प्रोटेम स्पीकर जीतन राम मांझी ने तेजस्वी की लगाई फटकार, बताया- क्यों CM नीतीश का सदन में उपस्थित रहना है जरूरी
जीतन राम मांझी ने तेजस्वी से कहा कि मुख्यमंत्री ही विधानसभा का नेता होता है और अध्यक्ष पद की चुनाव प्रक्रिया समाप्त होने और परिणाम के सामने आने के बाद नीतीश कुमार ही नवनिर्वाचित स्पीकर को कुर्सी पर बैठाएंगे.

पटना: बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन सदन में स्पीकर पद के चुनाव के दौरान सीएम नीतीश की मौजूदगी को लेकर किये गये हंगामा के बीच विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर जीतन राम मांझी ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को फटकार लगाई और बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सदन में रहना क्यों जरूरी है.
जीतन राम मांझी ने तेजस्वी से कहा कि मुख्यमंत्री ही विधानसभा का नेता होता है और अध्यक्ष पद की चुनाव प्रक्रिया समाप्त होने और परिणाम सामने आने के बाद नीतीश कुमार ही नवनिर्वाचित स्पीकर को कुर्सी पर बैठाएंगे. ऐसे उनका सदन में होना अनिवार्य है और इसमें कोई अनुचित बात नहीं है.
वहीं, जीतन राम मांझी ने यह भी कहा कि इस सदन ने राबड़ी शासनकाल में यह भी देखा कि लालू यादव सांसद थे विधायक नहीं थे, तब भी वो सदन में मौजूद थे. हालांकि यह कहने के बावजूद विपक्ष मानने को तैयार नहीं है और गुप्त मतदान की मांग कर रहे हैं. मांझी का कहना है कि ऐसा कोई संवैधानिक प्रक्रिया नहीं है.
दरसअल, आज सत्र के दौरान जब चार विधायकों के शपथ ग्रहण के बाद प्रोटेम स्पीकर जीतन राम मांझी ने सर्वसम्मति से स्पीकर के चयन का प्रस्ताव रखा तो विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मंत्री अशोक चौधरी और मुकेश साहनी को सदन से बाहर निकालने की मांग करने लगे. इसके बाद प्रोटेम स्पीकर ने मुकेश सहनी और अशोक चौधरी को सदन से बहार जाने का आदेश दिया जबकि नीतीश कुमार सदन में ही मौजूद रहे.
आरजेडी का कहना था कि ये विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव का अवसर है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत कई ऐसे मंत्री महोदय जो किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं, वो विराजमान होकर अपनी 'ध्वनि' से ध्वनि मत को समृद्ध कर रहे हैं. जनादेश चोरी के बाद आप लोकतंत्र को और शर्मसार कर रहे हैं. लोकतंत्र को और अधिक प्रदूषित ना करिए. सदन स्थापित परंपरा नहीं स्थापित नियम से चलता है. विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में मुख्यमंत्री जो विधानसभा के सदस्य भी नहीं है उनके बैठने की कोई परंपरा नहीं रही है. अशोक चौधरी और मुकेश सहनी जो किसी भी सदन के सदस्य नहीं है वो सदन में कैसे बैठे हैं?
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