![metaverse](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-top.png)
कोमालिका बारी के गोल्ड मेडल जीतने पर भावुक हुईं मां, कहा- किश्तों में खरीदा था पहला धनुष
पेशे से आंगनबाड़ी सेविका कोमालिका बारी की मां रश्मि बारी ने बताया कि बांस से बना हुई धनुष, जिसकी कीमत 5000 रुपये थी, उसे उन्होंने इंस्टॉलमेंट पर खरीदा था.
![कोमालिका बारी के गोल्ड मेडल जीतने पर भावुक हुईं मां, कहा- किश्तों में खरीदा था पहला धनुष Mother got emotional after winning the gold medal of Komalika Bari, said - bought the first bow in installments ann कोमालिका बारी के गोल्ड मेडल जीतने पर भावुक हुईं मां, कहा- किश्तों में खरीदा था पहला धनुष](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/06/28/55d4707a94370b6a74698700f9cb24d7_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
जमशेदपुर: झारखंड की तीरंदाज दीपिका कुमारी, अंकिता भक्त और कोमालिका बारी की अगुवाई वाली भारतीय महिला रिकर्व टीम ने पेरिस में चल रहे विश्व कप स्टेज 3 के फाइनल में मैक्सिको को हराकर स्वर्ण पदक जीत लिया है. विश्वकप की यह फाइनल टूर्नामेंट ओलंपिक क्वालिफायर के रूप में भी बेहद महत्वपूर्ण और निर्णायक मैच थी. भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व कर रही झारखंड की युवा महिला तीरंदाजों ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए देश को गौरवांवित किया है. बता दें कि उक्त तीनों ही तीरंदाज झारखंड के जमशेदपुर से हैं और शहर को इनकी प्रतिभा पर गर्व है.
इस वजह से खेल की तरफ बढ़ा रुझान
आज जब बेटी ने पेरिस में गोल्ड मेडल हासिल की तो कोमालिका बारी के माता-पिता को पुराने दिन याद आ गए. उन्होंने एबीपी न्यूज से बातचीत के दौरान बताया कि छोटी उम्र में बेटी की तबीयत हमेशा खराब रहती थी, तो उन्होंने सोचा कि इसे स्पोर्ट्स में डाल देते हैं. इसके बाद उसे आर्चरी में डाला गया. तब उनके धनुष खरीदने के भी पैसे नहीं थे, लेकिन बेटी के जज्बे ने उनकी हिम्मत को टूटने नहीं दिया.
पेशे से आंगनबाड़ी सेविका कोमालिका बारी की मां रश्मि बारी ने बताया कि बांस से बना हुई धनुष, जिसकी कीमत 5000 रुपये थी, उसे उन्होंने इंस्टॉलमेंट पर खरीदा था. इसके बाद बाद जब टाटा आर्चरी अकैडमी में कोमालिका बारी का चयन हुआ, वहां से आर्चरी खेलने के लिए बो खरीदने की बात सामने आई है. तब पिता घनश्याम बारी जो पेशे से एलआईसी एजेंट हैं ने समाज से कई लोगों से मदद की गुहार लगाई, लेकिन हर तरफ से मायूसी मिली.
हॉकी प्लेयर थीं कोमालिका की मां
ऐसे में थक हार कर उन्होंने अपने घर को बेच दिया और बेटी की खेल के सफर की शुरुआत कराई. आज जब बेटी कोमालिका बारी ने गोल्ड जीता, तो ये साबित हो गया कि उनका ये बलिदान खाली नहीं गया. बता दें कि कोमालिका बारी की मां रश्मि भी हॉकी प्लेयर रही हैं. लेकिन जिम्मेदारियों की वजह से वो अपने सपने को पूरा नहीं कर पाई. ऐसे में उनकी चाहत है कि उनकी बेटी जिंदगी में हर सफलता हासिल करे.
यह भी पढ़ें -
Bihar Politics: सरकार के काम से ‘खुश’ हैं लालू यादव!, बिहार में डबल इंजन को दी ‘हार्दिक बधाई’
बिहारः छपरा में हुई शादी में दिखा ‘रामायण’ का सीन, वरमाला के बाद दूल्हे ने हाथ जोड़ा फिर तोड़ा धनुष
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![metaverse](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![डॉ. सब्य साचिन, वाइस प्रिंसिपल, जीएसबीवी स्कूल](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/045c7972b440a03d7c79d2ddf1e63ba1.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)