(Source: ECI / CVoter)
Chandigarh News: उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू बोले- अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा सभी के लिए सस्ती और सुलभ हो
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा सभी के लिए सस्ती और सुलभ होनी चाहिए. नायडू आज पंजाब विश्वविद्यालय के 69वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे.
Chandigarh News: उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा सभी के लिए सस्ती और सुलभ होनी चाहिए. उन्होंने रेखांकित किया कि विकास को गति देने के लिए शिक्षा सबसे शक्तिशाली उत्प्रेरक है. नायडू आज पंजाब विश्वविद्यालय के 69वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे. उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा सभी के लिए सुलभ, सस्ती होनी चाहिए और किसी व्यक्ति के दृष्टिकोण, सामाजिक सामंजस्य और समावेशी राष्ट्रीय विकास में सकारात्मक परिवर्तन की ओर ले जाने वाली चाहिए.’’ नायडू ने कहा, ‘‘समाज में एकजुटता होनी चाहिए. छात्रों को इसके बारे में शुरू से ही सिखाना चाहिए.’’
पंजाब विश्वविद्यालय के 69वें दीक्षांत समारोह में उपराष्ट्रपति का संबोधन
नायडू ने कहा, ‘‘हमें हमेशा शिक्षा की शक्ति का उपयोग करना चाहिए और युवाओं की रचनात्मक ऊर्जा को उजागर करना चाहिए.’’ दीक्षांत समारोह कार्यक्रम में पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित, हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर मौजूद थे. नायडू ने कहा कि शिक्षा वास्तव में सबसे शक्तिशाली उत्प्रेरक है जो किसी देश के विकास की गति को बदल सकती है. उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप वास्तव में तेज गति से विकास चाहते हैं तो आपको देश को शिक्षित करने की जरुरत है.’’ नायडू के मुताबिक देश की 65 फीसदी आबादी 35 साल से कम और 50 फीसदी की उम्र 25 साल से कम है.
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तेज गति से विकास के लिए देश को शिक्षित करने की जरुरत- नायडू
उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम उन्हें सशक्त, शिक्षित, प्रबुद्ध और प्रोत्साहित करते हैं तो जीवन में उत्कृष्टता प्राप्त करेंगे और देश को दुनिया में उत्कृष्ट बनाएंगे.’’ नायडू ने बताया कि नवाचार और अत्याधुनिक शोध के माध्यम से विश्वविद्यालयों को ज्ञान क्रांति में सबसे आगे होना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत को कभी ‘विश्वगुरु’ के रूप में जाना जाता था. उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘दुनिया भर से छात्र भारत आते थे और पढ़ते थे. औपनिवेशिक शासन के कारण हमने अपनी गति खो दी और हमें एक ऐसी शिक्षा प्रणाली में पढ़ाया जाता है जो औपनिवेशिक शासन द्वारा अधिक प्रभावित होती है.’’ उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति शिक्षा प्रणाली को वास्तव में भारतीय बनाने की आवश्यकता को ध्यान में रखेगी.