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बिहार: आखिरी चरण आसान करेगा सत्ता की राह, यहां पढ़ें- सीटों से लेकर समीकरण तक की पूरी जानकारी

राजद ने सबसे अधिक 46, कांग्रेस ने 25, और सीपीआई एम एल ने 5, सीपीआई ने 2 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं.जेडीयू ने 37, भाजपा ने 35, वीआईपी ने पांच और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ने एक प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारे हैं.

बिहार चुनाव: बिहार विधानसभा चुनाव के तीसरे और अंतिम चरण में राज्य के 15 जिलों की 78 विधानसभा सीटों के लिए शनिवार को वोट डाले जाएंगे. माना जा रहा है कि इस चरण में जिस गठबंधन को बढ़त मिलेगी, राज्य में अगली सरकार बनाने में उसकी राह आसान होगी. यही कारण है कि सभी राजनीतिक दल इस चरण की अधिक से अधिक सीटें हासिल करने के लिए जी-तोड़ मेहनत की है.

इस चरण में सत्ताधरी एनडीए की ओर से जनता दल (युनाइटेड) ने 37, भाजपा ने 35, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) ने पांच और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ने एक प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारे हैं. वहीं विरोधी दलों के महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने सबसे अधिक 46, कांग्रेस ने 25, और सीपीआई एम एल ने 5, सीपीआई ने 2 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं. इसके अलावा लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने भी 42 प्रत्याशी उतारे हैं.

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने एआईएमआईएम और कई अन्य दलों से गठबंधन कर सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं. पप्पू यादव की पार्टी जन अधिकार पार्टी का गठबंधन भी इस चरण में चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहा है. राजनीति के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार गिरिन्द्र नाथ झा कहते हैं कि इस चुनाव में वोटों का बिखराव माना जा रहा है. उन्होंने कहा कि सीमांचल के क्षेत्र में एआईएमआईएम के उतर जाने और कई दलों द्वारा मुस्लिम उम्मीदवारों के उतारे जाने के बाद मुस्लिम मतदाताओं में भी बिखराव तय है.

ओवैसी और पप्पू यादव गठबंधनों को प्रभावित कर रहे

झा के अनुसार, "मधेपुरा के पूर्व सांसद पप्पू यादव और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) कुछ क्षेत्रों में दोनों गठबंधनों को प्रभावित करते नजर आ रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं कि कोई भी पार्टी किसी खास जाति के मतदाता पर अपना दावा कर सके." झा का मानना है कि मुख्य मुकाबला दोनों गठबंधनों में ही है परंतु मधेपुरा समेत यादव बहुल क्षेत्रों में जन अधिकार पार्टी तो कुछ इलाकों में लोजपा और रालोसपा मुकाबले को त्रिकोणात्मक या बहुकोणीय बना रहा है.

पिछले विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र से सबसे अधिक 24 सीटें जदयू के खाते में गई थीं. पिछले चुनाव में जदयू, राजद के साथ थी. इस बार जदयू, भाजपा के साथ है. पिछले चुनाव में भाजपा 19 और राजद को 20 सीट और कांग्रेस के 10 प्रत्याशी विजयी पताका फहराया था. इसके अलावा सीपीआईएमएल को एक और चार अन्य के हिस्से आई थीं.

78 सीटों पर मतदान होना है

राजनीति के जानकार रामेश्वर प्रसाद की राय अलग है. उन्होंने दावा किया है कि जिन 78 सीटों पर मतदान होना है वहां मतदाताओं के ध्रुवीकरण का भी प्रयास किया गया है. उन्होंने कहा कि भाजपा और जदयू के साथ रहने के बावजूद भी जदयू को मुस्लिम मतदाताओं का वोट मिलता रहा है. प्रसाद कहते हैं, "इस चरण में मिथिलांचल का इलाका है तो कोसी और सीमांचल का भी इलाका है. मिथिलांचल में भाजपा मजबूत रही है, तो सीमांचल में मुस्लिम मतदाता चुनाव परिणाम तय करते हैं. एआईएमआईएम के मैदान में आने के बाद और मुस्लिम लीग और कई राजनीतिक दलों द्वारा मुस्लिम प्रत्याशी उतारे जाने से महागठबंधन को नुकसान हो सकता है, जबकि जदयू प्रत्याशी के सामने लोजपा के प्रत्याशी उतारे जाने से एनडीए को नुकसान उठाना पड़ सकता है."

उल्लेखनीय है कि इस चरण के मतदान के लिए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा कई केन्द्रीय मंत्री मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए चुनावी सभा कर चुके हैं जबकि राजद के लिए तेजस्वी यादव ने कड़ी मेहनत की है. एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी कई सभा कर चुके हैं.

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