Pakistan Airforce: अमेरिका का रहस्यमयी 70 साल पुराना सॉफ्टवेयर! पाकिस्तानी एयरफोर्स की बना ताकत, भारत के खिलाफ हुआ इस्तेमाल
Pakistan Airforce: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पाकिस्तान को हर मोर्चे पर पछाड़ा. जानिए पाकिस्तान का अमेरिका से 70 साल पुराना 'सॉफ्टवेयर' क्या है, और राफेल बनाम J-10CE की सच्चाई.

भारतीय वायुसेना की तरफ से चलाया गया ऑपरेशन सिंदूर न केवल एक सैन्य अभियान था, बल्कि यह भारत की रणनीतिक परिपक्वता, टेक्निकल एडवांसमेंट और असाधारण योजना का प्रतीक बन गया है. इस ऑपरेशन के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर सटीक और शक्तिशाली हमले किए.
इस ऑपरेशन में भारत ने अपने आधुनिकतम फाइटर जेट राफेल का इस्तेमाल किया, जिसने पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देते हुए अपने टारगेट्स को निशाना बनाया. इस पूरे अभियान की सबसे खास बात यह थी कि पाकिस्तान को तब तक हमला होने का अहसास तक नहीं हुआ, जब तक भारतीय विमानों ने टारगेट खत्म नहीं कर दिए. पाकिस्तानी मीडिया और सरकारी तंत्र भले ही इसे नकारने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन सैटेलाइट इमेज से लेकर अंतरराष्ट्रीय रक्षा विशेषज्ञों की रिपोर्ट्स तक यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तान के लिए एक सैन्य झटका था.
J-10CE बनाम राफेल पाकिस्तान का भ्रम और भारत की हकीकत
पाकिस्तान ने इस ऑपरेशन के बाद दावा किया कि उसके चीनी मूल के J-10CE फाइटर जेट्स ने भारत के राफेल विमानों को 'टक्कर' दी, लेकिन क्या वास्तव में ऐसा हुआ? रक्षा मामलों की जानकारी रखने वाली वेबसाइट Quwa के अनुसार, पाकिस्तान एयरफोर्स की सफलता की जड़ें दरअसल 70 साल पुराने अमेरिकन ट्रेनिंग सिस्टम में छुपी हैं. Quwa का दावा है कि अमेरिका ने 1950 में पाकिस्तान को F-86 Sabre जैसे आधुनिक विमान तो दिए ही साथ में एक 'ऑपरेशनल सिस्टम सॉफ्टवेयर' भी दिया था, जिसमें ट्रेनिंग, स्क्वाड्रन मैनेजमेंट और टेक्निकल इंफ्रास्ट्रक्चर शामिल था, लेकिन जब बात आती है वास्तविक युद्धक्षेत्र की तो वहां तकनीक से ज़्यादा रणनीति, सटीकता और मनोबल मायने रखता है. राफेल के पास जहां मल्टी टारगेट एंगेजमेंट, लो ऑब्जर्वेबिलिटी और Meteor मिसाइल जैसी क्षमताएं हैं, वहीं J-10CE पाकिस्तान के लिए एक नया खिलौना भर है, जिसे चीन से खरीदा गया है.
राफेल युद्ध की कसौटी पर खरा उतरा है
J-10CE भले ही तकनीकी रूप से सक्षम हो, लेकिन उसकी युद्ध में विश्वसनीयता अब भी परीक्षण की प्रक्रिया में है. दूसरी ओर राफेल युद्ध की कसौटी पर खरा उतरा है, चाहे वह कारगिल के बाद की तैयारियां हों या बालाकोट स्ट्राइक. अब बात करते हैं उस रहस्यमय 'सॉफ्टवेयर' की जो Quwa जैसी वेबसाइटें बार-बार सामने ला रही हैं.
Quwa के अनुसार, 1950 में अमेरिका की तरफ से शुरू किए गए Mutual Defense Assistance Program (MDAP) के तहत पाकिस्तान को न केवल एडवांस फाइटर जेट्स मिले, बल्कि एक संपूर्ण एयरफोर्स मैनेजमेंट सिस्टम भी ट्रांसफर किया गया. इसमें Depot-Level Maintenance सिस्टम, Flight Safety के लिए कठोर प्रोटोकॉल और Operations, Maintenance और Administration के अलग विभाग है. Air Marshal Asghar Khan ने इस पूरे सिस्टम को लागू करने में बड़ी भूमिका निभाई. यहां तक कि पाकिस्तान एयरफोर्स का हेडक्वार्टर रावलपिंडी से हटाकर पेशावर कर दिया गया, ताकि इसकी पहचान सेना से अलग हो सके.
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Source: IOCL





















