बीजेपी ने बुर्का पहनकर मतदान की पहचान पर दिया जोर, RJD ने बताई राजनीतिक साजिश
Bihar Election 2025: बीजेपी ने बुर्का पहनकर मतदान करने वाली महिलाओं की पहचान ईपीआईसी से सुनिश्चित करने और चुनाव एक-दो चरणों में कराने की मांग की. राजद ने इसे राजनीतिक साजिश बताया.

बीजेपी की बिहार इकाई के अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने शनिवार (4 अक्तूबर) को निर्वाचन आयोग से राज्य विधानसभा चुनाव एक या दो चरणों में संपन्न कराने का आग्रह किया. इसके साथ ही उन्होंने मांग की कि मतदान केंद्रों पर बुर्का पहनकर आने वाली महिलाओं की पहचान उनके मतदाता पहचान पत्र (ईपीआईसी) के साथ सही तरीके से सुनिश्चित की जाए, ताकि केवल वास्तविक मतदाता ही अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें.
बीजेपी अध्यक्ष ने यह सुझाव मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व वाले आयोग के दल से दो दिवसीय बिहार दौरे के दौरान बैठक में दिया. जायसवाल ने कहा कि चुनावी प्रक्रिया को लंबा खींचने की जरूरत नहीं है. चुनाव की घोषणा और मतदान शुरू होने के बीच अनिवार्य 28 दिन से अधिक विलंब नहीं होना चाहिए. अगर घोषणा अगले कुछ दिनों में होती है तो मतदान तीन-चार नवंबर से शुरू होना चाहिए.
बीजेपी थोपना चाहती है अपना एजेंडा- कुशवाहा
बीजेपी की यह मांग राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को नागवार गुजरी. राजद के लोकसभा नेता अभय कुशवाहा, प्रवक्ता चितरंजन गगन और मुकुंद सिंह ने आयोग से मुलाकात की. कुशवाहा ने बुर्का विवाद पर कहा कि यह राजनीतिक साजिश है. हाल ही में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) किया गया और सभी मतदाताओं को नए फोटोयुक्त पहचान पत्र जारी किए जा रहे हैं. पहचान कोई बड़ी समस्या नहीं है, लेकिन बीजेपी अपना एजेंडा थोपना चाहती है.
छठ के बाद आयोजित किया जाए मतदान
राजद ने हालांकि इस बात पर सहमति जताई कि चुनाव दो चरणों से अधिक में नहीं होने चाहिए, क्योंकि वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने में बहुत कम समय बचा है. साथ ही राजद ने सुझाव दिया कि मतदान राज्य के सबसे लोकप्रिय पर्व छठ के बाद आयोजित किया जाए, जो अक्टूबर अंत में दीपावली के छह दिन बाद मनाया जाएगा. चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और ‘इंडिया’ गठबंधन की घटक भाकपा (माले लिबरेशन) ने भी आयोग से आग्रह किया कि विधानसभा चुनाव दो चरणों से अधिक में न कराए जाएं.
मतदाताओं के हटाए नाम का विवरण कराए आयोग
बीजेपी और राजद दोनों ने माना कि बिहार के अनेक गांवों में पिछड़े वर्गों की बड़ी आबादी को चुनावों के दौरान भयभीत किया जाता रहा है. राजद ने आयोग से यह भी जानकारी सार्वजनिक करने की मांग की कि हाल में प्रकाशित अंतिम मतदाता सूची से जिन 3.66 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं, उनका विवरण सभी के लिए उपलब्ध कराया जाए.
Source: IOCL





















