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निपाह वायरस से बचने के लिए एक्सपर्ट बता रहे हैं क्या करें और क्या ना करें
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![एनआईवी की पहचान पहली बार 1998 में मलेशिया के कैम्पंग सुंगई निपाह में एक बीमारी फैलने के दौरान हुई थी. यह चमगादड़ों से फैलता है और इससे जानवर और इंसान दोनों ही प्रभावित होते हैं.फोटोः गूगल फ्री इमेज](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2018/05/24153834/nipah-5.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
एनआईवी की पहचान पहली बार 1998 में मलेशिया के कैम्पंग सुंगई निपाह में एक बीमारी फैलने के दौरान हुई थी. यह चमगादड़ों से फैलता है और इससे जानवर और इंसान दोनों ही प्रभावित होते हैं.फोटोः गूगल फ्री इमेज
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![जब इंसानों में इसका इंफेक्शन होता है, तो इसमें एसिम्प्टोमैटिक इन्फेक्शन से लेकर तीव्र रेस्पिरेटरी सिंड्रोम और घातक एन्सेफलाइटिस तक का क्लिनिकल प्रजेंटेशन सामने आता है.फोटोः गूगल फ्री इमेज](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2018/05/24153830/nipah-6.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
जब इंसानों में इसका इंफेक्शन होता है, तो इसमें एसिम्प्टोमैटिक इन्फेक्शन से लेकर तीव्र रेस्पिरेटरी सिंड्रोम और घातक एन्सेफलाइटिस तक का क्लिनिकल प्रजेंटेशन सामने आता है.फोटोः गूगल फ्री इमेज
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![मृत व्यक्ति को गले लगाने से बचें और उसके अंतिम संस्कार से पहले शरीर को स्नान करवाते समय सावधानी बरतें. फोटोः गूगल फ्री इमेज](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2018/05/24153819/nipah-virus0-5.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
मृत व्यक्ति को गले लगाने से बचें और उसके अंतिम संस्कार से पहले शरीर को स्नान करवाते समय सावधानी बरतें. फोटोः गूगल फ्री इमेज
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![निपाह बुखार से मरने वाले किसी भी व्यक्ति के मृत शरीर को ले जाते समय चेहरे को ढंकना महत्वपूर्ण है.फोटोः गूगल फ्री इमेज](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2018/05/24153807/nipah-virus0-2.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
निपाह बुखार से मरने वाले किसी भी व्यक्ति के मृत शरीर को ले जाते समय चेहरे को ढंकना महत्वपूर्ण है.फोटोः गूगल फ्री इमेज
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![डॉ. अग्रवाल ने कहा कि आमतौर पर शौचालय में इस्तेमाल होने वाली चीजें, जैसे बाल्टी और मग को खास तौर पर साफ रखें.फोटोः गूगल फ्री इमेज](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2018/05/24153740/78.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि आमतौर पर शौचालय में इस्तेमाल होने वाली चीजें, जैसे बाल्टी और मग को खास तौर पर साफ रखें.फोटोः गूगल फ्री इमेज
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![चमगादड़ के कुतरे हुए फल न खाएं. पाम के पेड़ के पास खुले कंटेनर में बनी टोडी शराब पीने से बचें. बीमारी से पीड़ित किसी भी व्यक्ति से संपर्क न करें. यदि मिलना ही पड़े तो बाद में साबुन से अपने हाथों को अच्छी तरह से धो लें.फोटोः गूगल फ्री इमेज](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2018/05/24153631/fruit-2.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
चमगादड़ के कुतरे हुए फल न खाएं. पाम के पेड़ के पास खुले कंटेनर में बनी टोडी शराब पीने से बचें. बीमारी से पीड़ित किसी भी व्यक्ति से संपर्क न करें. यदि मिलना ही पड़े तो बाद में साबुन से अपने हाथों को अच्छी तरह से धो लें.फोटोः गूगल फ्री इमेज
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![वायरस से बचाव के लक्षणों पर उन्होंने कहा कि आप ये सुनिश्चित करें कि आप जो खाना खा रहे हैं वह किसी चमगादड़ या उसके मल से दूषित नहीं हुआ हो. फोटोः गूगल फ्री इमेज](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2018/05/24153553/nipah-virus0-3.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
वायरस से बचाव के लक्षणों पर उन्होंने कहा कि आप ये सुनिश्चित करें कि आप जो खाना खा रहे हैं वह किसी चमगादड़ या उसके मल से दूषित नहीं हुआ हो. फोटोः गूगल फ्री इमेज
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![डॉ. अग्रवाल ने बताया कि लक्षण शुरू होने के दो दिन बाद पीड़ित के कोमा में जाने की संभावना बढ़ जाती है. वहीं इंसेफेलाइटिस के इंफेक्शिन की भी संभावना रहती है, जो मस्तिष्क को प्रभावित करता है.फोटोः गूगल फ्री इमेज](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2018/05/24153532/5.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि लक्षण शुरू होने के दो दिन बाद पीड़ित के कोमा में जाने की संभावना बढ़ जाती है. वहीं इंसेफेलाइटिस के इंफेक्शिन की भी संभावना रहती है, जो मस्तिष्क को प्रभावित करता है.फोटोः गूगल फ्री इमेज
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![निपाह वायरस के सामान्य लक्षणों में बुखार, सिर दर्द, बेहोशी और मतली शामिल है. कुछ मामलों में, व्यक्ति को गले में कुछ फंसने का अनुभव, पेट दर्द, उल्टी, थकान और निगाह का धुंधलापन महसूस हो सकता है. फोटोः गूगल फ्री इमेज](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2018/05/24152147/4.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
निपाह वायरस के सामान्य लक्षणों में बुखार, सिर दर्द, बेहोशी और मतली शामिल है. कुछ मामलों में, व्यक्ति को गले में कुछ फंसने का अनुभव, पेट दर्द, उल्टी, थकान और निगाह का धुंधलापन महसूस हो सकता है. फोटोः गूगल फ्री इमेज
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![निपाह वायरस के इलाज का एकमात्र तरीका कुछ सहायक दवाइयां और पैलिएटिव केयर है. वायरस की इनक्यूबेशन अवधि 5 से 14 दिनों तक होती है, जिसके बाद इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं. फोटोः गूगल फ्री इमेज](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2018/05/24152051/3.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
निपाह वायरस के इलाज का एकमात्र तरीका कुछ सहायक दवाइयां और पैलिएटिव केयर है. वायरस की इनक्यूबेशन अवधि 5 से 14 दिनों तक होती है, जिसके बाद इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं. फोटोः गूगल फ्री इमेज
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![डॉ. अग्रवाल के मुताबिक, यह एक प्रकार के चमगादड़ से फैलती है. संक्रमित जीवों के साथ सीधे संपर्क से बचने के अलावा, जमीन पर गिरे फलों का उपभोग करने से बचना जरूरी है. यह स्थिति इसलिए भी मुश्किल हो जाती है, क्योंकि इस बीमारी के लिए अभी कोई टीका या दवा बाजार में उपलब्ध नहीं है.फोटोः गूगल फ्री इमेज](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2018/05/24151928/nipah-virus0-1.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
डॉ. अग्रवाल के मुताबिक, यह एक प्रकार के चमगादड़ से फैलती है. संक्रमित जीवों के साथ सीधे संपर्क से बचने के अलावा, जमीन पर गिरे फलों का उपभोग करने से बचना जरूरी है. यह स्थिति इसलिए भी मुश्किल हो जाती है, क्योंकि इस बीमारी के लिए अभी कोई टीका या दवा बाजार में उपलब्ध नहीं है.फोटोः गूगल फ्री इमेज
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![केरल में फैले निपाह वायरस (एनआईवी) ने लोगों के बीच डर का माहौल बना दिया है. ऐसे में हार्ट केयर फाउंडनेशन के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल ने निपाह वायरस से बचने के तरीके बता रहे हैं. फोटोः गूगल फ्री इमेज](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2018/05/24151912/8.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
केरल में फैले निपाह वायरस (एनआईवी) ने लोगों के बीच डर का माहौल बना दिया है. ऐसे में हार्ट केयर फाउंडनेशन के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल ने निपाह वायरस से बचने के तरीके बता रहे हैं. फोटोः गूगल फ्री इमेज
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![डॉ. सब्य साचिन, वाइस प्रिंसिपल, जीएसबीवी स्कूल](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/045c7972b440a03d7c79d2ddf1e63ba1.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)
डॉ. सब्य साचिन, वाइस प्रिंसिपल, जीएसबीवी स्कूल
Opinion