'अब दोबारा कुंभ नहीं…', भगदड़ से जिंदा बचकर लौटी महिलाओं ने बताई आपबीती, छलक पड़े आंसू
Mahakumbh 2025: महाकुंभ में भगदड़ के दौरान बिहार के 11 लोगों की मौत हो गई. जो महिलाएं जिंदा बचकर लौटी हैं वो अब भी दर्द से सिहर उठती हैं. उनका कहना है दोबारा कभी कुंभ नहीं जाएंगी.

Mahakumbh 2025: प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान 28 जनवरी की देर रात भगदड़ मचने से 30 लोगों की मौत हो गई थी. मृतकों में देश के कई राज्यों के लोग शामिल हैं. बिहार के भी 11 लोगों की इस भगदड़ में मौत हो गई. इसमें से 4 गोपालगंज, 2 औरंगाबाद, इसके अलावा पटना, मुजफ्फरपुर, सुपौल, बांका और पश्चिमी चंपारण के लोग भी मरने वालों में शामिल हैं. पटना के मनेर की सिया देवी की कुंभ में मौत के बाद जीवराखन टोले में सन्नाटा छाया हुआ है. जो महिलाएं जीवित लौटकर आई हैं वो भी सदमे में हैं.
'समझिए पुनर्जन्म मिला है'
महाकुंभ से जिंदा लौटी सविता देवी के बेटे का कहना है कि उनकी मां वापस आ गई समझिए पुनर्जन्म मिला है. अब वो कभी अपनी मां को किसी मेले में नहीं जाने देंगे. सिया देवी की बहू रिंकू भी महाकुंभ से वापस लौटने के बाद से खामोश हैं. दूसरी औरतों की तरह उनकी आंखों से आंसू भी नहीं निकल रहे हैं. मानों उन्होंने मौत को करीब से देखा है.
'अब दोबारा कभी नहीं...'
रिंकू का कहना है कि वो अपनी सास के साथ संगम घाट जा रही थीं. इस दौरान दूसरी तरफ से भीड़ आई और वो गिर गईं. उन्होंने किसी तरह खुद को बाहर निकाला. फिर अपने ग्रुप की महिलाओं को निकालने लगीं, लेकिन तब तक उनकी सास की मौत हो चुकी थी. रिंकू का कहना है कि वो पहली बार गई थीं. अब दोबारा कभी कुंभ नहीं जाएंगी.
'शरीर हिलाने पर वो दर्द से कराह उठती है'
सिया देवी के घर से कुछ दूरी पर 70 वर्षीय जानकी देवी नाम की महिला का घर है. महाकुंभ की भगदड़ में किसी तरह उनकी भी जान बच पाई है. गांव की महिलाएं लगातार जानकी देवी से मिलने आती रहती हैं. उनका कहना है कि उन्हें कई इंजेक्शन लगे तब जाकर होश आया, लेकिन अब भी थरथराती रहती हैं. जानकी देवी के शरीर पर जख्मों के निशान हैं. थोड़ा सा भी शरीर हिलाने पर वो दर्द से कराह उठती हैं.
'बार-बार डर से सिहर उठती है'
इसी गांव की रहने वाली सविता देवी, अनीता देवी और चंद्रा देवी भी महाकुंभ में गई थीं. अनीता देवी का कहना है सब बोल रहे थे महाकुंभ में स्नान से स्वर्ग मिलता है इसलिए हम भी नहाने गए थे. जैसे ही हम घाट पर पहुंचे वहां भगदड़ मच गई. तब उन्होंने एक आदमी का कॉलर पकड़कर बाहर निकालने की विनती की. तब उसने हाथ पकड़कर घसीटते हुए बाहर निकाला. सविता देवी के बेटे ने बताया कि उसकी मम्मी बिना बिताए महाकुंभ चली गई थी. वो पांचों भाई-बहन महाकुंभ में भगदड़ की खबर सुनकर रोने लगे थे. सविता देवी ने बताया कि भगदड़ के दौरान उन्होंने एक पुलिसवाले से विनती की तो उसने भीड़ से बाहर निकाला. अब भी उनका शरीर दर्द से कराहता है. सविता देवी के बेटे का कहना है कि अब भी उनकी मां मानसिक तौर पर परेशान है. वो बार-बार डर से सिहर उठती है रोने लगती है.
महाकुंभ में भगदड़ से बचकर निकली चंद्रा देवी का कहना है कि ऐसा लगता है मानों लाशों पर भागदौड़ हो रही थी. जो जितना मजबूत था कमजोर आदमी को दबा रहा था. उन्होंने सरकार और प्रशासन पर भी गुस्सा जाहिर किया.
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