Surajbhan Singh: बिहार का वो बाहुबली जिसके जुर्म की 'आग' से सिहर गया था प्रदेश, नाम सुनते ही कांप उठते थे लोग
सूरजभान सिंह के पिता एक कारोबारी के दुकान में नौकरी करते थे. वो चाहते थे कि बेटा फौज में जाए, लेकिन 80 के दशक से ही सूरजभान सिंह का नाम अपराध की दुनिया में आ गया था.

पटना: बिहार के मोकामा का नाम आते ही राजनीतिक सरगर्मी बढ़ जाती है. ये वो इलाका है जहां पिछले तीन दशक से बाहुबलियों का साम्राज्य है. कई बाहुबली पहले अपराध की दुनिया का सिरमौर बनते हैं फिर बाहुबल की हनक के सहारे राजनीतिक सफर तय करते हैं. इस इलाके में इसकी शुरुआत बाहुबली विधायक अनंत सिंह (Anant Singh) के बड़े भाई दिलीप कुमार सिंह ने की थी जो 1990 में जनता दल के टिकट पर चुनाव जीत गए थे लेकिन इसी मोकामा में एक ऐसे भी बाहुबली का जन्म हुआ जिसका नाम है सूरज भान सिंह (Surajbhan Singh). हत्या, लूट, अपहरण सहित 30 संगीन मामले सूरज भान सिंह पर दर्ज हैं.
कौन है सूरज भान सिंह?
पांच मार्च 1965 को बिहार के मोकामा जिले में सूरज भान सिंह का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था. पिता मोकामा के ही एक कारोबारी के दुकान में नौकरी करते थे और बड़े भाई की बहाली फौज में हुई थी. सूरज भान के पिता चाहते थे कि लंबे कद काठी वाला उनका छोटा बेटा भी फौज में बहाल हो लेकिन यहां तो माथे पर जुर्म की दुनिया का बेताज बादशाह बनना लिखा था. 80 के दशक में सूरज भान अपराध की दुनिया में कूद चुका था. उस समय वो छोटा-मोटा अपराध करता था लेकिन नब्बे का दशक आते ही क्राइम की लिस्ट बढ़ने लगी. तब सूरज भान पूरी तरीके से अपराध की दुनिया पर अपना कब्जा जमाने में सफल हो रहा था.
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सूरज भान के माथे पर तत्कालीन मंत्री का था हाथ
जानकारों के मुताबिक उसे आगे बढ़ाने वालो में दो लोगों का नाम सामने आता है. पहला कांग्रेस के विधायक और तत्कालीन मंत्री श्याम सुंदर सिंह धीरज और अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह का. जिन दोनों के सरपरस्ती में सूरज भान ने अपराध की सीढ़ियां चढ़ी एक समय में दोनों के बीच अनबन हो गई जिसके बाद से सूरज भान का कद काफी बढ़ गया और श्याम सुंदर सिंह धीरज के लिए सूरज भान ने दिलीप सिंह का स्थान ले लिया और धीरज का शागिर्द भी बन गया.
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श्याम सुंदर सिंह धीरज को बाहुबली दिलीप सिंह की चुनौती के बाद छिड़ी जंग
दरअसल, कभी श्याम सुंदर धीरज के लिए बूथ कब्जा करने वाले बाहुबली दिलीप सिंह ने उन्हें चुनावी मैदान में चुनौती दे दी और चुनाव जीतकर लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) की सरकार में मंत्री बन गए. कहा जाता है दिलीप सिंह को धीरज ने ही पाला-पोसा था. ऐसे में पाले-पोसे शख्स की ओर से चुनावी मैदान में शिकस्त मिलने के बाद श्याम सुंदर सिंह धीरज बौखला गए और दिलीप सिंह के खिलाफ तैयार होने लगे तभी उन्हें अपने आस पास सूरज भान सिंह पर नजर पड़ी जिसके अंदर जुर्म की दुनिया का बेताज बादशाह बनने की पूरी इच्छा थी. फिर धीरज ने सूरजभान को अपना करीबी बना लिया.
बाद में दिलीप सिंह सरकार में मंत्री बनकर सफेदपोश बन गए उन्हें इमेज भी बचानी थी और रुतबा भी बरकरार रखना था. तब सूरज भान और श्याम सुंदर सिंह के सहयोग से काफी आगे निकल चुका था और मोकामा इलाके में इसकी तूती बोलने लगी. फिलहाल सूरज भान सिंह जेल से बाहर हैं और वो लोक जनशक्ति (पारस गुट) से पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष के पद पर हैं.
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