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45 साल से पंडवानी गाती आ रहीं उषा बारले को मिलेगा पद्मश्री पुरस्कार, अब तक 12 से ज्यादा देशों में दे चुकी हैं प्रस्तुति

भिलाई की रहने वाली उषा बारले 7 साल की उम्र से पंडवानी गाती आ रही हैं. भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना है. उषा अब तक 12 से ज्यादा देशों में पंडवानी की विधा प्रस्तुति दे चुकी हैं.

भिलाई की रहने वाली उषा बारले 7 साल की उम्र से पंडवानी गाती आ रही हैं. भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना है. उषा अब तक 12 से ज्यादा देशों में पंडवानी की विधा प्रस्तुति दे चुकी हैं.

उषा बारले (फोटो क्रेडिट: दिलीप कुमार शर्मा)

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महज 7 साल की उम्र से पंडवानी गाने वाली गायिका ऊषा बारले को भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित किया है.दुर्ग के भिलाई की रहने वाली उषा बारले लगभग 45 साल से पंडवानी गायिका रही है. अब तक भारत के साथ -साथ करीब 12 से ज्यादा देशों में उषा अपनी पंडवानी की विधा प्रस्तुति दे चुकी है.
महज 7 साल की उम्र से पंडवानी गाने वाली गायिका ऊषा बारले को भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित किया है.दुर्ग के भिलाई की रहने वाली उषा बारले लगभग 45 साल से पंडवानी गायिका रही है. अब तक भारत के साथ -साथ करीब 12 से ज्यादा देशों में उषा अपनी पंडवानी की विधा प्रस्तुति दे चुकी है.
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पद्मश्री सम्मान के लिए उषा बारले के नाम की घोषणा होने के बाद उषा बारले और उनका परिवार बेहद खुश है. उषा बारले बताती हैं कि 7 साल की उम्र से ही उन्हें पंडवानी गायन में रूचि होने लगी थी. इसके लिए सबसे पहले उनके गुरु उनके फूफा बने.
पद्मश्री सम्मान के लिए उषा बारले के नाम की घोषणा होने के बाद उषा बारले और उनका परिवार बेहद खुश है. उषा बारले बताती हैं कि 7 साल की उम्र से ही उन्हें पंडवानी गायन में रूचि होने लगी थी. इसके लिए सबसे पहले उनके गुरु उनके फूफा बने.
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उषा बारले ने बताया कि उनके फूफा ने उनका हौसला बुलंद किया और उनके फूफा ने कहा था कि 1 दिन तुम अपने गांव के साथ-साथ अपने राज्य और देश का नाम रोशन करोगी,आज उनका सपना पूरा हो गया. इसके बाद उन्होंने प्रख्यात गायिका तीजनबाई से शिक्षा ग्रहण की. वह कहती हैं कि, राज्य सरकार पंडवानी की शिक्षा के लिए स्कूल खोले.जिसमे पंडवानी के रुचि रखने वाले बच्चों को शिक्षा दे सकें.
उषा बारले ने बताया कि उनके फूफा ने उनका हौसला बुलंद किया और उनके फूफा ने कहा था कि 1 दिन तुम अपने गांव के साथ-साथ अपने राज्य और देश का नाम रोशन करोगी,आज उनका सपना पूरा हो गया. इसके बाद उन्होंने प्रख्यात गायिका तीजनबाई से शिक्षा ग्रहण की. वह कहती हैं कि, राज्य सरकार पंडवानी की शिक्षा के लिए स्कूल खोले.जिसमे पंडवानी के रुचि रखने वाले बच्चों को शिक्षा दे सकें.
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उषा बारले कहती हैं कि अगर राज्य सरकार और केंद्र सरकार पंडवानी के क्षेत्र में कोई कदम उठाती है तो वह प्रदेश और देश के बच्चों को पंडवानी के लिए प्रशिक्षण देगी. उषा बारले ने बताया कि पद्मश्री और पंडवानी गायिका तीजन बाई से ही उन्होंने शिक्षा ली है. तीजन बाई से ही उन्होंने पंडवानी पढ़ने और गाने की कला को सीखा है.
उषा बारले कहती हैं कि अगर राज्य सरकार और केंद्र सरकार पंडवानी के क्षेत्र में कोई कदम उठाती है तो वह प्रदेश और देश के बच्चों को पंडवानी के लिए प्रशिक्षण देगी. उषा बारले ने बताया कि पद्मश्री और पंडवानी गायिका तीजन बाई से ही उन्होंने शिक्षा ली है. तीजन बाई से ही उन्होंने पंडवानी पढ़ने और गाने की कला को सीखा है.
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दरअसल पंडवानी गायिका महाभारत की कहानी को छतीसगढ़ी में कहने की एक विधा है. जिसमे गाने और श्लोकों के साथ पूरी कहानी बताई जाती है. ऊषा ने पंडवानी का प्रशिक्षण प्रख्यात पंडवानी गायिका एवं पद्म विभूषण तीजन बाई से प्राप्त किया है.उन्होंने लंदन और न्यूयॉर्क जैसे शहरों में पंडवानी की प्रस्तुति दी है.
दरअसल पंडवानी गायिका महाभारत की कहानी को छतीसगढ़ी में कहने की एक विधा है. जिसमे गाने और श्लोकों के साथ पूरी कहानी बताई जाती है. ऊषा ने पंडवानी का प्रशिक्षण प्रख्यात पंडवानी गायिका एवं पद्म विभूषण तीजन बाई से प्राप्त किया है.उन्होंने लंदन और न्यूयॉर्क जैसे शहरों में पंडवानी की प्रस्तुति दी है.
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पंडवानी के लिए उन्हें छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से गुरु घासीदास सामाजिक चेतना पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. इसके साथ ही उन्हें भिलाई स्टील प्लांट प्रबंधन ने दाऊ महासिंह चंद्राकर सम्मान से सम्मानित किया है. साथ ही गिरोधपुरी तपोभूमि में भी वे छह बार स्वर्ण पदक से सम्मानित की जा चुकी हैं. वहीं पद्मश्री मिलने पर उषा बारले ने कहा कि 'राज्य सरकार और केंद्र सरकार को मैं धन्यवाद देती हूं.'
पंडवानी के लिए उन्हें छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से गुरु घासीदास सामाजिक चेतना पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. इसके साथ ही उन्हें भिलाई स्टील प्लांट प्रबंधन ने दाऊ महासिंह चंद्राकर सम्मान से सम्मानित किया है. साथ ही गिरोधपुरी तपोभूमि में भी वे छह बार स्वर्ण पदक से सम्मानित की जा चुकी हैं. वहीं पद्मश्री मिलने पर उषा बारले ने कहा कि 'राज्य सरकार और केंद्र सरकार को मैं धन्यवाद देती हूं.'

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