RJD की बागी नेता रितु जायसवाल ने खोला मोर्चा, कहा- 'मेरी लड़ाई पद की नहीं, व्यवस्था के खिलाफ है'
Bihar Election 2025: राजद की पूर्व महिला अध्यक्ष ने दल के अंदरूनी दलाल तंत्र पर हमला बोला. परिहार से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया. साथ ही कहा कि मेरी लड़ाई पद नहीं, भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ है.

राजद की महिला प्रकोष्ठ की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रितु जायसवाल ने पार्टी नेतृत्व और अंदरूनी गुटबाजी पर गंभीर आरोप लगाते हुए खुलकर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि उनका संघर्ष किसी पद या टिकट के लिए नहीं, बल्कि उस व्यवस्था के खिलाफ है जहां रात के अंधेरे में टिकट बांटे जाते हैं. साथ ही मेहनती कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की जाती है.
पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि वर्ष 2020 में जब उन्हें परिहार से टिकट दिया गया था, तब भी वह एक जानी-मानी समाजसेवी थीं. उन्होंने बताया कि पार्टी में शामिल होने से पहले उन्हें 'राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार' (2019) और 'चैंपियनस ऑफ चेंज' (2018) जैसे राष्ट्रीय सम्मान मिल चुके थे. इसलिए यह कहना कि राजद ने उन्हें पहचान दी, पूरी तरह गलत है. उन्होंने कहा कि मेरी पहचान मेरे काम से बनी थी.
पार्टी पैसे लेकर किसी को भी बना देती है उम्मीदवार- रितु जायसवाल
रितु जायसवाल ने बताया कि 2023 में पार्टी ने उन पर भरोसा जताते हुए उन्हें राजद महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष बनाया. ढाई वर्षों की अथक मेहनत के बाद बिहार में महिलाओं का मजबूत संगठन खड़ा हुआ, जिसे बापू सभागार के महिला दिवस कार्यक्रम में सबने देखा है.
लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर उन्होंने खुलासा किया कि तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव के साथ हुई बैठकों के बाद उन्हें शिवहर से चुनाव लड़ने का निर्देश दिया गया था. मैंने पूरी निष्ठा से प्रचार शुरू किया, लेकिन कुछ ही दिनों में पता चला कि पार्टी के कुछ दलाल पैसे लेकर किसी और को उम्मीदवार बनाने में जुटे हैं. उन्होंने ने कहा कि तेजस्वी यादव ने अंततः उन्हें ही टिकट दिया, जिसके लिए उन्होंने उनका आभार व्यक्त किया. लेकिन, इस बार विधानसभा चुनाव को लेकर परिहार से टिकट न मिलने पर उन्होंने पार्टी की अंदरूनी राजनीति पर सवाल उठाए.
ईमानदार विधायक का काट दिया था टिकट- जायसवाल
रितु जायसवाल ने कहा कि परिहार से किसी और कार्यकर्ता को टिकट दिया गया होता तो वह खुशी-खुशी पीछे हट जातीं, लेकिन टिकट ऐसे व्यक्ति को दिया गया जिसने 2020 में पार्टी के साथ गद्दारी की थी. मैं परिहार छोड़कर बेलसंड नहीं जा सकती थी, जहां मेरे कारण किसी ईमानदार विधायक का टिकट काट दिया जाए.
व्यवस्था के खिलाफ है मेरी लड़ाई - रितु जायसवाल
उन्होंने कहा कि निर्दलीय चुनाव लड़ने का उनका निर्णय कठिन जरूर था, पर जरूरी भी है. मेरी लड़ाई व्यवस्था के खिलाफ है, दलालों के वर्चस्व के खिलाफ है. उस परिहार के लिए है जो 25 सालों से विकास के लिए तरस रहा है.
Source: IOCL























