Lok Sabha Debate: संसद में राहुल गांधी को क्यों आया गुस्सा, बोले- क्या मैं चला जाऊं, स्पीकर ने कहा- चुनौती मत दीजिए
लोकसभा में चुनाव सुधारों की बहस के दौरान राहुल गांधी और लोकसभा अध्यक्ष के बीच तीखी बहस हुई. राहुल गांधी ने RSS पर संस्थानों पर कब्ज़े का आरोप लगाया तो स्पीकर ने उन्हें विषय पर न बोलने की नसीहत दी.

चुनाव सुधारों पर चल रही चर्चा के दौरान मंगलवार (9 दिसंबर 205) को लोकसभा का माहौल अचानक गरमा गया. विपक्ष के नेता राहुल गांधी जब संस्थाओं की स्वतंत्रता और उन पर बाहरी प्रभावों का मुद्दा उठा रहे थे, तभी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने उन्हें बीच में रोक दिया. दोनों के बीच हुई इस तीखी नोकझोंक ने सदन में हंगामा खड़ा कर दिया.
राहुल गांधी ने अपने वक्तव्य में कहा कि देश के महत्वपूर्ण संस्थानों में राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ गया है. उनके अनुसार विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति योग्यता के बजाय विचारधारा देखकर की जा रही है और यह स्थिति लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है. राहुल ने यह भी दावा किया कि चुनावी फायदे के लिए सरकारी ढांचे का दुरुपयोग हो रहा है.
ओम बिड़ला की सख्त चेतावनी
राहुल गांधी की टिप्पणियों के तुरंत बाद लोकसभा अध्यक्ष ने हस्तक्षेप किया. ओम बिड़ला ने कहा कि यह चर्चा केवल इलेक्शन रिफ़ॉर्म्स पर केंद्रित है, इसलिए किसी संगठन या विचारधारा पर टिप्पणी करना विषय से भटकना है. बिड़ला ने राहुल को स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि 'आसन को चुनौती देना उचित नहीं है और भाषण मूल मुद्दे तक ही सीमित रहें.'
सत्ता पक्ष की नाराज़गी
राहुल गांधी का बयान शुरू होते ही कई बीजेपी सांसदों ने आपत्ति जताई. इस पर संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सदन का समय अनावश्यक टिप्पणी में गंवाया जा रहा है. चुनाव सुधारों की जगह संगठनों को घसीटा जा रहा है और यह रवैया चर्चा को भटकाने वाला है. लगातार हो रही टोका-टाकी के कारण सदन में शोरगुल बढ़ गया.
राहुल गांधी की प्रतिक्रिया- 'मेरी आवाज़ दबाई जा रही है'
राहुल गांधी ने बार-बार रोके जाने पर असंतोष जताते हुए कहा कि उन्हें जानबूझकर बाधित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि क्या मैं सदन छोड़कर चला जाऊं. उनका कहना था कि वे चुनाव आयोग की निष्पक्षता और लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्थिति पर बोलना चाहते हैं, लेकिन सत्ता पक्ष उन्हें लगातार रोक रहा है. राहुल ने यह भी कहा कि “महत्वपूर्ण सवालों को उठने नहीं दिया जा रहा.”
चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल
विषय पर लौटते हुए राहुल गांधी ने कहा कि देश में चुनाव आयोग की विश्वसनीयता को लेकर लोगों के मन में संदेह बढ़ रहा है. उनके अनुसार निर्णय लेने की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं रह गई है. नियुक्तियों में निष्पक्षता कमज़ोर पड़ी है और लोकतांत्रिक ढांचा दबाव में है. राहुल ने यह भी दावा किया कि संस्थागत ढांचे पर असर डालना लंबे समय से चल रही प्रक्रिया है.
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Source: IOCL





















