'US से बात करना बेमतलब', ईरान का परमाणु बातचीत से इनकार; कहा- इजरायल के पीछे खड़ा है अमेरिका
इज़रायल और ईरान के बीच युद्ध की शुरुआत हो चुकी है. इस दौरान परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमले किए हैं. हालांकि, अमेरिका की मध्यस्थता विफल रही है, जिसकों लेकर वैश्विक स्तर पर तनाव बढ़ गया है.

Israel Attack on Iran: इजरायल और ईरान के बीच लंबे समय से चला आ रहा तनाव अब एक पूर्ण युद्ध में बदल गया है. इजरायल ने हाल ही में "ऑपरेशन राइजिंग लायन" के तहत ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमला किया. इन हमलों में 78 लोगों की जान चली गई और 350 से अधिक घायल हो गए. इस ऑपरेशन का उद्देश्य ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को खत्म करना और क्षेत्र में अपनी सामरिक पकड़ को मजबूत करना बताया गया.
ईरान ने भी इसका तगड़ा जवाब देते हुए बैलिस्टिक मिसाइलों से इजरायल के प्रमुख शहरों को निशाना बनाया. दोनों देशों के बीच हुई इस कार्रवाई ने मध्य पूर्व में अस्थिरता की आग को और भड़का दिया है. एक तरफ जहां इजरायल सुरक्षा के नाम पर आक्रामक रुख अपना रहा है, वहीं ईरान इसे अपनी संप्रभुता पर सीधा हमला मान रहा है.
परमाणु तनाव पर बातचीत
इज़रायल के इन हमलों के बाद, ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बाघेई ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि अब अमेरिका के साथ परमाणु के मुद्दे पर बातचीत करने का कोई मतलब नहीं रह गया है. इस बयान के बाद ओमान में प्रस्तावित अमेरिकी-ईरानी वार्ता संदेह के घेरे में आ गई है. हालांकि बाघेई ने यह नहीं कहा कि वार्ता पूरी तरह रद्द हो गई है, लेकिन यह स्पष्ट है कि ईरान अब बातचीत के मूड में नहीं है. इसका असर केवल ईरान-अमेरिका रिश्तों पर नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र में कूटनीतिक संतुलन पर पड़ेगा. अमेरिका, जो अब तक वार्ता के ज़रिए ईरान के परमाणु कार्यक्रम से रोकने की कोशिश कर रहा था, शायद अब सैन्य विकल्पों पर विचार करें.
अमेरिका की भूमिका
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही कह चुके हैं कि ईरान को परमाणु हथियार नहीं बनाने दिया जाएगा, लेकिन हालिया घटनाओं के बाद अमेरिका की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं. कुछ दिन पहले ही अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने संकेत दिए थे कि इज़रायल ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला कर सकता है. यह बात अब साबित हो चुकी है. सवाल यह है कि क्या अमेरिका ने इस हमले की पूर्व जानकारी दी थी? या यह अमेरिका-इजरायल की साझा योजना का हिस्सा था? अमेरिका के इस मुद्दे पर मौन रहने से यह संदेह और गहराता जा रहा है कि यह संघर्ष अब केवल दो देशों तक सीमित नहीं रहेगा.
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL























