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श्मशान घाट पर महिलाएं क्यों नहीं जाती हैं, क्या है इसका राज, जानें
shamshan ghat: हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार के दौरान शव यात्रा (Shav yatra) निकालकर दाह संस्कार की क्रिया की जाती है लेकिन श्मशान घाट (Cremation) पर महिलाओं का जाना वर्जित है, जानें क्यों.
श्मशान घाट
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आम धारणा के अनुसार महिलाएं पुरुषों के मुकाबले अधिक संवेदनशील होती हैं. परिवार में किसी की मृत्यु के दौरान घर में शौक का माहौल होता है. शव को अंतिम यात्रा पर ले जाना महिलाओं के लिए बेहद पीड़ादायक होता है. ऐसे में श्मशान घाट पर महिलाएं ये दर्द सहन नहीं कर पाती. यही कारण है कि उन्हें श्मशान घाट जाने की मनाही होती है.
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हिंदू धर्म मान्यता के अनुसार मृतक के परिवार का जो सदस्य श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में शामिल होता है मुंडव करना होता है. महिलाओं का मुंडन करना हिंदू संस्कृति में शुभ नहीं माना गया है, इसलिए उन्हें श्मशान घाट नहीं जाने दिया जाता है.
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कहा जाता है कि शव को ले जाने के बाद घर सुनसान नहीं होना चाहिए, क्योंकि गुरुड़ पुराण के अनुसार व्यक्ति की आत्मा 10 दिन तक घर में ही रहती है.
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वहीं दूसरा कारण ये है कि अंतिम संस्कार के बाद पुरुषों का घर में प्रवेश स्नान के बाद ही होता है उससे पहले घर को शुद्धिकरण करने के लिए महिलाएं को घर पर ही रुकना पड़ता है.
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ऐसा माना जाता है श्मशान घाट पर हमेशा नकारात्मक ऊर्जा फैली होती है. शौक के माहौल में स्त्रियां अपने मन पर काबू नहीं रख पाती. ऐसे में बुरी शक्तियां उन पर हावी हो सकती है. यही कारण है कि महिलाओं को श्मशान घाट जाना मना है.
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श्मशान घाट पर वातावरण अशुद्ध होता है ऐसे में कीटाणु महिलाओं के शरीर और बालों में चिपक सकते हैं, इससे उन्हें बीमारियों का खतरा भी रहता है.
Published at : 22 Aug 2024 01:25 PM (IST)
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