दिल्ली सरकार स्कूलों में लाएगी 'राष्ट्रनीति', RSS से लेकर सुभाष चंद्र बोस पर भी होगा चैप्टर
Delhi News: दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने पुष्टि की है कि ‘राष्ट्रनीति’ कोर्स का ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है. RSS, प्रमुख नेताओं और सामाजिक गतिविधियों को इस पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाएगा.

दिल्ली सरकार ने अपने स्कूलों में एक नया शैक्षिक कार्यक्रम ‘राष्ट्रनीति’ शुरू करने का ऐलान किया है. इस कार्यक्रम के तहत बच्चों को न सिर्फ स्वतंत्रता सेनानियों और लोकतांत्रिक मूल्यों के बारे में पढ़ाया जाएगा, बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और उससे जुड़े नेताओं के योगदान को भी शामिल किया जाएगा.
शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने पुष्टि की है कि कोर्स का ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है. उन्होंने कहा, “आरएसएस के इतिहास, प्रमुख नेताओं और सामाजिक गतिविधियों को इस पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाएगा. यह उतना ही महत्वपूर्ण है जितना अन्य राष्ट्रीय विषय, और इसे पढ़ाने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए.”
कोर्स में RSS की भूमिका और योगदान पढ़ेंगे छात्र
अधिकारियों के अनुसार, इस पाठ्यक्रम में 1925 में केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा आरएसएस की स्थापना, उसकी विचारधारा और समय-समय पर किए गए सामाजिक कार्यों का उल्लेख होगा. इसमें आपदा राहत कार्यों को भी शामिल किया जाएगा, जैसे केदारनाथ और बिहार बाढ़ के समय आरएसएस स्वयंसेवकों की भूमिका और कोविड-19 महामारी के दौरान दी गई सेवाएं.
कोर्स में BJP के कई बड़े नेताओं को किया जाएगा शामिल
पाठ्यक्रम में आरएसएस से जुड़े प्रमुख नेताओं का योगदान भी शामिल होगा. इनमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यों को विशेष रूप से उजागर किया जाएगा.
स्वतंत्रता सेनानियों और भूले-बिसरे नायक
‘राष्ट्रनीति’ कार्यक्रम में आरएसएस के अलावा वीर सावरकर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, सरदार वल्लभभाई पटेल और सुभाष चंद्र बोस जैसे नेताओं पर भी अध्याय पढ़ाए जाएंगे. अधिकारियों का कहना है कि इसका उद्देश्य उन “अनसुने नायकों” को सामने लाना है जिन्हें इतिहास की किताबों में पर्याप्त जगह नहीं मिली है .
'राष्ट्रनीति' कार्यक्रम का स्वरूप
यह कार्यक्रम 18 सितंबर को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने ‘नमो विद्या उत्सव’ के दौरान लॉन्च किया था. इसे केजी से कक्षा 12 तक के सभी सरकारी स्कूलों में लागू किया जाएगा. शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020), संविधान में दिए मौलिक कर्तव्यों और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के अनुरूप है.
स्कूलों में किस दिन होगी ‘राष्ट्रनीति’ की क्लास?
इस कार्यक्रम के तहत छात्रों में नागरिक जिम्मेदारी, नैतिक नेतृत्व और संवैधानिक मूल्यों की समझ विकसित की जाएगी. इसके लिए युवा संसद, इलेक्टोरल लिटरेसी क्लब, फील्ड विज़िट्स जैसी गतिविधियों को जोड़ा गया है. स्कूलों में हर महीने के पहले और तीसरे शनिवार को ‘राष्ट्रनीति’ की कक्षाएं तय की गई हैं.
शिक्षक और प्रशिक्षण
एबीपी न्यूज़ ने कई शिक्षकों से इस बारे में बात की. एक सरकारी स्कूल शिक्षक के मुताबिक, अभी तक इस कार्यक्रम के लिए कोई हैंडबुक या किताबें उपलब्ध नहीं कराई गई हैं. मौजूदा समय में स्कूलों में छात्र समितियों के चुनाव कराए जा रहे हैं. वहीं, सूत्रों ने बताया कि राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) द्वारा शिक्षकों के लिए मैनुअल और प्रशिक्षण सत्र तैयार किए गए हैं. हालांकि, किन-किन कक्षाओं में नए अध्याय पढ़ाए जाएंगे, इस पर फैसला होना बाकी है.
सरकार का दावा है कि ‘राष्ट्रनीति’ का मकसद छात्रों में देशभक्ति की भावना, जिम्मेदार नागरिकता और लोकतांत्रिक सहभागिता को मजबूत करना है. साथ ही, बच्चों को समाज और राष्ट्र की प्रगति में सक्रिय भागीदारी के लिए तैयार करना है.
Source: IOCL























