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ISI Officers Killed: 'सोर्स' के झांसे में आ गए ISI के 2 अफसर, TTP आतंकी ने गोलियों से भूना, एक आतंकवादी ढेर

TTP Terrorist Killed: पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में पांच जनवरी को आईएसआई के दो अधिकारियों की हत्या के बाद टीटीपी का एक आतंकी उमर खान नियाजी खैबर पख्तूनख्वा से बचकर भाग निकला था.

ISI Officers Killed: पाकिस्तान चौतरफा इन दिनों मार झेल रहा है. एक तरफ आर्थिक तंगी तो दूसरी तरफ आतंकवाद से त्रस्त देश की मुसिबत कम होने का नाम नहीं ले रही है. टीटीपी यानी तहरीक-ए-तालीबान ने पाकिस्तान सरकार के खिलाफ 'युद्ध' छेड़ रखा है. अभी पांच तारीख को ही टीटीपी के एक आतंकी ने  पंजाब प्रांत में आईएसआई के दो अधिकारियों की हत्या कर दी थी. अब पाकिस्तान पुलिस ने आतंकी संगठन टीटीपी के एक आतंकी को मार गिराने का दावा किया है.

बता दें कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में पांच जनवरी को आईएसआई के दो अधिकारियों की आतंकी ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. दरअसल नेशनल हाईवे पर एक रेस्तरां में आईएसआई के दो अधिकारियों मुल्तान क्षेत्र के निदेशक नवीद सादिक और इंस्पेक्टर नासिर अब्बास की एक सोर्स से मुलाकात हुई थी. यह सोर्स कोई और नहीं टीटीपी आतंकी नियाजी ही था. उसने दोनों आईएसआई अधिकारी को गोली मार दी.

तहरीक-ए-तालिबान क्या है

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, जिसे TTP भी कहा जाता है वो पाकिस्तान में अपनी ही सरकार के खिलाफ लड़ने वाला सबसे बड़ा आतंकवादी संगठन है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर टीटीपी के कई हजार लड़ाकें मौजूद हैं, जो पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ 'युद्ध' छेड़े हुए हैं.


पाकिस्तानी सैन्य कार्रवाइ अमेरिकी ड्रोन युद्ध और इस इलाके में अन्य गुटों की घुसपैठ ने 2014 से 2018 तक टीटीपी के आतंक को लगभग खत्म कर दिया था लेकिन, फरवरी 2020 में अफगान तालिबान और अमेरिकी सरकार द्वारा शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद यह उग्रवादी समूह फिर से इस क्षेत्र में एक्टिव हो गया. 

जुलाई 2020 के बाद से 10 उग्रवादी समूह जो लगातार पाकिस्तान सरकार  का विरोध कर रही थी, वो तहरीक-ए-तालिबान में शामिल हो गए. इनमें अल-कायदा के तीन पाकिस्तानी गुट भी शामिल हैं, जो 2014 में टीटीपी से अलग हो गए थे.

इन विलयों के बाद, टीटीपी और मजबूत हुआ और हिंसक भी. यह हिंसक सिलसिला अगस्त 2021 में काबुल में अफगान तालिबान की सरकार बनने के बाद और तेज हो गया. 

अफगान तालिबान, अल-कायदा और खुरासान प्रांत (ISKP) में इस्लामिक स्टेट के साथ इसकी गहरी ऐतिहासिक जड़ों के कारण TTP एक खतरनाक आतंकी संगठन बन गया है. यह समूह 9/11 के बाद अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अल-कायदा की 'जिहादी राजनीति' का नतीजा है.

कहा जाता है टीटीपी के अभी भी अल-कायदा के साथ गुप्त संबंध हैं और उसने घोषणा भी की है कि वह अफगानिस्तान में तालिबान शासन के तहत सुरक्षित आश्रय का आनंद लेते हुए अफगान तालिबान नेताओं को अपना मानता रहेगा और अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल कर पाकित्सान के खिलाफ जंग छेड़ता रहेगा.

इस्लामिक स्टेट आतंकी समूह की खुरासान शाखा बड़े पैमाने पर TTP से अलग हुए सदस्यों से ही बना है. इस समूह ने पाकिस्तान तहरीक-ए-तालिबान के साथ किसी भी संघर्ष से खुद को बचा कर रखा है.

कितना खतरनाक है यह आतंकी संगठन

यह समझने के लिए कि टीटीपी कितना बड़ा खतरा पैदा कर सकता है, इस समुह के उदय और विकास के बारे में जानना बेहद जरूरी है. कैसे यह आतंकी समूह पैदा हुआ और कैसे आज यह पाकिस्तान के लिए नासूर बन गया है.

पाकिस्तानी तालिबान की जड़ें जमना उसी वक्त शुरू हो गई थीं, जब 2002 में अमेरिकी कार्रवाई के बाद अफगानिस्तान से भागकर कई आतंकी पाकिस्तान के कबाइली इलाकों में छुपे थे. इन आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई तो स्वात घाटी में पाकिस्तानी आर्मी की मुखालफत होने लगी. कबाइली इलाकों में कई विद्रोही गुट पनपने लगे.

फिर दिसंबर 2007 को बेयतुल्लाह मेहसूद की अगुवाई में 13 गुटों ने एक तहरीक यानी अभियान में शामिल होने का फैसला किया, लिहाजा संगठन का नाम तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान रखा गया. शॉर्ट में इसे टीटीपी या फिर पाकिस्तानी तालिबान भी कहा जाता है. यह अफगानिस्तान के तालिबान संगठन से पूरी तरह अलग है, लेकिन इरादे करीब-करीब एक जैसे है. 

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