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खाशोग्गी गुमशुदगी मामला: संदिग्ध की दुर्घटना में मौत, अमेरिका ने कहा- जांच को और समय देने की जरूरत

सऊदी अरब के पत्रकार जमाल खाशोग्गी के लापता होने के मामले में संलिप्त एक संदिग्ध रियाद में एक 'संदेहास्पद कार दुर्घटना' में मारा गया.

अंकारा: तुर्की के एक दैनिक अखबार ने गुरुवार को कहा कि सऊदी अरब के पत्रकार जमाल खाशोग्गी के लापता होने के मामले में संलिप्त एक संदिग्ध रियाद में एक 'संदेहास्पद कार दुर्घटना' में मारा गया. हुर्रियत दैनिक समाचार ने तुर्की के अखबार येनी सफाक के रिपोर्ट के हवाले से कहा, "सऊदी रॉयल एयर फोर्स का 31 वर्षीय लेफ्टिनेंट मशाल साद अल-बोस्तानी उन 15 संदिग्धों में शामिल था जो 2 अक्टूबर को सऊदी अरब के इंस्ताबुल स्थित वाणिज्यिक दूतावास में गया था, जहां खाशोग्गी को अंतिम बार देखा गया था." अखबार ने कहा कि सूत्रों ने रियाद में हुई सड़क दुर्घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं दी और खाशोग्गी की हत्या में बोस्तानी की भूमिका भी स्पष्ट नहीं है.

लापता पत्रकार की जांच को समय देना जरूरी: पोम्पियो अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो का कहना है कि सऊदी अरब के लापता पत्रकार जमाल खाशोग्गी की जांच के लिए समय देना बहुत जरूरी है. सऊदी अरब और तुर्की की यात्रा खत्म करने के बाद ब्रसेल्स अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे पर संवाददाताओं से बातचीत में पोम्पियो ने कहा कि तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तइप एर्दोगान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सऊदी ने जांच में सहयोग किया था और वे जल्द ही सऊदी अरब से मिली जानकारी को साझा करने जा रहे हैं.

पोम्पियो ने कहा, "कुछ दिनों की देरी हुई है लेकिन वे आश्वस्त लग रहे थे कि सऊदी अरब उन्हें वह करने दे रहा है, जिसकी उन्हें इस जांच को पूरी करने में जरूरत है." हालांकि, पोम्पियो ने यह बताने से साफ इनकार कर दिया कि क्या उन्होंने खाशोग्गी के लापता होने पर कथित ऑडियो को सुनने की फरमाइश की थी या नहीं.

उन्होंने कहा, "दो देश इस मामले की जांच कर रहे हैं. हम उन्हें जांच पूरी करने का समय देंगे, जब वे जांच पूरी होने के बाद हमें इसकी रिपोर्ट सौंपेगे तों हम इस पर अपना फैसला रखेंगे." हालांकि, पोम्पियो ने कहा कि पत्रकार खाशोग्गी की कथित मौत अनैतिक और अस्वीकार्य है.

क्या है पूरा मामला अमेरिका में रहने वाले सऊदी अरब मूल के पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी की गुमशुदगी की गुत्थी सुलझने का नाम नहीं ले रही. मामले में कल ये ख़बर सामने आई है कि सऊदी अरब ये स्वीकार करेगा कि ख़ाशोज्जी की मौत उनकी हिरासत में हुई. अमेरिकी मीडिया में सूत्रों के हवाले से छपी ख़बरों में ये बात सामने आई कि सऊदी अरब टालमटोल करके ये बात स्वीकार कर लेगा कि ख़ाशोज्जी की मौत एक ऐसी पूछताछ के दौरान हो गई जिसमें उनकी हत्या का कोई इरादा शामिल नहीं था.

सऊदी अरब बना रहा है रिपोर्ट अमेरिकी के सबसे बड़े मीडिया हाउस सीएनएन ने अपने दो सूत्रों का हवाला देते हुए इसका खुलासा किया. सूत्रों का कहना है कि सऊदी अरब एक रिपोर्ट तैयार कर रहा है. इस रिपोर्ट में ये स्वीकार किया जाएगा कि पत्रकार ख़ाशोज्जी की मौत जानबूझ कर किए गए उनके अपहरण के दौरान हुई. हालांकि, रिपोर्ट में इस बात का भी ज़िक्र होगा कि उनके अपहरण के पीछे उनकी हत्या की मंशा नहीं थी.

बिना आदेश की हत्या का शिगुफा छोड़ने की तैयारी सीएनएन के एक सूत्र ने ये भी कहा कि अभी रिपोर्ट तैयारी की जा रही है और इसे बदला भी जा सकता है. वहीं, दूसरे सूत्र का कहना है कि रिपोर्ट में इस बात का हवाला दिया जाएगा कि जिस ऑपरेशन में ख़ाशोज्जी की मौत हुई उसकी इजाजत देश के प्रशासन ने नहीं दी थी. ये भी कहा गया है कि रिपोर्ट में उन लोगों को दोषी ठहराया जाएगा जिन्होंने बिना इजाजत के हत्या को अंजाम दिया.

वॉल स्ट्रीट जर्नल ने भी कही ऐसी ही बात एक और अमेरिकी मीडिया वॉल स्ट्रीट जर्नल ने कहा कि सऊदी अरब इस बात पर विचार कर रहा है कि क्या मौत के पीछे किसी ऐसे अभियान की बात कही जाए जो बिना देश की इजाजत के हुआ और इसमें ख़ाशोज्जी की मौत हो गई. वॉल स्ट्रीट जर्नल ने भी अपने सूत्रों के हवाले से यही कहा है कि अभी रिपोर्ट को पूरी तरह से तैयार नहीं किया गया है.

ट्रंप की है मामले पर नज़र आपको बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने ये जानकारी सार्वजनिक की कि इस मामले में सऊदी के किंग सलमान से उनकी बातचीत हुई थी. लेकिन 20 मिनट तक चली इस बातचीत में सलमान ने ज़ोर देकर इस बात को नकारा और कहा कि उनके सम्राज्य का इस हत्या से कोई लेना-देना नहीं है. ट्रंप ने कहा था, "बातचीत करके मुझे ऐसा महसूस हुआ कि हत्या के पीछे पेशेवर हत्यारे हो सकते हैं, किसे पता है?" ट्रंप ने सोमवार को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो को इस मामले की जांच के लिए सऊदी अरब भेजा है. उन्होंने पोम्पियो को आदेश दिए हैं कि वो इस हत्या की तह तक जाकर खुद पता लगाएं कि आखिर मामला क्या है.

मुश्किल में प्रिंस सलमान किंग सलमान के बेटे प्रिंस मोहम्मद (33 साल) ने जून 2017 में सऊदी अरब की सत्ता पर अपनी पकड़ मज़बूत कर ली. उन्होंने ये तब किया जब उन्हें क्राउन प्रिंस घोषित किया गया. मोहम्मद को क्राउन प्रिंस बनाने के लिए उनके चचेरे भाई मोहम्मद बिन नायफ को दरकिनार किया गया था. नायफ को आतंक विरोधी अभियानों का अच्छा अनुभव था जिसकी वजह से अमेरिका उन्हें पसंद करता था.

सलमान के हाथों में सत्ता आने के बाद से देश में काफी कुछ बदल गया है. उदाहरण के तौर पर देश में महिलाओं को गाड़ी चालने का अधिकार दिया गया है. लेकिन ऐसी घटनाएं भी हुई हैं जो प्रिंस की उदार छवि पर सवाल खड़े करती हैं. ऐसी ही घटनाओं में उन्होंने दर्जनों प्रिंस और व्यापारियों को भ्रष्टाचार के आरोप में कैद कर लिया था. उन्होंने लेबनान के पीएम हरीरी से कथित इस्तीफा मांगते हुए उन्हें नजरबंद कर दिया था.

प्रिंस ने ये आदेश दिया था कि उनके सुधार पर सवाल उठाने वाले लोगों को जेल भेज दिया जाए और अगर उनके विरोध में कोई ट्वीट भी किया जाता है तो भी गिरफ़्तारी की जाए. इसी बीच हुई इस ताज़ा हत्या ने दुनिया भर में सलमान के शासन पर सवाल खड़े कर दिए हैं. ट्रंप भी कह रहे हैं कि अगर इस मामले में सऊदी अरब की गलती है तो उसे 'कड़ी सज़ा' मिलनी चाहिए.

कौन हैं ख़ाशोज्जी, उनके साथ क्या हुआ सऊदी अरब मूल के ख़ाशोज्जी अमेरिका में जाकर बस गए थे. बीते समय में वो सऊदी के शक्तिशाली प्रिंस सलमान के प्रखर आलोचक बन गए थे. अब जब उनकी हत्या की बातें सामने आ रही हैं तो इससे अमेरिका और सऊदी अरब के रिश्ते उनके पश्चिम के साथी देशों के साथ ख़राब हो रहे हैं.

आपको बता दें कि बीते 2 अक्टूबर को ख़ाशोज्जी इस्तांबुल में सऊदी अरब काउंसलेट गए थे. वहां उन्हें शादी और तलाक से जुड़ा कुछ कागज़ी काम था. वहीं प्रवेश करने के बाद से वो गयाब हैं और इतने लंबे समय से गायब होने की वजह से उनकी हत्या को लेकर आशंकाएं गहरा गई हैं. तुर्की के अधिकारियों ने भी उनके मौत की आशंका जताई है, वहीं सऊदी अरब अभी तक इसे नकारता आया है.

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