कौन हैं पाकिस्तान मूल का वो कारोबारी, जिसे कहा जाता है ‘कीव का शहजादा’, ऐसे तय किया फर्श से अर्श तक का सफर
दुनिया में जहूर की पहचान स्टील किंग और यूक्रेन की एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की एक बड़ी हस्ती के रूप में भी की जाती है

Mohmmad Zahoor: रूस-यूक्रेने युद्ध के बीच इन दिनों सोशल मीडिया पर एक नाम खूब सुर्खियां बटोर रहा है. वो नाम है पाकिस्तानी मूल के अरबपति मोहम्मद जहूर का. जहूर सालों से यूक्रेन में रह रहे हैं और यही उनका दूसरा घर है. जहूर को ‘कीव का शहजादा’ भी कहा जाता है. इसके अलावा दुनिया में जहूर की पहचान स्टील किंग और यूक्रेन की एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की एक बड़ी हस्ती के रूप में भी की जाती है. लेकिन जहूर आज जिस मुकाम पर हैंर, वहां तक पहुंचने में उन्हें काफी मेहनत और मुश्किलों का सामना करना पड़ा.
मोहम्मद जहूर का जन्म पाकिस्तान के कराची शहर में हुआ था. जहूर का बचपन से ही एक बड़ा आदमी बनने का सपना देखता था. जिससे कि वह अपने परिवार के लोगों के जीवन को बेहतर बना सके. इसके लिए उन्होंने पाकिस्तान से बाहर किसी दूसरे देश में जाकर अपना भविष्य संवारने की सोची. 1974 में, जहूर का सेलेक्शन सोवियत संघ में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए हुआ. उस समय, वह कराची में एनईडी यूनिवेर्सिटी में इंजीनियरिंग के प्रथम वर्ष के छात्र थे.
स्कॉलरशिप पर पहुंचे थे डोनेट्स्क
मोहम्मद जहूर स्कॉलरशिप पर पढ़ने के लिए डोनेट्स्क भेजा गया. उन्होंने बहुत जल्दी रूसी भाषा सीखी, जिससे उन्हें आगे बढ़ने में बहुत मदद मिली. इस दौरान उन्होंने अपने साथ पढ़ने वाली एक लड़की से शादी कर ली थी, जो बाद में उनके साथ पाकिस्तान में भी रही. इस स्कॉलरशिप की शर्त थी कि शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्हें वापस जाकर पांच साल तक पाकिस्तान स्टील मिल में काम करना होगा. इसलिए वो वापस पाकिस्तान लौट गए.
ऐसे मिली पहली नौकरी
मेटलर्जी में इंजीनियरिंग करने वाले जहूर जब पाकिस्तान लौटे तो उन्हें पहले स्टील मिल में सुरक्षा बाद में निर्माण विभाग में तैनात किया गया. इस बीच उन्हें पता चला कि मास्को स्थित एक कंपनी को किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश है, जो उन्हें पाकिस्तान के साथ कारोबार करने में उनकी मदद कर सके. साथ ही उसे रूसी भाषा में महारत हासिल हो. जहूर ने इस नौकरी के लिए अप्लाई किया और उन्हें चुन लिया गया. इस तरह जहूर पाकिस्तान से निकलकर मास्को पहुंच गए.
नौकरी छोड़ कारोबार शुरू किया
मास्को पहुंचकर मोहम्मद जहूर ने स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति शुरू कर दी थी. उन्होंने अपनी कंपनी से कहा कि मास्को से स्टील के निर्यात करने का आइडिया दिया जिससे उनकी कंपनी को काफी फायदा पहुंचा. इससे खुश होकर कंपनी ने जहूर की सैलरी भी तीन साल के अंदर एक हजार से बढ़ाकर और बोनस मिलाकर 50 हज़ार डॉलर कर दी. जहूर को अब तक समझ ये समझ आ गया था कि अपना कारोबार करने में ही फायदा है. इसलिए उन्होंने थाईलैंड के एक कारोबारी के साथ मिलकर अपनी एक कंपनी शुरू की. जिसमें 49 प्रतिशत शेयर उनका था. इस तरह स्टील की दुनिया पर राज करने की उनकी यात्रा शुरू हुई. इसके बाद जहूर ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. देखते ही देखते उनका कारोबार दुनियाभर में फैलने लगा. बता दें कि मोहम्मद जहूर ने 1996 में डोनेट्स्क की उसी स्टील मिल को खरीद लिया, जहां उन्होंने अपने छात्र जीवन में अपना आख़िरी प्रेक्टिकल पूरा करके इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की थी.
चीन के चलते बेच दीं स्टील मिलें
मोहम्मद जहूर साल 2004 में अपने पार्टनर से सारे शेयर खरीद खरीदकर कंपनी के अकेल मालिक बन गए. लेकिन जल्द ही उन्हें अपनी मिलें बेचनी पड़ी. जिसका कारण बना चीन. दरअसल, चीन को साल 2008 में ओलंपिक की मेजबानी की तैयारियों के लिए काफी स्टील की आवश्यकता थी. चीन दुनियाभर से स्टील खरीद रहा था. जहूर ने भी चीन को जमकर स्टील बेचा. लेकिन बाद में चीन के अंदर तेजी से स्टील मिलें लगनी शुरू हो गईं. जहूर को लगने लगा कि चीन की स्टील मिलों के चलने के बाद यह कारोबार फायदेमंद नहीं रहेगा. इसलिए उन्होंने साल 2008 में अपने स्टील के कारोबार को पूरी तरह से बेच दिया.
फिलहाल लंदन में रहते हैं जहूर
स्टील मिलें बेचने के बाद से जहूर अब दुनिया भर में निवेश करते हैं. उनका निवेश लगभग 10 करोड़ डॉलर है. यूक्रेन पर रूसी हमले से उन्हें काफी नुकसान जरूर हुआ है. फिलहाल जहूर लंदन में रह रहे हैं. जहूर और उनके परिवार को उम्मीद नहीं थी कि रूस हमला कर सकता है.
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Source: IOCL





















