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बिहार में चमकी बुखार ने दी दस्तक, सामने आया पहला केस, स्वास्थ्य विभाग कर रहा ये दावा
डॉक्टर ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि बच्चों को खाली पेट नहीं रखें. उनके भोजन पर ध्यान दें. आम तौर पर बच्चों में ग्लूकोज लेवल कम होने से इस बीमारी का प्रकोप देखा जाता है.
![बिहार में चमकी बुखार ने दी दस्तक, सामने आया पहला केस, स्वास्थ्य विभाग कर रहा ये दावा Chamki fever in Bihar knocked, first case came out, Health Department is claiming this ann बिहार में चमकी बुखार ने दी दस्तक, सामने आया पहला केस, स्वास्थ्य विभाग कर रहा ये दावा](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2021/02/20010949/AES.jpeg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर में एक बार फिर से चमकी बुखार ने दस्तक दे दी है. जिले के पारू प्रखंड से इस साल का पहला केस सामने आया है, जहां चार साल के बच्चे को बुखार की शिकायत होने पर एसकेएमसीएच में भर्ती कराया गया है. फिलहाल डॉक्टरों की देखरेख में बीमार बच्चे का इलाज किया जा रहा है.
इलाज के लिए बनाया गया है स्पेशल वार्ड
बता दें कि जिले के एसकेएमसीएच में एईएस के इलाज के लिए एक स्पेशल वार्ड बनाया गया है, जिसमें बच्चे का इलाज चल रहा है. इधर, इस मामले में जब एसकेएमसीएच के सुप्रिटेंडेंट से बात किया गया तो उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी शिशु विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर ने दी है, लेकिन अभी अननोन एईएस की पुष्टि हुई है.
इलाज के लिए की गई है बेहतर व्यवस्था
उन्होंने कहा कि हम पूरा प्रयास करेंगे कि आने वाले दिनों में अगर बच्चे बीमार पड़ते हैं, तो सभी बच्चों के जीवन को बचाया जा सके. बच्चों के बेहतर इलाज के लिए हर तरह की व्यवस्था की गई है. जिला प्रशासन के साथ भी एईएस को लेकर बैठके लगातार चल रही है और आवश्यक निर्देश दिए जा रहे हैं.
बच्चों को तुरंत लेकर आएं अस्पताल
उन्होंने बताया कि इस बीमारी को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. डॉक्टर ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि बच्चों को खाली पेट नहीं रखें. उनके भोजन पर ध्यान दें. आम तौर पर बच्चों में ग्लूकोज लेवल कम होने से इस बीमारी का प्रकोप देखा जाता है. ऐसे में जैसे ही बच्चों में इस बीमारी का लक्षण दिखे, बिना समय गंवाए इलाज के लिये पहुंचे, क्योंकि देर करने से बच्चों की जान का खतरा हो जाता है.
बता दें कि जिले में हर साल एईएस बीमारी बच्चों पर कहर बरपाती है. दर्जनों बच्चे बीमार होते हैं और कई असमय काल के गाल में समा जाते हैं. अब तक इस बीमारी के मूल कारणों का पता नहीं चल सका है. इस साल फरवरी महीने में ही पहला सामने आया है, जिसके बाद प्रशासन ने अपनी तैयारियां पूरा होने का दावा किया है.
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