चीन क्यों रख रहा नागरिकों पर नजर, कर दी कलर कोडिंग, फिर से तानाशाही शुरू
Xi Jinping Updates : चीनी सरकार ने फिर से अपने ही नागरिकों पर नजर रखनी शुरू कर दी है, इसके लिए नया सिस्टम बनाया गया है.

Xi Jinping Updates : चीनी सरकार ने फिर से अपने ही नागरिकों पर नजर रखनी शुरू कर दी है, इसके लिए नया सिस्टम बनाया गया है. इसके तहत स्थानीय प्रशासन लोगों के घरों पर नजर रख रहा है. पुलिस स्टेशन में लोगों के घरों का चार्ट बनाया गया है, साथ ही परिवारों को रंग से कोड किया गया है. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, चीन में पुलिस स्टेशनों की दीवार कागज की शीट से भरी हुई हैं. हर अपार्टमेंट के लिए एक अलग शीट है, जिसे यूनिट के अनुसार बांटा है. इस पर रेजिडेंट्स के फोन नंबर और अन्य जानकारी दी भी गई हैं. कैटिगरी बांटकर रंग से कोड किया गया है. रिपोर्ट में बताया गया कि पीला रंग मतलब नजर रखने की जरूरत है और नारंगी रंग सख्त नियंत्रण रखना है.
ताकि चीन में न हा सके विद्रोह
रिपोर्ट में दावा है कि शी जिनपिंग चाहते हैं कि इस नियंत्रण को लोगों की जिंदगी में इतनी गहराई तक ले जाना है, ताकि चीन में लोग कभी विद्रोह न कर सकें.स्थानीय प्रशासन ने एक वीडियो में कहा कि हमने अपने अधिकार क्षेत्र में छिपे खतरों की पहचान करने के लिए एक सिस्टम बनाया है. लोगों पर नजर रखने के लिए सेवानिवृत्त कर्मचारियों की भर्ती की जाती है, जो नियमित पुलिस को रिपोर्ट करते हैं. जिनपिंग ने इस प्रयास को 'नए युग के लिए फेंगकियाओ अनुभव' का नाम दिया है. फेंगकियाओ ऐसे शहर को परिभाषित करता है, जहां माओत्से तुंग के दौर में पार्टी ने राजनीतिक दुश्मनों को सबक सिखाने के लिए नागरिकों को प्रोत्साहित किया था. इस दौरान लोगों को सार्वजनिक रूप से पीटा या प्रताड़ित किया जाता था.
क्रूरता का सहारा ले रहा चीन
राजनीतिक जानकारों ने इसे क्रूरता कहा है. उन्होने कहा कि चीन का यह अभियान दिखाता है कि वह बढ़ती चुनौतियों से निपटने के लिए किस तरह से क्रूरता का सहारा ले रहा है. चीन की अर्थव्यवस्था में मंदी से लोगों पर असर पड़ रहा हे, जिससे विरोध प्रदर्शन बढ़ गए हैं. पश्चिम के साथ तनाव के कारण बीजिंग ने हर जगह फैले विदेशी जासूसों के बारे में चेतावनी दी है. फेंगकियाओं के नाम पर पुलिस के निशाने पर तिब्बती, उइगर और अन्य अल्पसंख्यक समूह सबसे आगे हैं.कंपनियों को अपने कर्मचारियों को पुलिस डेटाबेस में पंजीकृत करने को कहा गया है. सरकारी कर्मचारी चर्चों में जाकर भाषण देते हैं.
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