रूस-यूक्रेन के संकट का सातवां दिन, अपनी जिद के आगे झुकने को तैयार नहीं राष्ट्रपति पुतिन, पिस रहे लोग
Russia-Ukraine War: क्रेन की आम जनता अजीब सी पसोपेश में है. एक तरफ रूस के हमले से देश को बचाने का जज्बा तो दूसरी तरफ परिवार को बचाने के लिए खुद से अलग करने का दर्द.
Russia- Ukraine War: रूस यूक्रेन युद्ध का आज सातवां दिन है और दोनों ही देश अपनी अस्मिता को बचाने की जिद में झुकने को तैयार नहीं हैं, लेकिन इस युद्ध में पिस रही यूक्रेन की आम जनता का दर्द किसी को दिख नहीं रहा. यूक्रेन में इन दिनों रूस से युद्ध चल रहा है और राजधानी कीव पर रूस का कब्जा करने का इरादा है. इस जंग नें अब रूसी सैनिकों के हमले का शिकार रिहायशी इलाके भी हो रहे हैं. इस बीच अपने परिवार से बिछड़ जाने की आशंका के चलते लोग यूक्रेन को छोड़ने पर भी मजबूर है.
यूक्रेन की आम जनता अजीब सी पसोपेश में है. एक तरफ रूस के हमले से देश को बचाने का जज्बा तो दूसरी तरफ परिवार को बचाने के लिए खुद से अलग करने का दर्द. दरअसल यूक्रेन पर हुए हमले के बाद राष्ट्रपति जेलेंस्की के कहने पर आम नागरिकों ने भी हथियार उठाने का फैसला किया है. उसमें से पावलो भी एक हैं. जो देश की रक्षा के लिए खुद भी युद्ध लड़ने के लिए तैयार हैं.
यह हमारी भूमि है और इसकी रक्षा हमारी जिम्मेदारी
यूक्रेन निवासी पावलो विलोडिड ने रिपोर्टर से बात करते हुए कहा, 'हमें यहां अपनी स्वेच्छा से काम करना है और हम यहां वही करेंगे जो हमारे सेना देश को बचाने के लिए कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर हमें जरूरत पड़ेगी तो हम लड़ने के लिए कीव भी जाएंगे. क्योंकि (यह) हमारी भूमि है और इसकी रक्षा हमारी जिम्मेदारी."
करीब छह लाख साठ हजार निवासी कर चुके हैं पलायन
यूएन की रिफ्यूजी एजेंसी की मानें तो रूस के हमले के बाद से अब तक करीब छह लाख साठ हजार यूक्रेन के निवासी पड़ोसी देशों में शरण ले चुके हैं. दरअसल यूक्रेन के लोग जंग के दौरान पोलैंड, रोमानिया, स्लोवाकिया और हंगरी की ओर पलायन कर रहे हैं. ये देश यूक्रेन की सीमाओं से सटी हुई है. वहीं अपने देश में आ रहे शरणार्थियों के लिए फ्रांस के गृह मंत्री जेराल्ड दरमानी ने कहा, “युद्ध से बच कर आ रहे लोगों को स्वीकार करना हमारा कर्त्तव्य है. हम उनका स्वागत करते हैं.”
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