क्या वास्तव में पहले के मुकाबले अब ज्यादा हो रहा है जुड़वां बच्चों का जन्म ? जानिए रिसर्च के नतीजे
पहले के मुकाबले जुड़वां पैदा हो रहे बच्चों की संख्या अब ज्यादा देखी जा रही है. नए रिसर्च से इस बात की पुष्टि होती है. सहायक प्रजनन तकनीक में वृद्धि से ऐसा संभव हो रहा है. शोधकर्ताओं का कहना है कि हर साल 1.6 मिलियन से ज्यादा जुड़वां का जन्म हो रहा है.

शुक्रवार को प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक, पहले से ज्यादा जुड़वां, करीब 40 बच्चों में से 1 पैदा हो रहे हैं और जुड़वां जन्म का वैश्विक दर 1980 से एक तिहाई बढ़ गया है. वैज्ञानिक पत्रिका ह्यूमन रिप्रोडक्शन की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है. जुड़वां बच्चों के उच्च जन्म दर के पीछे इन विट्रो फर्टिलाइजेशन या आईवीएफ तकनीक का ज्यादा इस्तेमाल है. इसके अलावा, लोगों का देर से परिवार शुरू करना भी है. शोधकर्ताओं का कहना है कि अब हर साल 1.6 मिलियन जुड़वां बच्चों का जन्म हो रहा है.
दुनिया में पहले से ज्यादा हो रहा जुड़वां बच्चों का जन्म
1980 तक प्रति हजार 9 बच्चे जुड़वां पैदा हो रहे थे, अब ये दर बढ़कर प्रति हजार 12 हो गई है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के क्रिश्चयान मोनडेन और उनके साथियों ने 1980 से 2015 तक के 165 देशों का डेटा इकट्ठा कर नतीजा निकाला. मेडिकल तकनीक की बदौलत जुड़वां बच्चों के जीवित रहने की दर भी पहले की तुलना में अब ज्यादा है.
मोनडेन ने कहा कि ये दर 50 साल से अधिक है और सबसे ऊंचा रहने की संभावना है. रिपोर्ट में बताया गया है कि ज्यादातर बढ़ोतरी गैर समान जुड़वां में रही है, जो अलग-अलग स्पर्म और एग से जन्म लेते हैं. विकसित देशों में 1970 से सहायक प्रजनन तकनीक की बढ़ोतरी ने कई जन्म में योगदान की वजन बना क्योंकि महिलाएं ज्यादा उम्र में मां बनीं.
गर्भनिरोधक का ज्यादा इस्तेमाल, महिलाओं का देर से परिवार शुरू करने का फैसला और प्रजनन की कम क्षमता भी इसकी जिम्मेदार थी. इसके अलावा, उच्च और मध्यम आय वाले देशों में जुड़वां बच्चों का जन्म बढ़ने के पीछे सबसे बड़ा फैक्टर शायद महिलाओं की हार्मोन थेरेपी है जिसमें एक ही बार दो एग निकलते हैं. इस तरह, आईवीएफ प्रक्रिया में जानबूझ कर दो, तीन और चार एग दाखिल किए जाते हैं जिससे प्रेगनेन्ट होने की संख्या बढ़ाई जा सके. उसके चलते कई बार एक साथ दो, तीन बच्चे भी जन्म लेते हैं.
अफ्रीका में जुड़वां जन्म वृद्धि की वजह अज्ञात
अफ्रीका महाद्वीप में भी बिना किसी तकनीक के प्राकृतिक तौर पर जुड़वां बच्चों का जन्म दर ज्यादा बढ़ा है, लेकिन उसकी वजह अब तक मालूम नहीं हो सकी है. शोधकर्ताओं का सुझाव है कि निम्न और मध्यम आमदनी वाले देशों में जुड़वां बच्चों की जिंदगी बचाने पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. आशंका इस बात की है कि खासकर अफ्रीका महाद्वीप में जन्म के पहले साल जुड़वां बच्चे अपने सह-जुड़वां को खो देंगे.
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Source: IOCL























