'ईरान के सुप्रीम लीडर को निशाना बनाया तो...', शियाओं के सबसे बड़े धर्मगुरु ने इराक से दी वॉर्निंग, ट्रंप-नेतन्याहू की बढ़ी टेंशन
Iran Israel War: शिया धर्मगुरु अयातुल्ला अली सिस्तानी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि वे इस युद्ध को समाप्त करने और ईरान के परमाणु कार्यक्रम का शांतिपूर्ण समाधान खोजने की कोशिश करें.

Iran Israel War: इजरायल और ईरान के बीच चल रही जंग ने पूरी दुनिया में अस्थिरता का माहौल बना दिया है. इस जंग के चलते दुनियाभर के तमाम देशों के बीच दो फाड़ हो गए हैं. एक ओर अमेरिका खुलकर इजरायल के समर्थन में उतर चुका है. दूसरी ओर रूस और चीन जैसे देश ईरान के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं. हाल ही में इजरायल की ओर से ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई को निशाना बनाकर खत्म करने की योजना का खुलासा हुआ था.
इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को बिना शर्त सरेंडर करने की चेतावनी देते हुए कहा कि अमेरिका को पता है ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई कहां छिपे हैं. इस पर सुप्रीम लीडर खामेनेई ने भी अमेरिका को जवाब दिया. उन्होंने कहा कि ईरान सरेंडर नहीं करेगा और अगर अमेरिका सैन्य हस्तक्षेप करेगा तो इसके गंभीर परिणाम होंगे. इस बीच इराक के शीर्ष शिया धर्मगुरु अयातुल्ला अली सिस्तानी ने चेतावनी दी है कि अगर ईरान के नेतृत्व को निशाना बनाया जाता है तो क्षेत्र में अराजकता फैल जाएगी.
भयंकर परिणाम भुगतने पड़ेंगे- सिस्तानी
न्यूज एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक अयातुल्ला अली सिस्तानी ने गुरुवार (19) को खामेनेई की ओर इशारा करते हुए कहा कि अगर सर्वोच्च धार्मिक और राजनीतिक नेतृत्व को निशाना बनाया गया तो इसके भयंकर परिणाम होंगे.
उन्होंने कहा कि इससे क्षेत्र में लोगों की मुश्किलें बढ़ जाएगी और सभी के हितों को गंभीर नुकसान पहुंचेगा. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि वे इस युद्ध को समाप्त करने और ईरान के परमाणु कार्यक्रम का शांतिपूर्ण समाधान खोजने के लिए हर संभव कोशिश करें.
अली सिस्तानी के दुनिया भर में हैं फॉलोअर्स
अल-सिस्तानी को शिया मुसलमानों में सर्वोच्च धार्मिक नेताओं में से एक माना जाता है. दुनिया भर में उनके फॉलोअर्स हैं और भारत के अधिकतर शिया उन्हें ही अपना मरजा (मरजा उस शख्स को कहा जाता है, जिनकी व्याख्या का मानना या अनुकरण करना शिया मुसलमान के लिए जरूरी होता है) मानते हैं. वह सार्वजनिक रूप से बहुत कम दिखाई देते हैं. उन्होंने 2014 में आईएसआईएस के खिलाफ इराकियों से अपने देश की रक्षा के लिए एकजुट होने और बचाव करने का आग्रह किया था.
इराक में सद्दाम हुसैन की सरकार के साथ उनके संबंध अच्छे नहीं थे. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक उन्हें लंबे समय तक नजरबंद रहना पड़ा, लेकिन वे राजनीति से दूर ही रहे. साल 2003 में उन्होंने अमेरिका की पहल पर इराकी गवर्नमेंट काउंसिल बनाए जाने की योजना को ठुकरा दिया था.
ईरान ने अमेरिका को दे डाली चेतावनी
इराक के शीर्ष शिया धर्मगुरु का बयान ऐसे समय में आया है जब ट्रंप ने कहा कि उन्हें पता तो है कि खामेनेई कहां छिपे हैं, लेकिन अभी अमेरिका उनपर हमला नहीं करेगा. ट्रंप को जवाब देते हुए खामेनेई ने कहा कि अगर इजरायल के साथ युद्ध में अमेरिका अपनी सेना भेजता है तो उसे ऐसा नुकसान पहुंचाएंगे कि वो सोच भी नहीं सकता है.
Source: IOCL























