Delhi Signature View Tower Demolition: नोएडा ट्विन टावर की तर्ज पर घ्वस्त होंगे मुखर्जी नगर सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट के 12 टावर, दिल्ली LG का आदेश
Mukherjee Nagar Signature View Apartments: दिल्ली के एलजी ने लोगों की शिकायतों पर DDA को 12 टावर गिराने के आदेश दिए. जो कंपनी टावर को गिराएगी वही इसका निर्माण करेगी.
Delhi News: वर्षों की मेहनत और पाई-पाई जोड़कर लोग आशियाना बनाते हैं. कुछ लोगों के लिए एक आशियाने की जरूर को पूरा करने में जिंदगी तक बीत जाती है. ऐसे में जो लोग अपने सपने को पूरा करने में कामयाब होते हैं, उनकी मंशा होती है कि वह अपने आशियाने में परिवार के साथ सुकून से जीवन को जी सकें. जरा सोचिए, अचानक उसी आशियाने के जर्जर हालात को देखते हुए उसे ध्वस्त करने का फैसला ले लिया जाए तो उसमें रहने वालों को क्या होगा? वो कहां जाएंगे? एक ऐसा ही मामला राजधानी दिल्ली के मुखर्जी नगर स्थित सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट (Delhi Signature View Tower Demolition) में रहने वाले लोगों के लिए यक्ष प्रश्न की तरह उभरकर सामने आया है. इस अपार्टमेंट (Mukherjee Nagar Signature View Apartments) के सभी 12 टावर में बने फ्लैट्स जर्जर हो चुके हैं. अब उन्हें ध्वस्त करने की तैयारी चल रही है.
LG ने दिए 12 टावर को गिराने के आदेश
दरअसल, एक हादसे के बाद और लोगों की लगातार शिकायतों पर IIT दिल्ली और श्रीराम लैब की टीम को यहां के सभी टावर की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. आईआईटी दिल्ली की टीम ने इन सभी टावर को असुरक्षित घोषित कर दिया. जल्द से जल्द उन्हें खाली करा ध्वस्त किए जाने की सिफारिश की. जिसके बाद नोएडा के ट्वीन टावर की तर्ज पर अब इसे भी ध्वस्त करने की तैयारी की जा रही है. सिग्नेचर व्यू टावर को गुणवत्ता मानक का ध्यान रखते हुए फिर से बनाया जाएगा. यहां पर इस बात का जिक्र कर दें कि एलजी विनय कुमार सक्सेना ने लोगों की शिकायतों पर DDA को सभी 12 टावर गिराने के आदेश दिए हैं. जो कंपनी इन टावरों को गिराएगी, वहीं इसका निर्माण भी करेगी. इसके लिए कंपनी का चयन भी किया जा चुका है.
DDA ने किया था फ्लैट का आवंटन
सिग्नेचर व्यू टावर बनने के बाद से ही यहां के टावर के फ्लैट क्षतिग्रस्त होने लगे थे. RWA ने बताया कि जब अपार्टमेंट बना तब प्लास्टर ग्रेट वॉश का किया गया था. कई बार हादसे होने की वजह से 2016-17 में डीडीए द्वारा ग्रेट वॉश को उतार कर प्रॉपर प्लास्टर किया गया. उसी समय डीडीए के अधिकारी और कर्मचारियों को बिल्डिंग में लगे सरिये के गलने और सड़ने की जानकारी मिली थी. खराब कंस्ट्रक्शन की जानकारी मिलने के बावजूद DDA द्वारा 2017 में 2BHK और MIG फ्लैट्स की अलॉटमेंट की गई. RWA के द्वारा कई शिकायतें की गई, जिसके बाद डीडीए द्वारा IITE के स्ट्रक्चर एक्सपर्ट डॉ बिश्नोई को कंस्ट्रक्शन में किन जगहों पर खामियां हैं, का पता लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. श्री राम लैब को सैंपल लेने और खामियों की पुख्ता जांच के लिए बुलाया गया, जिन्होंने 300 से ज्यादा फ्लैट्स के सैंपल्स लिए थे. श्रीराम लैब की रिपोर्ट के आधार पर IITE दिल्ली द्वारा रिपोर्ट तैयार की गई की सिगनेचर व्यू अपार्टमेंट के सभी 12 टावर अनसेफ है. जिन्हें तुरंत खाली कराकर डिमोलिश किया जाना चाहिए.
फिर से बनेगा टावर, तब तक लोगों को मिलेगा रेंट
शुरुआती दौर में DDA के अधिकारी इस बात को अनदेखा कर रहे थे और अपार्टमेंट के लोगों को पैसा तक देने के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन RWA के पदाधिकारी इस मामले को लेकर उपराज्यपाल तक पहुंचे. इसके बाद उन्होंने उनकी सहायता की और आदेश दिया कि DDA HIG फ्लैट्स में रहने वाले लोगों को 50 हजार और MIG फ्लैट्स में रहने वाले लोगों को 38 हजार रुपये बतौर किराया भुगतान करे और 3 साल के अंदर इन फ्लैट्स को गिरकर नया फ्लैट लोगों को आवंटित करे.
DDA के खिलाफ RWA को आपत्ति
RWA ने बताया कि उपराज्यपाल विनय सक्सेना के आदेश के बाद भी DDA ने दस्तावेजों में कुछ ऐसे क्लॉज जोड़े हैं, जो RWA के हित मे नहीं हैं. RWA ने बताया कि इन सभी टावर को रेजिडेंट्स से NOC मिलने के बाद गिराया जाना है. जिसका फायदा उठा कर DDA ने कहा कि जब तक सभी फ्लैट खाली नहीं होते हैं, तब तक उनकी तरफ से किराया नहीं दिया जाएगा. RWA का दूसरा मुद्दा यह है कि DDA को इस टावर के पुनर्निर्माण के लिए 3 साल का वक्त दिया गया है, जिसमें उनकी तरफ से कहा गया है कि वे दो साल में इसे तैयार कर लेंगे. इस दौरण तीन साल तक उन्हें किराए का भुगतान किया जाएगा. अगर समय-सीमा के भीतर इसका निर्माण किसी कारणवश नहीं हो पाता तो उसी वक्त समीक्षा की जाएगी. जबकि RWA की मांग है कि DDA को किराए का तब तक भुगतान करने आदेश दिया जाए, जब तक रेजिडेंट्स को फ्लैट का कब्जा नहीं मिल जाता है. इन सभी मुद्दों को लेकर वे फिर से उपराज्यपाल से मिल कर मदद की गुहार लगाएंगे.
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