पहाड़ का सीना चीरकर गनौरी ने योगेश्वर नाथ के मंदिर तक बनाई सीढ़ी, आसान कर दी श्रद्धालुओं की राह
गनौरी शुरुआती दिनों को याद करके बताते हैं कि कई बार तो लगता था कि नहीं हो पाएगा. मगर उनकी पत्नी तेतरी देवी उन्हें हताश नहीं होने देती थी और फिर बच्चों का साथ भी उन्हें मिलने लगा था.

जहानाबाद: मगध की धरती कर्मयोगियों की भूमि रही है. दशरथ मांझी, लौंगी मांझी के बाद अब जहानाबाद के वनवरिया के गनौरी पासवान का नाम इनदिनों चर्चा में है. जहानाबाद के वनवरिया टोला के बैजू बिगहा निवासी 66 वर्षीय गनौरी पासवान भी किसी तरह कमतर नहीं है. लाठी की बदौलत चलने वाले दिव्यांग गनौरी की मेहनत और हौसले ने सैकड़ों श्रद्धालुओं का पहाड़ियों स्थित योगेश्वर नाथ के मंदिर तक जाने की राह आसान कर दी.

योगेश्वर नाथ के मंदिर तक कराया सीढ़ी का निर्माण
वनवरिया पहाड़ी की ऊंची चोटी पर योगेश्वर नाथ का मंदिर है, मगर अधिकांश श्रद्धालु वहां चाह कर भी सीढ़ी नहीं होने की वजह से नहीं पहुंच पाते थे. वृद्ध और महिलाओं को ज्यादा परेशानी होती थी. बस इसी बात से परेशान गनौरी ने तकरीबन 800 फीट ऊंची पहाड़ी पर सपाट और सुगम रास्ता बनाने का प्रण ले लिया और फिर चापाकल मिस्त्री का काम छोड़कर पहाड़ी को सपाट बनाने में जुट गए.
700 फीट तक सीढ़ी बनकर है तैयार
उनके 2 साल की अथक मेहनत से 2018 के अंत तक मंदिर तक 6 फीट चौड़ा रास्ता बना दिया गया था, लेकिन उस रास्ते पर भी आवागमन सुरक्षित नहीं था. तभी उन्होंने रास्ते पर सीढ़ी बनाने की ठान ली और उनके मेहनत के बदौलत बगैर किसी सरकारी मदद के बगैर आज लगभग 700 फीट तक सीढ़ी भी बनकर तैयार है और बाकी बचे 100 मीटर के रास्ते में भी सीढ़ी बनाने का काम में गनौरी अपनी पत्नी के साथ लगे हुए हैं.

लॉकडाउन के दरम्यान किया साहसिक कार्य
लॉकडाउन से पहले श्रद्धालु महादेव के दर्शन के लिए कतार लगाए रहते थे. अब वृद्ध और दिव्यांग जन भी बड़े आराम से पहाड़ी की चोटी पर पहुंच कर योगेश्वर नाथ का दर्शन कर पाते हैं. गनौरी शुरुआती दिनों को याद करके बताते हैं कि कई बार तो लगता था कि नहीं हो पाएगा. मगर उनकी पत्नी तेतरी देवी उन्हें हताश नहीं होने देती थी और फिर बच्चों का साथ भी उन्हें मिलने लगा था. गनौरी कहते हैं, सीढ़ी निर्माण को लेकर पत्नी ने अपने जेवर तक गिरबी रख दिया.
नहीं मिली कोई सरकारी सहायता
उन्हें इस काम के लिए सरकार से कोई मदद मिली या नहीं यह सवाल सुनकर वो बड़ा उदास हो जाते हैं, क्यूंकि इस महान कार्य के लिए भी उन्हें सरकार से किसी तरह का कोई मदद नहीं मिला है. स्थानीय निवासी कौशलेन्द्र शर्मा कहते है गनौरी के कुछ परिचित और मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं द्वारा कभी कभार थोड़ा-बहुत सहयोग किया गया है, लेकिन वह सहयोग नाम मात्र ही होता था. योगेश्वर नाथ के मंदिर तक सीढ़ी के निर्माण का पूरा श्रेय गनौरी पासवान की मेहनत और उसके लगन को जाता है.
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