धोनी न होते तो हार जाता भारत ये मैच, अपने बलबूते टीम को जीत की दहलीज तक पहुंचाने में रहे सफल
क्रिकेट को अलविदा कहने से धोनी के दुनिया भर में फैले प्रशंसक उदास हैं. भारतीय टीम के लिए उनकी कुछ यादगार बल्लेबाजी जीत का सेहरा बनी है.
16 बरसों तक T-20 और वन डे के बेताज बादशाह रहे धोनी भले पिच से दूर हो गए हैं लेकिन उनकी यादों को भूला पाना आसान नहीं होगा. टीम इंडिया के अहम स्तंभ रहे धोनी को कई यादगार पारी के लिए जाना जाएगा. बल्लेबाजी हो या बैटिंग या फिर विकेट कीपिंग में धोनी ने अपनी कुशलता का शानदार परिचय दिया है. अंतरराष्ट्रीय वन डे के कई मैच में अपने बलबूते भारतीय टीम को जीत के किनारे पहुंचा कर धोनी टूटती उम्मीदों का सहारा बने. ये मैच इसलिए भी याद रखे जाएंगे क्योंकि अगर धोनी नहीं खेल रहे होते तो टीम इंडिया के हारने की आशंका ज्यादा थी.
पाकिस्तान के खिलाफ सेंचुरी धोनी की पाकिस्तान के खिलाफ दो सेंचुरी काफी तारीफ के काबिल रही हैं. उन्होंने पहली सेंचुरी पाकिस्तान के खिलाफ विशाखापट्नम में ठोकी थी. 2005 में भारत के दौरे पर आई पाकिस्तानी टीम के साथ मुकाबले में धोनी चार मैचों में कुछ खास नहीं कर पाए थे. सचिन तेंदुलकर के जल्दी रन आउट होने के बाद टीम इंडिया पर हार का खतरा मंडरा रहा था. लेकिन पांचवें मैच में धोनी ने पाकिस्तान के खिलाफ 15 चौकों और 4 छक्कों की मदद से सेंचुरी जड़ कर भारत को जीत की दहलीज तक पहुंचाया. धाकड़ क्रिकेटर इंजमामुल हक, अब्दुररज्जाक, शोएब मलिक और मोहम्मद युसूफ की मौजूदगी के बावजदू पाकिस्तान मैच हार गया. 123 गेंदों पर 148 रनों की बरसात कर धोनी ने वन डे इंटरनेशल क्रिकेट में पहला शतक जमाया.
श्रीलंका के खिलाफ सबसे बड़ा स्कोर धोनी का जयपुर की पिच पर बनाया गया शानदार शतक भी भूलनेवाला नहीं है. धोनी 299 रन के जवाब में 183 रन का विशाल स्कोर खड़ा कर नॉट आउट रहे. पारी की खास बात ये थी कि उन्होंने 145 गेंदों का सामना करते हुए 15 चौके और 10 छक्के भी लगाए. श्रीलंका के धुरंधरों के खिलाफ भारत के सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीरेंद्र सहवाग और युवराज सिंह जैसे दिग्गज अनुभवी खिलाड़ी पवेलियन से बाहर जा चुके थे. मगर धोनी के लंबे स्कोर की बदौलत भारतीय टीम ने जीत का स्वाद चखा.
लाहौर में धोनी 72 रन पर नॉट आउट 2006 में पाकिस्तान दौरे पर गई भारतीय टीम का तीसरा एकदिवसीय मैच था. शोएब मलिक की सेंचुरी और अब्दुररज्जाक के 64 रन की बदौलत पाकिस्तान ने भारत के सामने जीत के लिए 289 रन का लक्ष्य रखा. भारत ने 12 रन पर अपना दो विकेट जल्दी गंवा दिया. बाद में आए युवराज और सचिन तेंदुलकर ने मैच को पहले संभालने की कोशिश की. उसके बाद आए धोनी 46 गेंदों पर 72 रन बनाकर आखिरी वक्त तक युवराज के साथ खड़े रहे. इसी तरह सीरीज के आखिरी मैच में भी धोनी कराची में 77 रन बनाकर नाबाद रहे.
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 112 मीटर का छक्का 2012 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एडिलेड में भारतीय टीम को जीत के लिए 270 रन दरकार थे. भारत की शुरुआत अच्छी रहने के बावजूद 179 रन पर चार विकेट गिर गए. जीत के लिए 91 रन की भारत को जरूरत बहुत मुश्किल लग रही थी. सारा दबाव धोनी पर आ गया. दूसरे छोर पर सुरेश रैना और रविंद्र जडेजा का विकेट गिरने से मुश्किलें और बढ़ गईं. ऐसा लग रहा था कि भारत जीत की मंजिल तक नहीं पहुंच पाएगा. भारत को आखिरी ओवर में 15 रन और आखिरी चार गेंदों पर 12 रन चाहिए थे. मगर एक छोर पर धोनी डटे रहे और जीता मैच भारत ने ऑस्ट्रेलिया के मुंह से छीन कर उसकी उम्मीदों को चकनाचूर कर दिया. धोनी ने भारतीय टीम की जीत के लिए जरूरी 44 रन बनाए. उन्होंने मैच में 112 मीटर का लंबा छक्का लगाकर नया रिकॉर्ड बनाया.
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