Stone From Mars: मंगल ग्रह से धरती पर कैसे पत्थर लेकर आएगा नासा, देखें वीडियो
Mars Stone On Earth: मंगल ग्रह के पत्थरों को पृथ्वी पर लाने का काम किया जा रहा है. ये काम नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी मिलकर कर रही हैं. इससे जुड़ा एक वीडियो भी सामने आया है.

Mars to Earth: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ईएसए (ESA) के वैज्ञानिक दूसरी दुनिया से मिट्टी और चट्टान के पहले नमूने पृथ्वी (Earth) पर वापस लाने के लिए काम कर रहे हैं. हालांकि, चंद्रमा (Moon) और दूसरे ग्रहों से नमूने पहले ही पृथ्वी पर लाए जा चुके हैं लेकिन मंगल ग्रह (Mars) से इस तरह के नमूने पृथ्वी पर लाने का काम पहली बार हो रहा है.
नासा और ईएसए दोनों ही एजेंसियों ने पहले ही मंगल ग्रह पर थ्री फोर्क्स पर एक सैंपल ट्यूब डिपो बनाने का फैसला किया है. ये एक जजेरो क्रेटर में एक प्रचीन नदी डेल्टा के आधार पर स्थित एक क्षेत्र है. इसके नमूने लाना मंगल ग्रह से वापसी वाला मिशन होगा. इसके लिए आवरण इकाई में सतह से चट्टान और मिट्टी के नमूने इकट्ठे किए जा रहे हैं. ये नमूने जेजेरो क्रेटर के इतिहास की कहानी और मंगल कैसे विकसित हुआ, इसकी कहानी बताने में मदद कर सकते हैं. इसके साथ ही यहां प्राचीन जीवन मिलने के संकेत भी मिल सकते हैं.
मंगल के रहस्यों से उठेगा पर्दा
इसके साथ ही ये भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि अरबों साल पहले क्या मंगल ग्रह पर माइक्रोबियल लाइफ मौजूद थी क्योंकि उस वक्त मंगल की जलवायु आज के समय की तुलना में बहुत अलग थी. इसके लिए झील में जमे डेल्टा के महीन दाने वाली तलछट्टी चट्टानों के भी नमूने लिए जा रहे हैं. अगर नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का ये प्लान सफल हो जाता है तो वैज्ञानिकों को इस सवाल का जवाब मिल सकता है कि वहां पर प्राचीन काल में क्या कभी जीवन रहा है?
कई चरणों में होगा काम
मंगल ग्रह के अध्ययन के लिए लाल ग्रह की चट्टानों के नमूनों को पृथ्वी पर लाना कई चरणों में पूरा होगा. इसमें अंतरिक्ष यान के साथ कई हाईटेक मशीनों को एक साथ सिंक्रोनाइज़ तरीके से काम करना होगा, तभी यह प्लान सफल हो सकेगा. वीडियो में मार्स सैंपल रिटर्न अभियान के प्रमुख पलों को बताया गया है. मंगल पर उतरने से लेकर सैंपल ट्यूब को सतह से लॉन्च करने और उन्हें वापस पृथ्वी पर लाने तक की प्रक्रिया दिखाई गई है. वीडियो एनिमेशन में नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी, यूरोपियन स्पेस एजेंसी, गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर और मार्शल स्पेस फ्लाइट सेंटर का योगदान है.
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Source: IOCL























