, उन्होंने अपनी सुविधा भी ले ली थी. वह रात में उसी परिसर में सोते थे. जबकि बाकी कैदियों को रात होते ही अपने सेल में बंद कर दिया जाता है. सुब्रत रॉय ने कहा था कि रात को उन्हें कोर्ट कॉम्पलेक्स में बाहर से ताला लगाकर रखा जाए. कोर्ट ने उनकी दरख्वास्त मान ली, तो सुब्रत रॉय को लॉक नहीं किया जाता था."
#WATCH | Delhi: Former Tihar Jail PRO Sunil Kumar Gupta recounts his tenure and alleges that late Subrata Roy Sahara was provided special favours by the jail administration when he was an inmate, also alleges that the then CM Arvind Kejriwal didn't take any action when he… pic.twitter.com/ivgaV7qwxI
— ANI (@ANI) February 25, 2025
तिहाड़ के पीआरओ रहे सुनील गुप्ता ने अपने एक इंटरव्यू में कहा, "उन्हें खाने की पूरी सुविधा मिलती ही थी. उनके सेल से हमने शराब की बोतलें भी बरामद की थी. कोर्ट ने सुब्रत रॉय को प्राइवेट सेक्रेटरी रखने की भी अनुमति दी थी. सुब्रत रॉय ने एक फीमेल को अपनी सेक्रेटरी रखी हुई थी. सुब्रत रॉय ने एक फीमेल को अपनी सेक्रेटरी रखी हुई थी. अब वो एयर होस्टेस बुला रहा था."
सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे ये निर्देश
सुनील गुप्ता ने कहा, "हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश में कहा गया था कि सब कुछ कानूनी तौर पर करना होगा, लेकिन मैंने देखा कि बहुत सारी गैरकानूनी चीजें हो रही थीं. इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने मुझे बुलाया था और कहा था कि जेल में रिश्वतखोरी और जबरन वसूली की कई शिकायतें हैं. इसके बाद मैंने इस मुद्दे को डीजी जेल की अध्यक्षता में हुई हमारी बैठकों में उठाया."
"तब डीजी जेल को लगा कि मैं उनके खिलाफ शिकायत कर रहा हूं. इसलिए उन्होंने इसे ठीक से नहीं लिया. तत्कालीन डीजी ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया और कोई कार्रवाई नहीं की. इसके बाद मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा था. इसलिए, मैंने तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से संपर्क किया और सुब्रत रॉय सहारा की सुविधाओं के बारे में सब कुछ बताया और कहा कि ये सुविधाएं जेल प्रशासन के साथ मिलकर प्रदान की जा रही हैं."
मैंने जो कहा उस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया- सुनील गुप्ता
उन्होंने कहा, इसके बाद जेल मंत्री ने मुख्यालय का दौरा किया और डीजी और अन्य अधिकारियों से कहा कि वे यहां कुछ भी गलत न करें. आखिरकार कुछ भी ठोस नहीं किया गया और सुब्रत रॉय सहारा सुविधाओं का आनंद लेते रहे. जेल प्रशासन उनके सामने झुक गया फिर उन्होंने मुझे परेशान करना शुरू कर दिया. मैं तत्कालीन उपराज्यपाल से मिला. उन्होंने मुझे अपने सचिव से बात करने के लिए कहा, मैंने वैसा ही किया और उन्हें सब कुछ समझाया लेकिन मैंने जो भी कहा उस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया."
"जब मैं सेवानिवृत्त हो रहा था, तो मुझे 10 साल पुराने पाठ्यक्रम में अनियमितताओं के संबंध में 15 पेज का आरोप पत्र दिया गया था, यह सिर्फ परेशान करने के लिए था. मुझे 4-5 साल बाद दोषमुक्त कर दिया गया और सरकार ने आरोप पत्र वापस ले लिया, लेकिन मैं उन पांच सालों में बहुत परेशान था. मुझे पता था कि ऐसा होगा."
Source: IOCL























